देश: जरूरत ज्यादा है और कमाई कम, सस्ता तेल खरीदते रहेंगे; US-यूरोप को दोटूक

देश - जरूरत ज्यादा है और कमाई कम, सस्ता तेल खरीदते रहेंगे; US-यूरोप को दोटूक
| Updated on: 08-Nov-2022 07:11 PM IST
New Delhi : यूक्रेन और रूस में जारी जंग के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर एक बार फिर से मॉस्को पहुंचे हैं। उन्होंने इस दौरान अपने रूसी समकक्ष सेरगे लावरोव से मुलाकात की और एक बार फिर से यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत पूरी मजबूती के साथ यह कहता है कि संवाद की ओर वापस लौटना चाहिए। एस. जयशंकर ने द्विपक्षीय मीटिंग के दौरान कहा, 'अंतरराष्ट्रीय मसलों की बात है तो बीते कुछ साल कोरोना महामारी में गुजरे हैं। दुनिया भऱ के देशों पर वित्तीय दबाव पड़ा है और कारोबारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इस सबका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। अब हम इसके बाद यूक्रेन युद्ध का भी असर दुनिया पर देख रहे हैं।'

विदेश मंत्री ने कहा कि इनके अलावा आतंकवाद और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दे भी हैं, जिनका असर विकास और समृद्धि पर पड़ा है। हमारी वार्ता का दुनिया की सभी स्थितियों पर असर होगा। इसके अलावा क्षेत्रीय मसलों का हल भी हमारी बातचीत से निकलेगा। एस. जयशंकर ने इस मौके पर रूस और भारत के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि हर स्तर पर हमारे रिश्ते बेहद मजबूत हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाल ही में सितंबर में समरकंद में मुलाकात हुई थी। यही नहीं इस दौरान एस. जयशंकर ने रूस को याद दिलाया कि कैसे पश्चिमी देशों के विरोध के बाद भी दोनों देशों में तेल का कारोबार जारी रहा है।

जयशंकर ने कहा कि भारत ने रूस से यूक्रेन में जारी जंग के बीच भी तेल की खरीद जारी रखी है। पश्चिमी देशों के तमाम विरोधों के बाद भी यह कारोबार जारी रहा है। उन्होंने कहा, 'बहुध्रुवीय और नए संतुलन वाली दुनिया में भारत और रूस के बीच लगातार संबंध कायम रहे हैं। हमारे रिश्ते लंबे समय से रहे हैं और एक-दूसरे पर हमेशा से भरोसा कायम रहा है।' रूस से तेल खरीद और पश्चिमी देशों के दबाव को लेकर पत्रकारों के सवाल पर एस. जयशंकर ने कहा कि कई कारणों से एनर्जी मार्केट पर दबाव की स्थिति है। 

रूस से रिश्तों से हुआ फायदा, तेल खरीद तो जारी रहेगी

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ऐसा देश है, जो तेल और गैस की खपत में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। लेकिन लोगों की कमाई बहुत ज्यादा नहीं है। हमारे लिए यह जरूरी है कि हम सही रेट पर संसाधनों को खरीदें। इसलिए तरह भारत और रूस के संबंधों से हमें फायदा हुआ है। हम इसे जारी रखेंगे। बता दें कि जयशंकर के रूस दौरे पर दुनिया भर की नजर है। चर्चाएं तो यहां तक हैं कि यूक्रेन और रूस की जंग के बीच भारत की ओर से मध्यस्थता भी की जाती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में भी पीएम नरेंद्र मोदी के कद और पुतिन से उनके संबंधों के आधार पर मध्यस्थता को लेकर कयास लगाए गए हैं।

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