दुनिया: गगनयान मिशनः रूस में ऐसी ट्रेनिंग ले रहे भारतीय एयरफोर्स पायलट

दुनिया - गगनयान मिशनः रूस में ऐसी ट्रेनिंग ले रहे भारतीय एयरफोर्स पायलट
| Updated on: 22-May-2020 10:33 AM IST
दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से थमा हुआ गगनयान मिशन फिर शुरू हो गया है। अंतरिक्ष उड़ान के लिए रूस में भारतीय एयरफोर्स के चार पायलटों की ट्रेनिंग फिर से शुरू हो गई है। ये ट्रेनिंग कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी।

फरवरी की शुरुआत में ये चारों इंडियन एयरफोर्स पायलट मॉस्को गए थे। इनकी ट्रेनिंग गैगरीन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में चल रही थी। लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये बंद हो गई। हालांकि, 

रूस की स्पेस कंपनी ग्लवकॉसमॉस (Glavkosmos) ने कहा कि भारतीय वायुसेना का पायलटों को GCTC के प्रशिक्षक सही ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनकी शुरूआती ट्रेनिंग में स्पेस ट्रैवल और स्पेसक्राफ्ट पर नियंत्रण की बेसिक क्लासेज चल रही हैं। इसके अलावा ये पायलट बेसिक रूसी भाषा का भी अध्ययन कर रहे हैं, ताकि आगे की ट्रेनिंग में दिक्कत न हो। 

ग्लवकॉसमॉस ने कहा कि भारत से आए सभी पायलट सेहतमंद और सुरक्षित हैं। हमने इनका बेहद तरीके से ख्याल रखा है। मार्च में इन लोगों को कोरोना वायरस की वजह से आइसोलेट कर दिया गया था। लेकिन अब ये ठीक हैं और अपनी ट्रेनिंग कर रहे हैं।

भारतीय वायुसेना के इन चारों जांबाजों की करीब एक साल की ट्रेनिंग होगी। इन्हें रूस में ट्रेनिंग खत्म करने के बाद वापस बेंगलुरू आकर भी ट्रेनिंग करनी होगी। 

गगनयान मिशन के तहत ISRO तीन अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा कराएगा। इन अंतरिक्षयात्रियों को सात दिन के लिए पृथ्वी की लो-ऑर्बिट में चक्कर लगाना होगा। इस मिशन के लिए ISRO ने भारतीय वायुसेना से अंतरिक्षयात्री चुनने के लिए कहा था। 

दिसंबर 2021 में इसरो तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेगा। उससे पहले दो अनमैन्ड मिशन होंगे। ये दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में किए जाएंगे। इन दोनों मिशन में गगनयान को बिना किसी यात्री के अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

इसके बाद दिसंबर 2021 में मानव मिशन भेजा जाएगा। इस पूरे मिशन की लागत 10 हजार करोड़ रुपए है। गौरतलब है कि देश के पहले अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा 2 अप्रैल 1984 में रूस के सोयूज टी-11 में बैठकर अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे। 

भारतीय अंतरिक्षयात्रियों के खाने का मेन्यू भी सामने आया था। जिसमें एग रोल, वेज रोल, इडली, मूंग दाल हलवा और वेज पुलाव शामिल थे। यह खाना मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा तैयार किया जा रहा है।

अंतरिक्ष में खाना गर्म करने के लिए ओवन की व्यवस्था भी डीआरडीओ ही कर रहा है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पानी और जूस के साथ-साथ लिक्विड फूड की भी व्यवस्था रहेगी। ये सभी एस्ट्रोनॉट्स करीब सात दिनों तक पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर गगनयान में रहेंगे। 

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