राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से घूम रही वसुंधरा राजे और केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच कथित मतभेदों की अफवाहों पर आज पूर्णविराम लग गया। उदयपुर में आयोजित एक महत्वपूर्ण पर्यटन बैठक के इतर भास्कर से विशेष बातचीत में शेखावत ने खुलकर कहा, "मैंने कभी यह नहीं कहा कि वसुंधराजी से नहीं बनती। अगर नाराजगी होती, तो क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उनके पास उपचुनाव की रणनीति पर चर्चा करने जाते?" उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति में व्यक्तिगत द्वेष का कोई स्थान नहीं है और भाजपा एक बड़ा परिवार है, जहां मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद कभी नहीं।
यह बयान उस समय आया है जब राजस्थान में आगामी उपचुनावों को लेकर भाजपा की आंतरिक एकजुटता पर सवाल उठ रहे थे। शेखावत ने न केवल राजे के साथ अपने संबंधों को सहज बताया, बल्कि कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर लगाए जा रहे बैन के प्रयासों पर भी तीखा प्रहार किया। साथ ही, पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार को आड़े हाथों लिया। इन मुद्दों पर उनकी बेबाकी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद चेहरे बने रहेंगे।
राजस्थान की सियासत में वसुंधरा राजे और गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच तनाव की कहानियां पुरानी हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2023 तक, जब शेखावत को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में राजे का कड़ा विरोध झेलना पड़ा, तब से ये अफवाहें गर्म होती रहीं। लेकिन आज शेखावत ने इन्हें सिरे से खारिज करते हुए कहा, "राजनीति में विचारधारा में भिन्नता हो सकती है, लेकिन मनभेद की गुंजाइश नहीं। जो मन में रखते हैं, वे खुद अपनी उन्नति के मार्ग में बाधा बन जाते हैं।"
उन्होंने हालिया घटना का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री राजे से मिले थे। "अगर नाराजगी होती, तो क्या वे उपचुनाव की रणनीति पर चर्चा करने जाते? संबंधों की सहजता ही वहां प्रोटोकॉल की अनुपस्थिति दर्शाती है। जहां प्रोटोकॉल पैदा हो जाता है, वह परिवार टूट जाता है।" शेखावत ने जोर दिया कि भाजपा में कभी प्रोटोकॉल की व्यवस्था नहीं रही और न रहेगी। यह बयान न केवल आंतरिक कलह की अफवाहों को शांत करता है, बल्कि पार्टी की एकजुटता को मजबूत करने का संदेश भी देता है।
कर्नाटक की सियासत में चल रहे विवाद पर शेखावत का गुस्सा फूट पड़ा। राज्य के मंत्री प्रियांक खड़गे ने हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी। खड़गे ने आरएसएस को 'असंवैधानिक' बताते हुए युवाओं के दिमाग में नकारात्मक विचार भरने का आरोप लगाया। कर्नाटक कैबिनेट ने इस पर नए नियम लाने का फैसला भी कर लिया है।
शेखावत ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, "जिन लोगों ने ऐसा बयान दिया, उनकी यह हैसियत ही नहीं है कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर टिप्पणी करें। आजादी के बाद जब-जब किसी ने आरएसएस पर हमला किया, संघ और निखरकर सामने आया।" उन्होंने आरएसएस को राष्ट्र निर्माण का प्रतीक बताते हुए कहा कि करोड़ों स्वयंसेवक संस्कारित समाज और विश्व कल्याण के लिए समर्पित हैं। "हमारा कोई व्यक्तिगत लक्ष्य नहीं, उद्देश्य राष्ट्र उत्थान ही है।" यह बयान भाजपा की ओर से कांग्रेस पर सियासी हमले का हिस्सा बन गया, जो कर्नाटक में बढ़ते तनाव को और गहरा सकता है।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति पर शेखावत ने केंद्रीय मंत्री के नाते अपनी चिंता जाहिर की। दुर्गापुर में एक मेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना ने राज्य को शर्मसार कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विवादित बयान—"लड़कियां रात में सतर्क रहें"—ने आक्रोश को और भड़का दिया। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन राज्य सरकार इसे नकार रही है।
शेखावत ने कहा, "यह केवल महिलाओं की सुरक्षा की बात नहीं, बल्कि आम जन, जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा का सवाल है। मैं हर चुनाव में बंगाल जाता हूं और वहां की स्थिति राजस्थान से कल्पना से परे है। राज्य संरक्षण में अपराधी खुलेआम घटनाएं कर रहे हैं। पुलिस राजनीतिक दबाव में झुक जाती है।" उन्होंने इसे 'अकल्पनीय स्थिति' करार देते हुए टीएमसी पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। शेखावत का यह बयान केंद्र की ओर से बंगाल सरकार पर बढ़ते दबाव का संकेत है, खासकर जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं।
राजस्थान में आगामी उपचुनावों पर शेखावत का उत्साह देखते ही बन रहा है। हाल के पंचायत और निकाय उपचुनावों में भाजपा ने 36 में से 28 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई है। शेखावत ने कहा, "पहले भी जब पांच उपचुनाव हुए थे, हमने चार जीते। अंता में भी प्रचंड बहुमत से कमल खिलेगा। हम 'एक से अनेक' होंगे।" उन्होंने पार्टी की आंतरिक रणनीति को मजबूत बताते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा जनता को मिल रहा है।
गजेंद्र सिंह शेखावत का यह साक्षात्कार राजस्थान भाजपा के लिए एक मजबूत संदेश है—आंतरिक मतभेदों को दरकिनार कर चुनावी जंग लड़नी है। वसुंधरा राजे से सहज संबंधों का खुलासा न केवल अफवाहों को खत्म करता है, बल्कि पार्टी की एकता को रेखांकित करता है। कर्नाटक और बंगाल जैसे मुद्दों पर उनकी बेबाकी केंद्र की नीतियों का आईना है। जैसा कि शेखावत ने कहा, "राजनीति सेवा का माध्यम है, द्वेष का नहीं।" आने वाले दिनों में यह बयान राजस्थान की सियासत को नई दिशा दे सकता है।