Ashok Gehlot News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्कूली किताबों से आदिवासी इतिहास को हटाने के मुद्दे पर राज्य की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है। गहलोत ने मानगढ़ धाम के इतिहास और वीर कालीबाई के पाठ को सिलेबस से हटाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं और माफी की मांग की है।
गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, "जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है, तब से आदिवासियों के योगदान को हर जगह कमतर दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। चौथी कक्षा की किताब से मानगढ़ धाम का इतिहास हटाना बीजेपी की तुच्छ मानसिकता को दर्शाता है।" उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा की अलख जगाने वाली वीर कालीबाई का पाठ पहले ही हटाया जा चुका है। गहलोत ने तंज कसते हुए कहा, "बीजेपी ने ठान लिया है कि आदिवासियों के बलिदान और उनकी गाथाओं को लोगों की स्मृति से मिटा देगी, लेकिन आदिवासी समाज का योगदान इतना कमजोर नहीं कि उसे किताबों से हटाकर भुलाया जा सके।"
राजस्थान में स्कूली सिलेबस में बदलाव का मुद्दा कोई नया नहीं है। हर बार सरकार बदलने के साथ ही सिलेबस में बदलाव को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर स्कूली शिक्षा के भगवाकरण का आरोप पहले भी लगाया है। पहले मुगलकाल के इतिहास को सिलेबस में जगह देने और जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख नेताओं से जुड़े चैप्टर्स को हटाने को लेकर भी विवाद हो चुके हैं। इस बार आदिवासी इतिहास से जुड़े पाठों में बदलाव ने विपक्ष को एक नया मुद्दा दे दिया है।
मानगढ़ धाम आदिवासी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है, जो आदिवासियों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। वहीं, कालीबाई एक ऐसी वीरांगना के रूप में जानी जाती हैं, जिन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इन दोनों को स्कूली सिलेबस से हटाने का निर्णय न केवल आदिवासी समाज के योगदान को कमतर करता है, बल्कि उनके इतिहास और गौरव को नई पीढ़ी तक पहुंचने से भी रोकता है।
कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावर है और इसे आदिवासी समाज के अपमान के रूप में पेश कर रही है। पार्टी ने साफ किया है कि वह इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी। गहलोत ने कहा, "आदिवासी समाज का इतिहास और बलिदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इसे मिटाने की कोशिश निंदनीय है।"