देश: कृषि कानूनों पर सरकार का रुख सकारात्मक लेकिन एमएसपी पर अब भी सवाल है: टिकैत

देश - कृषि कानूनों पर सरकार का रुख सकारात्मक लेकिन एमएसपी पर अब भी सवाल है: टिकैत
| Updated on: 21-Nov-2021 01:17 PM IST
नई दिल्ली: किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रधानमंत्री की घोषणा “आश्चर्य” है और यह एक “सकारात्मक” संकेत है कि सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है. हालांकि, टिकैत ने यह स्पष्ट कर दिया कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में तीनों कानूनों को निरस्त किए जाने तक किसान धरना स्थल से नहीं हटेंगे. उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों के लिए अगला मुद्दा कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य होगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार राकेश टिकैत ने कहा, ‘हम संसद में कृषि कानूनों को निरस्त होते हुए देखने से पहले वापस नहीं जा रहे हैं और फिर हम एमएसपी पर अपनी चर्चा शुरू करेंगे. बड़ा सवालिया निशान अब एमएसपी पर है. 22 जनवरी से, हमने सरकार के साथ कोई चर्चा नहीं की है. लखीमपुर मुद्दे के दौरान भी हमने केवल उस विशेष मुद्दे पर अधिकारियों के साथ चर्चा की थी… शुक्रवार की सुबह प्रधानमंत्री की घोषणा आश्चर्यजनक थी, हमें इसकी कोई पहले से जानकारी नहीं थी.’

टिकैत ने कहा, ‘सरकार ने एक लाइन पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और यह हमारे लिए एक सकारात्मक संकेत है.’ उन्होंने कहा कि कृषि नेताओं की बैठक के बाद उनके अलगे कदम के बारे में और स्पष्टता सामने आएगी. दरअसल, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर आखिरकार अपनी सरकार के कदम वापस खींच लिए और देश से ‘‘क्षमा’’ मांगते हुए इन्हें निरस्त करने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की.

पीएम मोदी ने किसानों से घर लौटने की है अपील

प्रधानमंत्री ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यह घोषणाएं की और विवादास्पद कानूनों का विरोध कर रहे किसानों व कृषक संगठनों से अपना आंदोलन समाप्त करने की गुजारिश की. उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा, ‘मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए हैं.’ उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों से अपने घर वापस लौट जाने की अपील भी की.

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