Chandra Kumar Bose: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उनका पार्टी को छोड़ना बंगाल में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। उन्होंने पार्टी छोड़ने के पीछे मतभेदों का हवाला दिया और बुधवार को भाजपा से इस्तीफा दे दिया। चंद्र कुमार बोस 2016 में पश्चिम बंगाल में भाजपा के उपाध्यक्ष थे और 2020 में उन्हें हटा दिया गया था। अपने त्याग पत्र में उन्होंने लिखा है कि उन्हें बोस भाइयों - सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की विचारधारा का प्रचार करने के लिए भाजपा से न तो केंद्र ना ही राज्य स्तर पर कोई समर्थन मिला। उन्होंने आगे लिखा- "इन प्रशंसनीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मेरे स्वयं के उत्साही प्रचार प्रयासों को पश्चिम बंगाल में केंद्र या राज्य स्तर पर भाजपा से कोई समर्थन नहीं मिला है। मैंने लोगों तक पहुंचने के लिए बंगाल की रणनीति का सुझाव देते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव रखा था। लेकिन मेरे प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया। इन दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए, मेरे लिए भाजपा के सदस्य के रूप में बने रहना असंभव हो गया है''।
चंद्र कुमार बोस ने और क्या कहा?उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के साथ मेरी चर्चा तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की समावेशी विचारधारा पर केंद्रित थी. उस समय मेरी समझ यह थी कि मैं इसका प्रचार करूंगा. मैं बीजेपी के मंच से उनकी विचारधारा को पूरे देश में ले जाऊंगा. चिट्ठी में चंद्र कुमार बोस आगे लिखते हैं कि बीजेपी के फ्रेमवर्क में एक आजाद हिंद मोर्चा बनाने का भी निर्णय लिया गया, जिसका प्राथमिक उद्देश्य धर्म, जाति और पंथ के बावजूद सभी समुदायों को भारतीय के रूप में एकजुट करने की नेताजी की विचारधारा को बढ़ावा देना था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को एकजुट रखने के लिए यह जरूरी है.इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मेरे प्रयासों को केंद्र और राज्य स्तर पर बीजेपी से कोई समर्थन नहीं मिला. उन्होंने कहा, मैंने राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए बंगाल रणनीति का सुझाव देते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव रखा था, लेकिन मेरे प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया.चंद्र कुमार बोस को 2016 में पश्चिम बंगाल बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया गया था. चार साल बाद यानी 2020 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. बोस ने विभिन्न मुद्दों पर पश्चिम बंगाल नेतृत्व पर बार-बार सवाल उठाए थे और 2019 में पार्टी के आधिकारिक रुख के खिलाफ जाकर CAA का विरोध भी किया था.