H-1B Visa Fees: H-1B वीजा शुल्क बढ़ोतरी: भारतीय IT कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों से ज्यादा असर क्यों?
H-1B Visa Fees - H-1B वीजा शुल्क बढ़ोतरी: भारतीय IT कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों से ज्यादा असर क्यों?
अमेरिका द्वारा H-1B वीजा शुल्क में किए गए बदलावों से भारतीय आईटी कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ा है. 19 सितंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि प्रत्येक नए H-1B वीजा आवेदन पर $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) का शुल्क लगेगा. इस फैसले से भारत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि पिछले साल जारी किए गए 71% H-1B वीजा भारतीयों को मिले थे. इस शुल्क का सबसे बड़ा असर आईटी कंपनियों पर पड़ रहा है, चाहे वे भारतीय हों या अमेरिकी.
वेतन का अंतर: भारतीय कंपनियों पर दोहरा बोझ
इस शुल्क बढ़ोतरी के पीछे का कारण H-1B कर्मचारियों के वेतन के आंकड़ों में निहित है. TCS के H-1B कर्मचारियों की औसत वार्षिक सैलरी $78,000 है, जबकि Infosys के कर्मचारियों की औसत सैलरी $71,000 है और वहीं, Amazon में यह औसत $143,000 और Microsoft में $141,000 है. इसका सीधा मतलब यह है कि भारतीय कंपनियों के कर्मचारियों की तुलना में यह नया शुल्क उनकी सैलरी के अनुपात में लगभग दोगुना भारी पड़ता है. यह भारतीय कंपनियों के मुनाफे पर कहीं अधिक असर डाल रहा है, जिससे उनके शेयर मूल्य में भी गिरावट आई है. शुल्क की घोषणा के बाद एक हफ्ते में TCS के शेयर 8. 9% और Infosys के शेयर 6 और 1% गिर गए थे, जबकि Amazon और Microsoft के शेयरों में कम गिरावट देखी गई.
H-1B वीजा पर निर्भर भारतीय आईटी कंपनियों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है. अमेरिका की नई नीति अब उच्च वेतन देने वाली कंपनियों को वीजा देने की ओर इशारा कर रही है. $100,000 का यह नया शुल्क इसी दिशा में पहला कदम माना जा रहा है और दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी टेक कंपनियों ने इस शुल्क का विरोध नहीं किया. इसका कारण यह है कि H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के जरिए दिए जाते हैं और अगर यह शुल्क भारतीय कंपनियों को आवेदन करने से हतोत्साहित करता है, तो अमेरिकी कंपनियों के लिए वीजा मिलने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे उन्हें अधिक कुशल कार्यबल तक पहुंच मिलती है.भारत में रोजगार के अवसर और TCS की रणनीति
इस स्थिति का एक सकारात्मक पहलू यह हो सकता है कि. भारतीय आईटी कंपनियां अब भारत के भीतर अधिक लोगों को नौकरी देंगी. जिन H-1B वीजा को अब प्राप्त करना मुश्किल होगा, उनकी जगह घरेलू कर्मचारियों की भर्ती की जा सकती है. यदि कंपनियां अपने बिजनेस मॉडल को इस बदलाव के अनुसार ढाल लेती हैं, तो उनके शेयर फिर से तेजी पकड़ सकते हैं. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के एचआर प्रमुख ने बताया है कि कंपनी का बिजनेस. मॉडल H-1B वीजा में हुए बदलावों के अनुसार खुद को आसानी से ढाल सकता है. कंपनी अमेरिका में अपने स्थानीय कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही है और H-1B वीजा पर निर्भरता काफी कम कर दी है, वर्तमान में केवल लगभग 500 कर्मचारी ही अमेरिका में H-1B वीजा पर काम कर रहे हैं.