Hanumangarh Ethanol Factory: हनुमानगढ़ में किसानों की बड़ी जीत: एथेनॉल फैक्ट्री का विरोध सफल, कंपनी ने बदला फैसला

Hanumangarh Ethanol Factory - हनुमानगढ़ में किसानों की बड़ी जीत: एथेनॉल फैक्ट्री का विरोध सफल, कंपनी ने बदला फैसला
| Updated on: 20-Dec-2025 06:03 PM IST
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर चल रहे लंबे विवाद का अंत हो गया है। किसानों के लगातार और मुखर विरोध, साथ ही फैक्ट्री परिसर में हुई आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद, कंपनी प्रबंधन ने हनुमानगढ़ के टिब्बी में एथेनॉल फैक्ट्री स्थापित न करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह फैसला स्थानीय किसानों और ग्रामीणों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने अपनी मांगों को लेकर दृढ़ता से संघर्ष किया। कंपनी प्रबंधन ने इस घटनाक्रम पर राज्य सरकार के 'राइजिंग राजस्थान' जैसे निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रमों पर। भी सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि ऐसे माहौल में राज्य में निवेश कैसे आ पाएगा।

एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध का कारण

हनुमानगढ़ के टिब्बी में एथेनॉल फैक्ट्री का निर्माण स्थानीय किसानों और ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गया था। उनका मुख्य विरोध इस आशंका पर आधारित था कि फैक्ट्री के संचालन से क्षेत्र में जल प्रदूषण बढ़ेगा, जिससे उनकी कृषि भूमि और भूजल संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। किसानों का मानना था कि यह उनके जीवन और आजीविका को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। इस गंभीर चिंता के चलते, किसानों ने काफी समय से फैक्ट्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था और उन्होंने कई बार धरने दिए और अपनी रणनीति तय करने के लिए दो बार महापंचायतें भी आयोजित कीं, जो उनके विरोध की गंभीरता को दर्शाता है।

हिंसक घटना और किसानों की मांगें

विरोध प्रदर्शनों ने 10 दिसंबर को एक हिंसक मोड़ ले लिया, जब टिब्बी। में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर किसानों की महापंचायत के बाद स्थिति बिगड़ गई। महापंचायत के बाद, किसान और स्थानीय लोग फैक्ट्री की ओर कूच कर रहे थे, लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इस दौरान किसान और ग्रामीण उग्र हो गए, जिसके परिणामस्वरूप एथेनॉल फैक्ट्री परिसर में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी हुई। फैक्ट्री परिसर के अंदर और बाहर खड़े कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि कई अन्य वाहनों में तोड़फोड़ की गई। इस घटना के बाद, किसानों ने अपनी दो मुख्य मांगें रखीं: टिब्बी के राठीखेड़ा में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री का एमओयू (समझौता ज्ञापन) रद्द किया जाए और किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।

राज्य सरकार की कमेटी का गठन

फैक्ट्री में हुई आगजनी और तोड़फोड़ की हिंसक घटना के बाद, राज्य सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च-स्तरीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य फैक्ट्री पर किसानों द्वारा उठाई गई आपत्तियों और जल प्रदूषण की आशंकाओं का गहन अध्ययन करना था। कमेटी में वन एवं पर्यावरण विभाग के विशिष्ट शासन सचिव, हनुमानगढ़ कलेक्टर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के वरिष्ठ अभियंता अरविंद अग्रवाल और भूजल विभाग के चीफ इंजीनियर सूरजभान जैसे महत्वपूर्ण अधिकारियों को शामिल किया गया था। इस कमेटी का गठन यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ने किसानों की चिंताओं और घटना के बाद की स्थिति को गंभीरता से लिया था।

कंपनी का राजस्थान से बाहर जाने का फैसला

हिंसक घटना के बाद, पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कई किसानों को हिरासत में लिया और 100 से अधिक किसानों पर एफआईआर भी दर्ज की गई। इस कार्रवाई के विरोध में और अपनी मांगों को दोहराने के लिए, किसानों ने 17 दिसंबर को धानमंडी में एक और महापंचायत की। इस महापंचायत में, किसानों ने प्रशासन के सामने अपनी मांगें रखते। हुए उन्हें पूरा करने के लिए 20 दिन का समय दिया। साथ ही, उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि इन 20 दिनों में उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो 07 जनवरी को संगरिया में एक विशाल महापंचायत आयोजित की जाएगी, जिसमें हजारों की संख्या में किसान और स्थानीय लोग शामिल होंगे।

यह किसानों की दृढ़ता और एकजुटता को दर्शाता है। किसानों के लगातार विरोध प्रदर्शनों, हिंसक घटनाओं और कानूनी कार्रवाइयों के बाद, कंपनी प्रबंधन ने अंततः यह निर्णय लिया है कि अब टिब्बी के राठीखेड़ा में एथेनॉल फैक्ट्री नहीं लगाई जाएगी। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वह अब इस फैक्ट्री को राजस्थान के बाहर किसी दूसरे राज्य में स्थापित करेगी। कंपनी प्रबंधन ने बताया कि उन्हें दूसरे राज्यों से फैक्ट्री लगाने के लिए कई प्रस्ताव मिल रहे हैं, जहां की राज्य सरकारें अपने यहां निवेश के लिए अनुकूल माहौल प्रदान कर रही हैं। इस दौरान, कंपनी ने एक बार फिर राज्य सरकार के 'राइजिंग राजस्थान' जैसे कार्यक्रमों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब निवेशकों को ऐसे विरोध और हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ता है, तो ऐसे राज्य में निवेश कैसे आ पाएगा। यह घटना राजस्थान में निवेश के माहौल पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ सकती है।

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