Hanumangarh Protest: एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में हनुमानगढ़ में महापंचायत: किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में बड़े आंदोलन की तैयारी

Hanumangarh Protest - एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में हनुमानगढ़ में महापंचायत: किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में बड़े आंदोलन की तैयारी
| Updated on: 12-Dec-2025 01:55 PM IST
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी (राठीखेड़ा) में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड की निर्माणाधीन फैक्ट्री के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। 10 दिसंबर को हुई हिंसक झड़पों और उपद्रव के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है, जिसके चलते शुक्रवार को भी लगातार चौथे दिन टिब्बी में इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। इस बीच, आंदोलन को और धार देने के लिए 17 दिसंबर को एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया। है, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत सहित पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई बड़े किसान नेता शामिल होंगे। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हनुमानगढ़ के कलेक्टर और एसपी का तबादला नहीं हो जाता, तब तक वे प्रशासन से किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं करेंगे।

महापंचायत का ऐलान: बड़े किसान नेताओं की जुटान

अखिल भारतीय किसान सभा और संयुक्त मोर्चे के बैनर तले, टिब्बी के किसानों के समर्थन में और एथेनॉल। फैक्ट्री के विरोध में 17 दिसंबर को हनुमानगढ़ के जिला कलेक्ट्रेट पर एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। किसान नेता जगजीत सिंह जग्गी ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि इस महापंचायत में देशभर से किसान एकजुट होंगे। राकेश टिकैत जैसे प्रमुख किसान नेता की उपस्थिति इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगी और किसानों के मनोबल को बढ़ाएगी। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी तमाम बड़े किसान नेता इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के लिए हनुमानगढ़ पहुंचेंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह केवल स्थानीय मुद्दा नहीं बल्कि एक व्यापक किसान आंदोलन का हिस्सा बन रहा है। इस महापंचायत का मुख्य उद्देश्य प्रशासन पर दबाव बनाना और फैक्ट्री के निर्माण को स्थायी रूप से रुकवाना है, साथ ही 10 दिसंबर की घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करना है।

आंदोलन की पृष्ठभूमि: शांतिपूर्ण विरोध से उग्र प्रदर्शन तक

ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, जो चंडीगढ़ में पंजीकृत है, राठीखेड़ा में 40 मेगावाट का अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट स्थापित कर रही है और कंपनी का दावा है कि यह प्लांट केंद्र सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का समर्थन करेगा, जिसका उद्देश्य पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर पर्यावरण को लाभ पहुंचाना और किसानों की आय बढ़ाना है। हालांकि, स्थानीय किसानों को इस प्लांट से गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है। सितंबर 2024 से जून 2025 तक लगभग 10 महीने तक किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से इस फैक्ट्री के निर्माण का विरोध किया। यह विरोध जुलाई 2025 में तब और तेज हो गया जब कंपनी ने फैक्ट्री। की चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) का निर्माण शुरू किया, जिससे किसानों का गुस्सा भड़क उठा। किसानों का मानना था कि यह निर्माण उनकी जमीन और भविष्य के लिए खतरा है। किसानों के बढ़ते विरोध के बावजूद, 19 नवंबर 2025 को पुलिस सुरक्षा में फैक्ट्री का निर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया गया।

इस कदम ने किसानों के आक्रोश को और बढ़ा दिया। विरोध प्रदर्शनों के दौरान, किसान नेता महंगा सिंह सहित 12 से अधिक किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद 20 और 21 नवंबर को भी 67 अन्य किसानों ने अपनी गिरफ्तारी दी, जो इस बात का संकेत था कि किसान अपने आंदोलन को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं। इन गिरफ्तारियों ने किसानों के मन में प्रशासन के प्रति अविश्वास और नाराजगी को और गहरा कर दिया, जिससे आगे चलकर बड़े टकराव की जमीन तैयार हुई। किसानों का आरोप था कि प्रशासन उनकी जायज मांगों को अनसुना। कर रहा है और बलपूर्वक फैक्ट्री का निर्माण करवा रहा है।

10 दिसंबर की घटना: हिंसा और उपद्रव का दिन

10 दिसंबर को किसानों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। दोपहर में, किसानों ने टिब्बी एसडीएम कार्यालय के सामने एक विशाल। सभा का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में किसान एकजुट हुए। शाम करीब 4 बजे, सैकड़ों किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर राठीखेड़ा गांव स्थित फैक्ट्री साइट पर पहुंच गए। वहां पहुंचते ही उन्होंने निर्माणाधीन फैक्ट्री की दीवार तोड़ दी, जो उनके लंबे समय से चले आ रहे विरोध का एक प्रतीकात्मक और निर्णायक कदम था। फैक्ट्री परिसर में घुसने के बाद, प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय में आग लगा दी, जिससे संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसने स्थिति को और भी विस्फोटक बना दिया। इस बवाल में कांग्रेस विधायक सहित 70 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल थे।

घायलों की स्थिति और क्षेत्र में भय का माहौल

इस हिंसक झड़प के परिणामस्वरूप, टिब्बी के सरकारी अस्पताल में 11 दिसंबर को 40 घायल पुलिसकर्मी भर्ती हुए थे, जिनमें से 12 को गंभीर चोटों के कारण हनुमानगढ़ रेफर करना पड़ा और इसके अलावा, 12 सिविलियन भी भर्ती हुए थे, जिनमें से 5 को हनुमानगढ़ रेफर किया गया और 5 को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। कुछ घायल किसान टिब्बी के गुरुद्वारे में ही रुके हुए हैं, जहां उन्हें चिकित्सा सहायता और आश्रय मिल रहा है और इस घटना के बाद फैक्ट्री के आसपास रहने वाले करीब 30 परिवार डर के मारे अपने घर छोड़कर भाग गए हैं, जिससे क्षेत्र में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है। पुलिस ने इस उपद्रव मामले में 107 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और 40 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है, जो प्रशासन की सख्त कार्रवाई का संकेत है।

प्रशासन और किसानों के आरोप-प्रत्यारोप: वार्ता विफल

गुरुवार को किसानों और प्रशासन के बीच दो दौर की वार्ता हुई, लेकिन दोनों ही विफल रहीं। टिब्बी पहुंचे एडीजी वीके सिंह ने आरोप लगाया कि 10 दिसंबर को सब कुछ शांति से चल रहा था, लेकिन "बाहरी लोगों ने इस उपद्रव को भड़काया। " वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला महासचिव मंगेज चौधरी ने पुलिस पर पलटवार करते हुए कहा कि "पुलिस के हथियार जंग लगे थे, नहीं तो ये सैकड़ों लोगों की जान ले लेते। " उन्होंने 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट का घेराव करने की चेतावनी भी दी। सादुलशहर भाजपा विधायक गुरवीर सिंह बराड़ ने भी गुरुवार देर शाम टिब्बी के गुरुद्वारा सिंह सभा में किसानों से बातचीत की। जोगाराम पटेल ने इस पूरी घटना को "प्रायोजित" बताया और कहा कि यह किसानों का आंदोलन नहीं था, बल्कि "राजस्थान के बाहर से आए करीब एक हजार लोगों ने फैक्ट्री में हिंसा की थी। " उन्होंने सरकार की ओर से वार्ता के लिए तैयार होने की बात कही, लेकिन कानून को हाथ में न लेने की चेतावनी भी दी।

किसानों की मुख्य मांगें: एसपी-कलेक्टर का तबादला और पर्यावरणीय चिंताएं

किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक दृढ़ रुख अपनाया हुआ है। उन्होंने साफ कहा है कि जब तक हनुमानगढ़ के एसपी और कलेक्टर का तबादला नहीं हो जाता, तब तक वे प्रशासन से कोई बातचीत नहीं करेंगे। कांग्रेस नेता डॉ. प्रियंका चाहर ने भी गुरुद्वारे पहुंचकर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने महिलाओं को धोखे से बुलाकर गेट के अंदर बैठाया और फिर उन पर लाठीचार्ज किया और उनका आरोप है कि एक पुरुष पुलिसकर्मी ने महिलाओं पर लाठियां चलाईं, जो अमानवीय और नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कलेक्टर से इसकी जांच, जिम्मेदार पुलिसकर्मी की तुरंत नौकरी से छुट्टी और उस पर केस दर्ज करने की मांग की है और किसानों की मुख्य चिंता पर्यावरणीय प्रदूषण को लेकर भी है।

सुखजीत कौर और बलविंद्र कौर जैसी महिला किसानों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर फैक्ट्री यहां लग गई तो पानी प्रदूषित होगा, जिससे दमा, कैंसर, सांस और चर्म रोग जैसी बीमारियां फैलेंगी और उनका जीवन "नर्क" बन जाएगा। उन्होंने कहा कि फैक्ट्री का प्रदूषित पानी जमीन में जाएगा तो पीने का पानी भी खराब हो जाएगा और उनकी धरती बंजर हो जाएगी। वे केवल स्वच्छ हवा और पानी की मांग कर रहे हैं, जिसके लिए वे 16 महीने से एसपी-कलेक्टर से मिन्नतें कर रहे हैं।

भविष्य की रणनीति और बैठकों का दौर

आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए हनुमानगढ़ के टिब्बा स्थित गुरुद्वारा सिंह साहिब में लगातार बैठकें हो रही हैं और शुक्रवार को दोपहर 2 बजे कोर कमेटी के सदस्यों की मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें आंदोलन की दिशा तय की गई। गुरुद्वारा साहिब से लगातार अनाउंसमेंट करके अधिक से अधिक संख्या में किसानों से पहुंचने की अपील की जा रही है और सुबह 11:30 बजे भी गुरुद्वारा साहिब में आंदोलन की रणनीति पर चर्चा हुई। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने वाले नहीं हैं और 17 दिसंबर की। महापंचायत इस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी, जो प्रशासन पर उनकी मांगों को मानने के लिए और अधिक दबाव डालेगी।

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