Hanumangarh Clash: हनुमानगढ़ में पुलिस-किसानों में भीषण झड़प: गाड़ियां जलीं, आंसू गैस के गोले दागे, कांग्रेस विधायक घायल

Hanumangarh Clash - हनुमानगढ़ में पुलिस-किसानों में भीषण झड़प: गाड़ियां जलीं, आंसू गैस के गोले दागे, कांग्रेस विधायक घायल
| Updated on: 10-Dec-2025 09:37 PM IST
हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी इलाके के राठी खेड़ा गांव में बुधवार को ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड की निर्माणाधीन फैक्ट्री के विरोध में किसानों और पुलिस के बीच एक गंभीर झड़प देखने को मिली। यह घटना तब हुई जब आक्रोशित किसानों ने ट्रैक्टरों का उपयोग करके फैक्ट्री की चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद स्थिति तेजी से बिगड़ गई।

हिंसक टकराव और आगजनी

किसानों के फैक्ट्री परिसर में घुसने के बाद, पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। जवाब में, प्रदर्शनकारियों ने ईंट और पत्थर फेंके, जिससे लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए। इन घायल पुलिसकर्मियों को टिब्बी कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले जाया गया। इसके अतिरिक्त, किसानों ने कई वाहनों में तोड़फोड़ की और कम से कम 10 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया, जिनमें एक जेसीबी, सात कारें और दो बाइक शामिल थीं और इनमें से एक पुलिस की सरकारी गाड़ी थी, जबकि कुछ निजी वाहन पुलिसकर्मियों के बताए जा रहे हैं। इस हिंसक झड़प में कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया भी घायल हो गए, जिन्हें हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। किसान लंबे समय से हनुमानगढ़ में 40 मेगावाट के अनाज-आधारित इथेनॉल प्लांट के निर्माण का विरोध कर रहे हैं, उनका आरोप है कि इससे क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ेगा। यह विरोध इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) के प्रदूषित पानी की मौजूदा समस्या को और बढ़ा सकता है। बुधवार को, किसानों ने एसडीएम कार्यालय के सामने एक सभा आयोजित की, जहां उन्होंने जिला कलेक्टर को वार्ता के लिए बुलाया और फैक्ट्री का निर्माण कार्य तत्काल बंद करने की मांग की। किसानों ने लिखित आश्वासन मांगा कि फैक्ट्री का काम रोक दिया जाएगा, लेकिन प्रशासन ने लिखित आदेश देने में असमर्थता जताई, जिससे वार्ता विफल हो गई। दोपहर 2 बजे तक कोई समाधान न निकलने पर, शाम 4 बजे किसानों ने फैक्ट्री की दीवार। तोड़ने के लिए कूच कर दिया, जिससे एकाएक अफरा-तफरी मच गई और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा व्यवस्था

घटना के बाद, प्रशासन ने टिब्बी कस्बे और आसपास के गांवों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं, और स्कूल व दुकानें भी बंद कर दी गईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, पुलिस अधीक्षक हरिशंकर के नेतृत्व में लगभग 500 पुलिसकर्मी, आधा दर्जन थाना प्रभारी, एक एएसपी और दो डीएसपी टिब्बी में तैनात थे। इसके अलावा, 18 नवंबर से टिब्बी इलाके में धारा 163 भी लागू है और फैक्ट्री स्थल पर निर्माण कार्य जारी रखने के लिए सीमा गृह रक्षा दल की दो बटालियनें लगातार तैनात हैं, जो क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल को दर्शाती हैं।

ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड और परियोजना का विवरण

ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, जो 2020 में चंडीगढ़ में पंजीकृत हुई थी, हनुमानगढ़ के टिब्बी से कुछ किलोमीटर दूर राठीखेड़ा के पास चक 4 आरके में 450 करोड़ रुपये की लागत से एशिया की सबसे बड़ी इथेनॉल फैक्ट्री का निर्माण कर रही है और इस परियोजना का उद्देश्य भारत के इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का समर्थन करना है। कंपनी के निदेशक जतिंदर अरोरा और रॉबिन जिंदल हैं। किसानों का मुख्य विरोध इस बात पर केंद्रित है कि यह फैक्ट्री पर्यावरण को। गंभीर रूप से प्रभावित करेगी, जिससे स्थानीय कृषि और जल संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

राजनीतिक समर्थन और नेताओं की भूमिका

इस किसान आंदोलन को कांग्रेस और माकपा सहित कई विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त है। सभा में श्रीगंगानगर सांसद कुलदीप इंदौरा, संगरिया विधायक अभिमन्यु पूनिया, भादरा के पूर्व विधायक बलवान पूनिया, माकपा नेता मंगेज चौधरी सहित हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों के कई नेता शामिल हुए। सांसद कुलदीप इंदौरा ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं को नहीं समझ रही है और कांग्रेस इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने लोकसभा में इस मामले को उठाने का प्रयास करने की बात भी कही, लेकिन उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।

आगे की रणनीति और जारी वार्ता

प्रशासन से वार्ता विफल होने के बाद, किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी, जिसमें शबनम गोदारा, नितिन ढाका, सुखजीत चटठा, जगजीत जग्गी और इंद्रजीत शामिल थे, गुरुद्वारा साहिब पहुंच गई। यहां आगे के आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही है और आंदोलनकारियों के लिए खाने की व्यवस्था की गई है और कांग्रेस नेता शबनम गोदारा और माकपा नेता जगजीत जग्गी सहित बड़ी संख्या में लोग अभी भी फैक्ट्री की साइट पर बैठे हैं और प्रशासन से फैक्ट्री निर्माण बंद होने का लिखित आश्वासन मांग रहे हैं। नेताओं और प्रशासन के बीच वार्ता अभी भी जारी है, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं और प्रशासन के लिखित आश्वासन के बिना पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

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