Modi 3.0 Government: भारत में हाई-स्पीड रोड नेटवर्क को मिलेगा बूस्टर डोज, सरकार ने बनाया खास प्लान

Modi 3.0 Government - भारत में हाई-स्पीड रोड नेटवर्क को मिलेगा बूस्टर डोज, सरकार ने बनाया खास प्लान
| Updated on: 06-Sep-2025 12:40 PM IST

Modi 3.0 Government: भारत सरकार अपने परिवहन बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने और लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए एक विशाल योजना पर काम कर रही है। इस योजना के तहत अगले एक दशक में हाई-स्पीड रोड नेटवर्क को पांच गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 125 बिलियन डॉलर यानी करीब 11 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। यह कदम भारत को वैश्विक स्तर पर अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जैसे चीन और अमेरिका, के समकक्ष लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

योजना का दायरा और उद्देश्य

इस योजना के तहत, भारत 17,000 किलोमीटर (10,563 मील) लंबा हाई-स्पीड रोड नेटवर्क विकसित करेगा, जो वाहनों को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा करने की अनुमति देगा। यह नेटवर्क पारंपरिक राजमार्गों की तुलना में तेज, सुरक्षित और अधिक कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। प्रस्तावित नेटवर्क का लगभग 40% हिस्सा पहले से ही निर्माणाधीन है और 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है। शेष गलियारों पर काम 2028 तक शुरू होगा और 2033 तक पूरा होने का लक्ष्य है।

यह प्रयास न केवल परिवहन को बेहतर बनाएगा, बल्कि लॉजिस्टिक लागत को कम करके भारत की आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा। वर्तमान में, भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 146,000 किलोमीटर से अधिक लंबा है, लेकिन केवल 4,500 किलोमीटर ही हाई-स्पीड मानकों को पूरा करते हैं। इस अंतर को पाटने के लिए यह योजना महत्वपूर्ण है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत

चीन ने 1990 के दशक से अब तक 180,000 किलोमीटर से अधिक एक्सप्रेसवे बनाए हैं, जबकि अमेरिका 75,000 किलोमीटर से अधिक अंतरराज्यीय राजमार्गों का रखरखाव करता है। भारत की यह योजना, भले ही पैमाने में थोड़ी छोटी हो, अपनी महत्वाकांक्षी समयसीमा और हाइब्रिड फाइनेंशिंग मॉडल के कारण निजी पूंजी को आकर्षित करने में सक्षम है। यह मॉडल निजी कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे परियोजना की गति और गुणवत्ता दोनों बढ़ती है।

निजी निवेश और फाइनेंशिंग मॉडल

इस परियोजना में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख फाइनेंशिंग मॉडल अपनाए जा रहे हैं:

  1. बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल: यह मॉडल उन परियोजनाओं के लिए है, जो 15% या उससे अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखती हैं। इसके तहत निजी कंपनियां सड़कों का निर्माण करेंगी और टोल के जरिए अपनी लागत वसूल करेंगी।

  2. हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल: कम रिटर्न वाली परियोजनाओं के लिए इस मॉडल का उपयोग होगा, जिसमें सरकार निर्माण लागत का 40% अग्रिम भुगतान करती है। वर्तमान में अधिकांश परियोजनाएं इसी मॉडल के तहत चल रही हैं।

हालांकि, हाल के वर्षों में सड़क क्षेत्र में निजी रुचि कम रही है। सरकार अब निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी की उम्मीद कर रही है। इस दिशा में ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट, ब्लैकस्टोन इंक., मैक्वेरी ग्रुप और कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड जैसे वैश्विक निवेशकों ने पूंजी निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अतिरिक्त, अडानी समूह ने सड़कों सहित बुनियादी ढांचे में 18.4 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है।

एनएचएआई की भूमिका और बजट

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इस परियोजना का नेतृत्व कर रहा है। मार्च 2025 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में एनएचएआई ने सड़क निर्माण पर रिकॉर्ड 2.5 ट्रिलियन रुपये खर्च किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21% अधिक है। मार्च 2026 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने सड़कों और राजमार्गों के लिए बजट को बढ़ाकर 2.9 ट्रिलियन रुपये कर दिया है। यह बढ़ा हुआ बजट परियोजना की गति को और तेज करने में मदद करेगा।

भविष्य की संभावनाएं

डेलॉयट इंडिया के अनुमान के अनुसार, नीतिगत समर्थन, बढ़ती मांग और नियोजित परियोजनाओं के पैमाने के कारण भारत अगले तीन वर्षों में बुनियादी ढांचे में सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश आकर्षित कर सकता है। यह न केवल परिवहन नेटवर्क को मजबूत करेगा, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि को भी गति देगा।

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