देश: ऐतिहासिक गरतांग गली लकड़ी पुल उत्तराखंड में मरम्मत के बाद पर्यटकों के लिए खुला

देश - ऐतिहासिक गरतांग गली लकड़ी पुल उत्तराखंड में मरम्मत के बाद पर्यटकों के लिए खुला
| Updated on: 20-Aug-2021 12:52 PM IST
उत्तरकाशी: लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बना यह पुल इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। इंसान की ऐसी कारीगरी और हिम्मत की मिसाल देश के किसी भी अन्य हिस्से में देखने के लिए नहीं मिलती। यह पुल 59 साल बाद आम जनता के लिए खुल रहा है।

पेशावर के पठानों ने बनाया था

उत्‍तरकाशी की नेलांग घाटी में एक 150 साल पुराना लकड़ी का पुल है। इसे 11 हजार फीट की ऊंचाई पर इसे पेशावर के पठानों ने बनाया था। इसे फिर से 59 साल बाद टूरिस्‍टों के लिए खोल दिया गया है। इसे 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था।

​गरतांग गली के नाम से मशहूर है​

करीब 136 मीटर लंबा यह ऐतिहास‍िक लकड़ी का पुल गरतांग गली के नाम से मशहूर है। इसे जनता के लिए खोलने का आदेश बुधवार को उत्‍तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने दिया।

यहां से तिब्‍बत को होता था व्‍यापार

इस पुल का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्‍व है। एक समय में यह भारत और तिब्‍बत के बीच सीमा पार व्‍यापार का मुख्‍य रास्‍ता था। इसे भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टानों पर लोह की रॉड गाड़कर लकड़‍ियां बिछाकर बनाया गया है।

इनर लाइन परमिट की जरूरत नहीं

इसके जरिए ऊन और मसालों समेत दूसरी चीजों का व्‍यापार होता था। कुछ साल पहले ही केंद्र सरकार ने यहां के लिए इनर लाइन परमिट की अनिवार्यता को खत्‍म कर दिया था।

दूसरे इलाकों में इनर लाइन परमिट जरूरी

हालांकि, नेलांग घाटी के दूसरे इलाकों में जाने के लिए अभी भी इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है। लेकिन अब गरतांग गली के लिए इसकी जरूरत नहीं रह गई है।

पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है

अब सरकार ने इसकी मरम्‍मत करने और मुख्‍य टूरिस्‍ट आकर्षण के रूप में विकस‍ित करने का फैसला किया है। जुलाई में 64 लाख रुपये की लागत से पुनर्निर्माण कार्य पूरा हुआ है। इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है।

कोरोना प्रोटोकॉल का होगा पालन

यह क्षेत्र वनस्पति और वन्यजीवों के लिहाज से भी काफी समृद्ध है और यहां दुर्लभ पशु जैसे हिम तेंदुआ और ब्लू शीप यानी भरल रहते हैं। गंगोत्री नेशनल पार्क के डेप्‍युटी डायरेक्‍टर आरएन पांडेय का कहना है कि यहां आने वाले टूरिस्‍टों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा गया है। एक बार में पुल पर 10 टूरिस्‍टों को भेजा जाएगा।

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