Rajasthan: राजस्थान की धरती, जहां कभी राजपूतों की वीरता और न्याय की कहानियां गूंजती थीं, आज गुंडागर्दी और सत्ता के दुरुपयोग की शर्मनाक मिसाल बन चुकी है। कपासन विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक अर्जुनलाल जीनगर, जो चुनावी वादों की बुनियाद पर सत्ता में आए थे, अब उन वादों को याद दिलाने वाले एक निर्दोष युवक की जान के दुश्मन बन बैठे हैं। 20-30 साल के सूरज माली नामक युवक ने सिर्फ सोशल मीडिया पर एक रील बनाकर विधायक को उनके चुनावी वादे – कपासन के राजराजेश्वर सरोवर (तालाब) में मातृकुंडिया बांध से पानी लाने – की याद दिलाई थी। लेकिन इस 'अपराध' के बदले में क्या मिला? लाठी-डंडों, लोहे की सरियों और पाइपों से जानलेवा हमला, जिसमें सूरज के दोनों पैरों की हड्डियां चूर-चूर हो गईं। अब वह अहमदाबाद के अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहा है, जबकि विधायक महोदय 'साजिश' का रोना रोकर अपनी सफाई दे रहे हैं। क्या यही है भाजपा की 'सबका साथ, सबका विकास' वाली सरकार?
सूरज माली, धोबी खेड़ा या भूपाल खेड़ा गांव का एक साधारण युवक, जो फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार चलाता है। क्षेत्र में पानी की गंभीर समस्या से तंग आकर उसने इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट किए, जिसमें विधायक अर्जुनलाल जीनगर को उनके चुनावी वादे याद दिलाए गए। "तालाब में पानी लाओ, लोगों को राहत दो" – बस इतनी सी मांग। लेकिन विधायक के समर्थकों ने इसे चुनौती मान लिया। पहले धमकियां मिलीं, फैक्ट्री मालिक और सुपरवाइजर ने वीडियो हटाने को कहा। सूरज ने डरकर रील हटा दी, लेकिन क्या फायदा? 15 सितंबर को चित्तौड़गढ़-कपासन स्टेट हाइवे पर, सिंहपुर या गंगरार इलाके से घर लौटते वक्त स्कॉर्पियो सवार 6-7 नकाबपोश गुंडों ने हमला बोल दिया। सूरज को उठाकर ले जाने की कोशिश की, लेकिन उसके दोस्त उदय लाल ने बचाया। हमलावरों ने बेरहमी से पैरों पर वार किए, हड्डियां तोड़ दीं। सूरज को पहले कपासन अस्पताल, फिर चित्तौड़गढ़, उदयपुर और आखिरकार अहमदाबाद रेफर किया गया। उसकी मां कंकू देवी प्रदर्शन के दौरान बेहोश हो गईं, क्योंकि तीन-चार दिन बीत जाने के बाद भी न्याय का नामोनिशान नहीं।
यह हमला महज संयोग नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश है। सूरज ने पुलिस को दिए बयान में सीधे विधायक पर शक जताया है। विधायक ने खुद एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर 'असामाजिक तत्वों' को जिम्मेदार ठहराया और पुलिस को निर्देश देने का दिखावा किया। लेकिन सवाल यह है – अगर विधायक निर्दोष हैं, तो हमलावर तीन दिनों से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी क्यों फरार हैं? छोटे से कपासन इलाके में स्कॉर्पियो और नकाबपोशों का पता लगाना पुलिस के लिए इतना मुश्किल क्यों? एडिशनल एसपी सरिता सिंह का रटा-रटाया जवाब – "जांच चल रही है" – क्या यह सत्ता के दबाव में चुप्पी नहीं?
यह घटना राजस्थान की भाजपा सरकार की असलियत उजागर करती है। जहां एक तरफ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा विकास के दावे करते हैं, वहीं उनके विधायक गुंडों के जरिए आवाज दबा रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, रैली निकाली, धरना दिया और 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया। लेकिन क्या हुआ? पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात किया, मानो प्रदर्शनकारी अपराधी हों। कांग्रेस नेता उदयलाल आंजना और ललित बोरीवाल ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया, लेकिन सरकार चुप। क्यों नहीं विधायक को तुरंत सस्पेंड किया गया? क्यों नहीं सीबीआई जांच की मांग की जा रही? यह स्पष्ट है कि सत्ता के संरक्षण में गुंडागर्दी फल-फूल रही है। अगर एक साधारण युवक की पानी की मांग पर इतनी क्रूरता, तो कल कोई किसान या मजदूर अपनी समस्या उठाएगा तो क्या उसका भी यही हश्र होगा?
राजस्थान में यह पहला मामला नहीं। भाजपा शासन में राजनीतिक हिंसा, पुलिस की मिलीभगत और विपक्षी आवाजों को दबाने के आरोप लगातार सामने आते रहे हैं। लेकिन सूरज माली का केस चरम है – एक युवक जो सोशल मीडिया पर शांतिपूर्ण तरीके से वादा याद दिला रहा था, उसे अपंग बना दिया गया। क्या यही है 'डिजिटल इंडिया' जहां आवाज उठाने पर पैर तोड़े जाते हैं?
विधायक अर्जुन लाल जीनगर के खिलाफ केस दर्ज
सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने और पानी को लेकर विधायक के खिलाफ वीडियो बनाना एक युवक को भारी पड़ गया. कुछ नकाबपोश लोगों ने उसके साथ मारपीट कर दी. युवक द्वारा कपासन से बीजेपी विधायक अर्जुन लाल जीनगर पर आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. युवक का आरोप है कि सोशल मीडिया पोस्ट करने के कारण उसके साथ मारपीट की गई है.
अर्जुनलाल जीनगर, आपकी 'संवेदना' का पोस्ट महज दिखावा है। अगर आप निर्दोष हैं, तो जांच में सहयोग करें, अपने समर्थकों को सामने लाएं। लेकिन सच तो यह है कि यह हमला आपकी गुंडागर्दी का प्रमाण है। सूरज माली की तरह लाखों युवा आज सोशल मीडिया पर आवाज उठा रहे हैं – क्या सबको कुचला जाएगा? सरकार से सवाल: पानी का वादा पूरा क्यों नहीं किया? पुलिस की नाकामी के लिए कौन जिम्मेदार?