देश: अरुणाचल के 5 युवा कैसे पहुंचे चीन की सीमा में, रिश्तेदारों ने बताई पूरी कहानी

देश - अरुणाचल के 5 युवा कैसे पहुंचे चीन की सीमा में, रिश्तेदारों ने बताई पूरी कहानी
| Updated on: 12-Sep-2020 10:19 PM IST
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश (Arunacha Pradesh) के पहाड़ी जंगलों (Mountainous forests) में अक्सर लोग ही नहीं विमान भी खो जाते हैं। ऐसा एक हादसा (accident) पिछले ही साल हुआ था। जब एक सैन्य एयरक्राफ्ट (Military Aircraft) इन जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लेकिन हाल ही में अरुणाचल के नाचो कस्बे से निकला 7 लोगों का दल जब PLA के पास के इन जंगलों में गया तो इनमें से सिर्फ 2 लोग ही वापस लौटकर आये। बाकी लोगों के परिवारों (families) की ओर से इसके बाद कई चिंताभरी अपीलें की गईं। जिसके बाद चीन (China) ने इन लोगों के अपने इलाके में होने से इंकार कर दिया लेकिन भारत ने इसकी पुष्टि की कि ये लोग चीन के कब्जे में हैं और अब अंतत: ये लोग शनिवार को वापस अपने घर लौट आये हैं।

एक फेसबुक पोस्ट (Facebook Post) लिख इस मुद्दे पर सबका ध्यान खींचने वाले प्रकाश रिंगलिंग ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "सीमाओं का अच्छी तरह से सीमांकन (demarcation) नहीं किया गया है। हम शिकारी (hunters) हैं, हम कई बार इधर-उधर जाते हैं। हम यह नहीं जान पाते कि हम किस ओर हैं। कभी कभी निकल जाते हैं लोग, और PLA वाले लेकर चले जाते हैं।"

दो लड़के वापस आये, जिससे पता चली PLA के पांच लोगों को पकड़ लेने की बात

प्रकाश का भाई जिसने हाल ही में कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा पास की है, उसके चचेरे भाई तनु बाकर और नागरू डिरी, डोंगटू इबिया और तोच सिंगकम उन 7 लोगों में थे, जो लोग शिकार के लिए उत्तरी अरुणाचल के घने जंगलों में गये थे, जहां वे गायब हो गये। उसने यह भी बताया, "दो अन्य, तबू और ताते, वापस आ गये। तब हमें पता चला कि उन्हें PLA ने पकड़ लिया है।"

एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया, अब ये पांचों युवा जिन्हें चीनी सेना ने वापस सौंप दिया है, उन्हें उनके परिवारों को वापस सौंपे जाने से पहले 14 दिनों के लिए कोविड-19 नियमों के अंतर्गत क्वारंटाइन में रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि ज्यादातर मामलों में भारतीय सेना खोये हुए स्थानीयों को ढूंढने में तत्पर रहीत है और उन्हें घर लौटाने में मदद करती है।

इस साल की शुरुआत में भी हो चुकी है ऐसी ही घटना

गायब हुए लड़कों में से एक इबिया के दोस्त तानिया दोयोम ने ऐसी ही एक घटना के बारे में बताया, जो इस साल की शुरुआत में हुई थी और पकड़े गये लड़के को चीनी सेना ने एक महीने तक अपनी कैद में रखा था।

उसने बताया, "जहां तक हम जानते हैं, वे भारत के भीतर थे। वे अक्सर इस तरह से जाते थे, हम नहीं जानते कि उस दिन क्या हुआ था।।। हम टैगिन समुदाय से हैं। कई शिकारी और वनवासी उन क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं।” उसने कहा, "कुछ समय पहले, हमारे क्षेत्र के एक अन्य लड़के को भी चीन ने हिरासत में लिया था।" उसने बताया कि इस साल मार्च में ऊपरी सुबानसिरी जिले के एक अन्य युवक को चीनी सैनिकों ने लगभग महीने भर के लिए हिरासत में रखा था। इन्हीं पांच लड़कों की तरह, तोगले सिनकाम भी तभी लापता हो गया था, जब वह शिकार के लिए निकला था। बाद में उसे छोड़ दिया गया था।

हालांकि भारत-चीन के बीच कोई पूरी संधि नहीं है इसलिए पार गये लोगों को वापस लाने की प्रक्रिया श्रमसाध्य होती है। इसके अलावा इसके लिए सिर्फ 2013 में सीमाओं को लेकर हुई एक संधि से ही ऐसे मामलों में काम लिया जाता है।

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