Share Market News: कब तक रूठे रहोगे, भारत से विदेशी निवेशकों का क्यों हो गया है मोहभंग

Share Market News - कब तक रूठे रहोगे, भारत से विदेशी निवेशकों का क्यों हो गया है मोहभंग
| Updated on: 08-Jun-2025 07:20 AM IST

Share Market News: भारतीय शेयर बाजार में कई कारक एक साथ काम करते हैं, जो बाजार की दिशा तय करते हैं—चाहे वह वैश्विक तनाव हो, मुद्रा की चाल हो या सोने में गिरावट. लेकिन इन सबके बीच एक अहम कारक है, जो अक्सर बाजार की चाल पर भारी असर डालता है—वह है विदेशी निवेशकों (FIIs) का रुख. इन दिनों यह रुख नकारात्मक है और इसकी वजह से बाजार में लगातार अस्थिरता बनी हुई है.

लगातार बिकवाली कर रहे हैं विदेशी निवेशक

हाल ही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं. एनएसई के आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को FIIs ने जहां 15,208 करोड़ रुपये की खरीदारी की, वहीं 14,198 करोड़ रुपये के शेयर बेच भी दिए, जिससे शुद्ध खरीदारी मात्र 1,009 करोड़ रुपये रही. हालांकि यह एक दिन की तस्वीर है, लेकिन अगर पूरे साल 2025 की बात करें तो FIIs अब तक ₹1.24 लाख करोड़ से ज्यादा के शेयर बेच चुके हैं. इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने बाजार में मजबूती दिखाते हुए ₹9,342 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की है.

FIIs क्यों कर रहे हैं भारत से किनारा?

  1. वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में अस्थिरता और अमेरिका-चीन व्यापार तनाव जैसे मुद्दों ने वैश्विक निवेश माहौल को प्रभावित किया है. इसके अलावा, अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरों की अनिश्चितता ने उभरते बाजारों से पूंजी बाहर खींचने की प्रवृत्ति को बल दिया है.

  2. भारतीय बाजार का ऊंचा मूल्यांकन: निफ्टी 50 का PE अनुपात 22.6 तक पहुंच गया है, जो इसके दीर्घकालिक औसत से अधिक है. इससे FIIs को यह डर है कि वे महंगे बाजार में फंस सकते हैं.

  3. मैक्रोइकनॉमिक दबाव: भारत में निर्यात वृद्धि की रफ्तार धीमी है, महंगाई दर बढ़ रही है, और घरेलू मांग की स्थिरता को लेकर चिंता है. इन कारणों से निवेशकों का भरोसा कमजोर पड़ा है.

क्या है आगे की संभावना?

हालांकि विदेशी निवेशकों का रुझान फिलहाल नकारात्मक है, लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से भारत की विकास गाथा अब भी आकर्षक बनी हुई है. सामान्य से बेहतर मानसून की संभावना, मजबूत खुदरा निवेश और तेजी से बढ़ती मिड-कैप कंपनियों की परफॉर्मेंस इस उम्मीद को बल देती हैं कि बाजार फिर उछाल पकड़ सकता है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, FIIs अब न केवल लार्ज-कैप, बल्कि निफ्टी 500 की 80% कंपनियों में भी दिलचस्पी ले रहे हैं. यह दर्शाता है कि भारतीय बाजार की गहराई और विविधता उन्हें आकर्षित कर रही है, भले ही फिलहाल वे सतर्कता बरत रहे हों.

निवेशकों के लिए सबक

FIIs की बिकवाली ने बाजार को जरूर अस्थिर किया है, लेकिन यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए मौका भी बन सकता है. विशेषज्ञों की राय है कि निवेशकों को ऐसे समय में घबराने की बजाय अपने पोर्टफोलियो को मजबूत कंपनियों में बनाए रखना चाहिए और लंबी अवधि के लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए.

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