हम दो हमारे एक: पड़ताल : हम दो हमारे एक का नारा राजस्थान सरकार पर कितना सार्थक

हम दो हमारे एक - पड़ताल : हम दो हमारे एक का नारा राजस्थान सरकार पर कितना सार्थक
| Updated on: 02-Jan-2020 03:28 PM IST
जयपुर | हम दो हमारे एक का नारा पुनर्जीवित करके राजस्थान की गहलोत सरकार के दो मंत्रियों ने देश में जनसंख्या नियंत्रण का कानून लाने की पैरवी की है। लिहाजा राजनीतिक हलकों में बहस शुरू हो चुकी है।
    जनसंख्या देश की एक बड़ी समस्या है, जिस पर विचार तो हुआ, लेकिन गंभीरता से नहीं। बीजेपी इसका आरोप कांग्रेस पर लगाती है तो कांग्रेस का कहना है कि इंदिरा गांधी के समय में जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास शिद्दत से हुए थेे, लेकिन आपातकाल में जबरदस्ती नसबंदी का दौर याद करके पुराने लोगों की रूह आज भी कांपती है।
    इसी बीच गहलोत सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और परिवहन मंत्री प्रतापसिंह  खाचरियावास का यह बयान देश में जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत तो दर्शाता है, लेकिन यदि केन्द्र या राज्य कोई भी सरकार इसके लिए कानून लाती है तो उसे अमल में कैसे लाया जाएगा। क्या यह अमल में लाया जाना धर्म से जोड़ा जाएगा या नहीं, ये सारे ऐसे सवाल है। जिसका जवाब नेताओं के पास है या नहीं हम नहीं जानते। जूम न्यूज ने पड़ताल की है राजस्थान सरकार के मंत्रियों, विधानसभा के विधायकों की कि वे हम दो हमारे एक के मुद्दे पर खुद कहां खरे उतरते हैं। राजस्थान में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है, वहां दो से अधिक संतान वाला चुनाव नहीं लड़ सकता। यदि राजस्थान के विधायकों, सरकार के मंत्रियों के संतानों की गणना करते हुए इनकी विधानसभा में रहने की योग्यता हम दो हमारे एक का नारा तय कर दे तो सदन में कौन टिक पाएगा और कौन नहीं? जूम न्यूज ने यह डेटा विधानसभा की वेबसाइट से लिया है।
    आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यदि केवल एक संतान वाले विधायक ही विधानसभा में रहे तो प्रदेश के 165 विधायकों, जिनमें तीन मंत्रियों को छोड़कर पूरी सरकार शामिल हैं बाहर हो जाएंगे। राजस्थान की विधानसभा में 200 विधायक हैं। इनमें से आठ विधायकों का स्टेटस अविवाहित हैं।


    हाल ए सरकार
    प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत कुल 25 मंत्री हैं। इनमें से मात्र तीन मंत्री ही एक संतान के दायरे में आ रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी दो संतानों के पिता हैं। 25 में से एक मंत्री पांच संतानों के पिता हैं। चार मंत्री 4—4, चार मंत्री तीन—तीन और मुख्यमंत्री गहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत 13 मंत्री दो संतानों के पिता हैं। गहलोत सरकार के मंत्रियों की संतानों औसत 2.44 फीसदी है।

    हाल — ए — विधानसभा
    राजस्थान के सभी विधायकों की संतानों का औसत 2.74 आता हैं। इनमें से आठ विधायकों का स्टेटस अविवाहित बताया गया हैं। यदि सवाल पूछा जाएगा तो प्रतिपक्ष के होने के नाते बीजेपी गहलोत सरकार पर यह आरोप लगा सकती है कि जनसंख्या वृद्धि में कांग्रेस पार्टी का योगदान रहा है, लेकिन उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। बीजेपी के 70 विवाहित विधायकों में संतान का औसत प्रदेश की पार्टियों में सर्वाधिक है। यह 3.11 आता है और विधानसभा के औसत से भी अधिक है। वे हम दो और हमारे तीन से अधिक की स्थिति में है। यही नहीं उनके सदन में नेता गुलाबचंद कटारिया खुद पांच संतानों के पिता हैं।

    मौजूदा सरकार में दो विधायक आठ—आठ संतानों के पिता हैं। तीन विधायकों के सात—सात संतानें हैं। चार विधायकों के छह—छह बच्चे हैं। पांच संतानों वाले विधायकों की संख्या दस हैं। 28 विधायक ऐसे हैं, जिनकी चार—चार संतति हैं। 46 एमएलए के तीन—तीन बच्चे हैं। हम दो हमारे दो के काउंट में 72 विधायक आ रहे हैं। मात्र 22 विधायक ऐसे हैं, गहलोत सरकार के मंत्रियों के नारे हम—दो हमारे एक के नारे में शामिल हो रहे हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नारा देने वाले मंत्री भी इसमें शामिल नहींं है।


    पार्टियों का औसत कुछ ऐसा है
   
कांग्रेस के 107 में से 105 विवाहित विधायकों का औसत 2.55 प्रतिशत हैं। सीपीएम दो विधायकों का 2.5, आरएलपी के तीन विधायकों तथा 12 विवाहित निर्दलीय विधायकों का औसत 2.33 प्रतिशत हैं। औसत के मामले में बीटीपी ने सबको मात दे दी हैं। इनके एक विधायक राजकुमार रौत का स्टेटस अविवाहित बता रखा है, जबकि दूसरे रामप्रसाद जो कि सागवाड़ा से आते हैं। वे छह संतानों के पिता हैं।

    आदर्श नेताओं की स्थिति
    आरएसएस की पृष्ठभूमि से कट्टर नेता माने जाने वाले प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया पांच संतानों के पिता हैं। उदयपुर से आते हैं और इनके पांचों ही बेटियां हैं।
    गहलोत सरकार के दो मंत्री पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्रसिंह, अशोक चांदना, अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद भी एक—एक संतान के पिता हैं। हम दो हमारे एक की आदर्श स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, पूर्व मंत्री महादेवसिंह खंडेला व बृजेन्द्रसिंह ओला फिट बैठते हैं।
    परिवार कल्याण महकमे का जिम्मा संभालने वाले और नारा देने वाले चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास खुद दो—दो संतानों के पिता हैं।

    क्या राजस्थान में जनसंख्या वृद्धि के लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं
    जो लोग सिर्फ मुसलमानों को इसका दोष देते हैं कि मुसलमानों की वजह से आबादी अनियंत्रित हो रही है। उन्हें इस जानकारी पर नजर डालनी चाहिए। हमें जरूर जानना चाहिए कि देश में सर्वाधिक मुस्लिम बहुलता वाला इलाका लक्षदीप है। वहां कुल जनसंख्या में से 96.58 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, लेकिन वहां जनसंख्या वृद्धि मात्र 6.3 प्रतिशत ही है। देश में सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या उत्तरप्रदेश में है। प्रतिशत में यह संख्या 19.26 प्रतिशत है। वहां भी वृद्धिदर बीस प्रतिशत है। जबकि राजस्थान में यह वृद्धिदर 21.33 प्रतिशत है। जबकि यहां मुस्लिम आबादी मात्र 9 फीसदी ही है। तो फिर राजस्थान में जनसंख्या वृद्धि के लिए मुसलमान जिम्मेदार कैसे हो सकते हैं। गहलोत सरकार में दो ही मंत्री ऐसे हैं उनमें से एक मुसलमान हैं। जी हां! पोकरण से विधायक और अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद के एक ही संतान हैं। प्रदेश के 9 अल्पसंख्यक विधायकों में संतान का औसत 2.66 प्रतिशत हैं।


    यह है सबसे बड़ी वजह
    हम जनसंख्या के आंकड़ों पर नजर डालें जनसंख्या किसी धर्म विशेष की वजह से नही बढ़ रही है। यहां जनसंख्या वृद्धि की वजह है पिछड़े वर्गों में अशिक्षा और जागरूकता। आजादी 73 साल हम पूरे कर चुके हैं, इस बीच कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही लम्बे समय तक शासन कर चुकी हैं, लेकिन प्रदेश साक्षरता के लिहाज से देश में नीचे से तीसरे स्थान पर है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें पढ़ा—लिखा और शिक्षित होना होगा। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे राज्य में साक्षरता की दर से अधिक तेज गति से जनसंख्या बढ़ रही है। वर्ष 2001 से 201ब्1 के बीच हमारी साक्षरता दर सिर्फ साढ़े पांच प्रतिशत बढ़ी है। जबकि जनसंख्या 21.31 प्रतिशत बढ़ी है।

    पिछड़े इलाकों की स्थिति बुरी
    अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के 25 विधायक हैं, इनमें संतानता का औसत 3.75 हैं। वहीं अनुसूचित जाति के विधायकों का औसत तीन के आसपास आता है। मुस्लिम विधायकों का औसत 2.66 है। इन तीनों वर्गों को निकालें तो शेष का औसत 2.37 आता है।

    बेटे की चाह
    आपको यह भी जानकर आश्चर्य होगा कि बेटे की चाह जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है। प्रदेश में अधिक संतानों वाले विधायकों का डाटा टटोला, तो पाया कि अधिक संतानों वाले विधायकों में ऐसे विधायक जो एसटी क्षेत्र से नहीं है उनके बेटियों की संख्या बेटों की तुलना में कहीं अधिक हैं।
    एसटी क्षेत्र के विधायकों की संतानों में भेद जैसी बात प्रमुखत: नजर नहीं आती। मसलन झाड़ोल विधायक बाबूलाल आठ संतानों के पिता हैं। इनके बेटे और बेटियों की संख्या बराबर हैं। खैरवाड़ा के दयाराम परमार जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। उनके आठ संतानों में से दो बेटियां हैं। गढ़ी के कैलाशचन्द्र मीणा के सात में से पांच बेटियां हैं। परन्तु यदि जैसलमेर के विधायक रूपाराम की बात करें जो बड़े सरकारी ओहदों पर रहे हैं उनके सात संतानें हैं, लेकिन उनमें से छह बेटियां हैं। फलोदी के पब्बाराम के छह में से चार बेटियां हैं। पांच और उससे अधिक संतान वाले 19 विधायक हैं जिनके बेटों की संख्या 42 हैं और बेटियों की 69। प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया की पांच संतानें हैं और पांचों ही पुत्रियां हैं।


    यह है प्रदेश की स्थिति
    आठ संतानों वाले विधायक
    झ़ाड़ोल के बाबूलाल
    खैरवाड़ा के दयाराम परमार

    सात संतानों वाले विधायक
    गढ़ी के कैलाशचंद्र मीना
    जैसलमेर के रूपाराम
    हिन्डौन के भरोसीलाल

    छह संतानों वाले विधायक
    ब्यावर के शंकरसिंह रावत
    सागवाड़ा के रामप्रसाद
    फलोदी के पब्बाराम
    पिण्डवाड़ा आबू के समाराम गरासिया

    पांच संतानों वाले विधायक
    चौहटन के पदमाराम
    बयाना के अमरसिंह
    वैर के भजनलाल जाटव
    आसींद के जब्बरसिंह सांखला
    संगरिया से गुरदीपसिंह
    भीनमाल के पूराराम चौधरी
    मालपुरा के कन्हैयालाल
    गोगुंदा के प्रतापलाल भील
    उदयपुर से गुलाबचंद कटारिया
    उदयपुर ग्रामीण से फूलसिंह मीणा

चार संतानों वाले विधायक
कठूमर के बाबूलाल, बागीदौरा से महेन्द्रजीत मालवीया, बांसवाड़ा के अर्जुनसिंह बामणिया, घाटोल के हरेन्द्र निनामा, शिव के अमीन खान, सिवाना के हमीरसिंह भायल, जहाजपुर केक गोपीचंद मीणा, बीकानेर पश्चिम के बीडी कल्ला, बूंदी के अशोक डोगरा, कपासन के अर्जुनलाल जीनगर, निम्बाहेड़ा के उदयलाल आंजना, सरदारशहर के भंवरलाल शर्मा, बसेड़ी के खिलाड़ीलाल बैरवा, आसपुर के गोपीचंदमीणा, पीलीबंगा के धर्मेन्द्र कुमार, दुदु के बाबूलाल नागर, जमवारामगढ़ के गोपाल मीणा, किशनपोल के अमीनुद्दीन कागजी, डग के कालूराम, मनोहरथाना के गोविंदप्रसाद, भोपालगढ़ के पुखराज, लोहावट के किसनाराम विश्नोई, सूरसागर की श्रीमती सूर्यकांता व्यास, मकराना के रूपाराम, नागौर के मोहनराम चौधरी, धरियावद के गौतमलाल, खंडार के अशोक, फतेहपुर के हाकम अली खान

तीन संतानों वाले विधायक
अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी, किशनगढ़ से सुरेश टाक, किशनगढ़बास से दीपचंद, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ के जौहरीलाल मीणा, थानागाजी के कांतिप्रसाद, अंता के प्रमोद जैन भाया, किशनगंज की निर्मला सहरिया, पचपदरा के मदन प्रजापत, भीलवाड़ा के विट्ठलशंकर अवस्थी, मांडल के रामलाल जाट, मांडलगढ़ के गोपाल लाल शर्मा, सहाड़ा के कैलाशचंद्र त्रिवेदी, डूंगरगढ़ के गिरधारीलाल, खाजूवाला के गोविंदराम, बड़ी सादड़ी के ललित कुमार ओस्तवाल, सुजानगढ़ के मास्टर भंवरलाल मेघवाल, दौसा के मुरारी लाल, लालसोट के परसादी लाल, महवा के ओमप्रकाश हुडला, धौलपुर की शोभारानी कुशवाह, गंगानगर के राजकुमार गौर, करनपुर के गुरमीतसिंह कुन्नर, सूरतगढ़ के रामप्रताप कासनियां, बगरू की श्रीमती गंगा देवी, मालवीया नगर के कालीचरण सर्राफ, विद्याधरनगर के नरपतसिहं राजवी, जालोर के जोगेश्वर गर्ग, सांचौर के सुखराम विश्नोई, खानपुर के नरेन्द्र नागर, पिलानी के जेपी चंदेलिया, सूरजगढ़ से सुभाष पूनिया, करौली से लाखनसिंह, पिपल्दा से रामनारायण मीणा, रामगंज मंडी से मदन दिलावर, पाली से ज्ञानचंद पारख, सुमेरपुर से जोराराम कुमावत, प्रतापगढ़ से रामलाल मीणा, कुम्भलगढ़ से सुरेन्द्रसिंह राठौड़, गंगापुर से रामकेश, सवाई माधोपुर से दानिश अबरार, नीम का थाना के सुरेश मोदी, श्रीमाधोपुर के दीपेन्द्रसिंह, रेवदर के जगसीराम, मावली के धर्मनारायण जोशी, सलूम्बर के अमृतलाल मीणा, वल्लभनगर के गजेन्द्रसिंह शक्तावत


हमारे एक के नारे में फिट हो रहे विधायक
    पोकरण से सालेह मोहम्मद
    झालरापाटन से श्रीमती वसुन्धरा राजे
    चुरू के राजेन्द्र राठौड़
    झुंझुनूं से बृजेन्द्रसिंह ओला
    नाथद्वारा से सीपी जोशी
    खंडेला से महादेवसिंह
    अनिता भदेल अजमेर दक्षिण
    भरतपुर के विश्वेन्द्रसिंह
    हिन्डौली के अशोक चांदना
    तिजारा के संदीप कुमार
    सादुलपुर से कृष्णा पूनिया
    डूंगरपुर से गणेश गोगरा
    अनूपगढ़ से श्रीमती संतोष
    बस्सी से लक्ष्मण मीणा
    हवामहल से महेश जोशी
    शेरगढ़ से मीना कंवर
    कोटा दक्षिण से संदीप शर्मा
    लाडपुरा से श्रीमती कल्पना देवी
    डेगाना से विजयपाल मिर्धा
    खिंवसर नारायण बेनिवाल
    मारवाड़ जंक्शन से खुशवीरसिंह

वर्ग अनुसार किसके कितनी संतान
महिला विधायकों का औसत 1.72
पुुरुष विधायकों का औसत 2.93
एससी क्षेत्र के विधायकों का औसत : 3.21
एसटी क्षेत्र के विधायकों का औसत : 4
मुस्लिम विधायकों का औसत : 2.66

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