Naresh Meena News: जयपुर के शहीद स्मारक पर पिछले 24 घंटों से नरेश मीणा अनशन पर बैठे हैं, जो झालावाड़ के पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। उनकी योजना सोमवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल और अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की है। इस दौरान वे प्रतीकात्मक रूप से मुख्यमंत्री को बकरियां सौंपकर पीड़ित परिवारों के लिए उचित मुआवजे की मांग करेंगे।
झालावाड़ के एक सरकारी स्कूल में हुई बच्चों की मौत को नरेश मीणा ने सरकारी भ्रष्टाचार का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने दंगाइयों को 50 लाख रुपये और संविदा पर नौकरी देकर त्वरित कार्रवाई की, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण मारे गए बच्चों के परिवारों को अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला। नरेश ने कोटा संभाग के स्कूलों की बदहाल स्थिति पर भी सवाल उठाए, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने कहा, "जो बच्चे मरे, हो सकता है उनमें से कोई कलेक्टर, आईपीएस, बड़ा अधिकारी या बिजनेसमैन बनता, जो अपने परिवार का भरण-पोषण करता। लेकिन सरकार की लापरवाही ने उनकी जिंदगी छीन ली।"
नरेश मीणा ने बताया कि सरकार ने पीड़ित परिवारों को मुआवजे के नाम पर पांच बकरियां दीं, जिन्हें चराने की जिम्मेदारी भी परिवारों पर डाल दी गई। इस तंज को उजागर करने के लिए नरेश सोमवार को अपने समर्थकों के साथ रैली के रूप में मुख्यमंत्री आवास पहुंचेंगे और बकरियां सौंपकर मुआवजे की मांग करेंगे। उन्होंने कहा, "मैं इन बकरियों के बदले उचित मुआवजा मांगूंगा, ताकि पीड़ित परिवारों को सम्मानजनक जीवन मिल सके।"
नरेश ने बताया कि उनकी रैली में हनुमान बेनीवाल के साथ-साथ आम जनता भी शामिल होगी। जल्द ही चंद्रशेखर आजाद भी इस आंदोलन में शामिल होंगे। उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता नरेश से मिल चुके हैं। इसके अलावा, नरेश ने सचिन पायलट के स्टाफ से भी बात की है और उन्हें उम्मीद है कि पायलट भी इस लड़ाई में उनका साथ देंगे।
नरेश मीणा ने अपने आंदोलन को और संगठित करने के लिए 'भगत सिंह ब्रिगेड' नाम से एक संगठन बनाने की घोषणा की है। इस संगठन का रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से शुरू हो गया है और इसका एक ड्रेस कोड भी होगा। नरेश ने कहा, "यह संगठन भगत सिंह की सोच को घर-घर तक पहुंचाएगा और जरूरतमंद लोगों की मदद करेगा।" संगठन अगले साल 23 मार्च को शहीद दिवस पर एक बड़ा ब्लड डोनेशन कैंप भी आयोजित करेगा।
नरेश ने गांधीवादी तरीके से अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाने की बात कही, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों को अनसुना करती है, तो वे अनशन पर बैठे-बैठे अपनी जान दे देंगे। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को मेरी मौत देखनी पड़ेगी।" यह बयान उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है कि वे पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे।