देश: निलंबित 12 सांसदों के माफी मांगने पर वापस हो सकता है उनका निलंबन: सरकार

देश - निलंबित 12 सांसदों के माफी मांगने पर वापस हो सकता है उनका निलंबन: सरकार
| Updated on: 30-Nov-2021 03:01 PM IST
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. इस सत्र की कार्यवाही से 12 सासदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. इन सांसदों पर मॉनसून सत्र में हंगामा करने को लेकर ये कार्रवाई हुई. लेकिन अब माना जा रहा है कि सांसदों का निलंबन वापस हो सकता है. हालांकि, इसके लिए निलंबित सांसदों को अपने बर्ताव के लिए माफी मांगनी होगी. 

दरअसल, 11 अगस्त को मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामा हुआ था. इसे लेकर 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. यानी ये सांसद सदन कीकार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे. जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के सांसद शामिल हैं. 

निलंबन वापसी पर विचार कर सकती है सरकार 

सूत्रों के मुताबिक, अगर सांसद अपने बर्ताव के लिए माफी मांगते हैं, तो उनका निलंबन वापस हो सकता है. हालांकि, इसके लिए विपक्ष को पेशकश करना होगा. अगर विपक्ष पेशकश करता है, तो सरकार इस पर विचार करेगी. हालांकि, बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर विपक्ष एकजुट नहीं है. यहां तक की टीएमसी भी कांग्रेस के साथ नहीं हैं. 

खड़गे ने बुलाई विपक्ष की बैठक

उधर, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज 10 बजे विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में सांसदों के निलंबन और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. विपक्ष ने सोमवार को सांसदों के निलंबन को लेकर संयुक्त बयान भी जारी किया था. 

ये सांसद हुए थे निलंबित 

एलामरम करीम (सीपीएम), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनय विश्वम (सीपीआई), राजामणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन (टीएमसी), शांता छेत्री (टीएमसी),  सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस),  प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना), अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस).

क्या हुआ था 11 अगस्त को?

11 अगस्त को इंश्योरेंस बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था. संसद के अंदर खींचातानी भी होने लगी थी. आलम ये हो गया था कि मामले को शांत कराने के लिए मार्शलों को बुलाना पड़ गया था. उस दिन हुए हंगामे पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था कि 'जो कुछ सदन में हुआ है, उसने लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किया है.'

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