IGI Cyber Attack: सरकार ने मानी IGI पर साइबर अटैक की बात, GPS सिग्नल से हुई थी छेड़छाड़

IGI Cyber Attack - सरकार ने मानी IGI पर साइबर अटैक की बात, GPS सिग्नल से हुई थी छेड़छाड़
| Updated on: 01-Dec-2025 05:51 PM IST
सरकार ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे पर हुए एक गंभीर साइबर हमले की बात स्वीकार कर ली है। यह खुलासा राज्यसभा में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने किया, जिन्होंने बताया कि इस घटना में विमानों के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) सिग्नल से छेड़छाड़ की गई थी। यह स्वीकारोक्ति देश के हवाई अड्डों पर साइबर सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है।

साइबर हमले का खुलासा

नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने संसद के उच्च सदन, राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली एयरपोर्ट पर वास्तव में एक साइबर हमला हुआ था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हमला GPS सिग्नल से छेड़छाड़ के रूप में सामने आया, जिसे तकनीकी भाषा में GPS स्पूफिंग कहा जाता है। मंत्री ने बताया कि यह घटना 10 नवंबर 2025 को IGI एयरपोर्ट। पर हुई थी, जहां कुछ उड़ानों में स्पूफिंग की शिकायतें मिली थीं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस विशेष घटना में कोई विमान सीधे तौर। पर प्रभावित नहीं हुआ था, लेकिन इसके बावजूद यह एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन था।

व्यापक प्रभाव और जांच

दिल्ली एयरपोर्ट पर हुए इस साइबर अटैक की कोशिश सिर्फ IGI तक सीमित नहीं थी। मंत्री नायडू ने बताया कि दिल्ली और कोलकाता सहित देश के कुल सात हवाई अड्डों पर इसी तरह के साइबर हमले का प्रयास किया गया था। इस घटना के कुछ दिन पहले, दिल्ली एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक सिस्टम में अचानक खराबी आ गई थी, जिसके बाद एक उच्च स्तरीय जांच शुरू की गई थी और इस खराबी के कारण विमानों का संचालन 12 घंटे से अधिक समय तक बुरी तरह प्रभावित रहा था। 700 से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें देरी से उड़ीं, जबकि कुछ उड़ानों को रद्द भी करना पड़ा था। एयरपोर्ट का सामान्य संचालन लगभग 48 घंटे बाद ही बहाल हो पाया था और इस स्थिति से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी, जिसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी, सुरक्षा एजेंसियों और अन्य सभी संबंधित हितधारकों को शामिल किया गया था ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

GPS स्पूफिंग की प्रकृति और खतरा

GPS स्पूफिंग एक परिष्कृत प्रकार का साइबर हमला है, जिसमें हमलावर नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजते हैं। ये नकली सिग्नल किसी डिवाइस, जैसे कि विमान के नेविगेशन सिस्टम को भ्रमित कर देते हैं, जिससे उसे गलत लोकेशन या गलत डेटा दिखने लगता है। यह विमानों के नेविगेशन सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे विमान अपनी वास्तविक दिशा से भटक सकता है या ऐसी लोकेशन पर जा सकता है जो वास्तव में मौजूद नहीं है। इस प्रकार की छेड़छाड़ से विमानों की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है और दुर्घटना की संभावना बढ़ सकती है। यह हमलावर को विमान के मार्ग को बदलने या उसे गलत जानकारी देने की क्षमता प्रदान। करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और यात्रियों की सुरक्षा दोनों के लिए एक बड़ा जोखिम है।

सरकार और DGCA के कदम

इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने तत्काल कदम उठाए हैं। DGCA ने 24 नवंबर 2023 को GNSS इंटरफेरेंस पर एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें GPS जैमिंग/स्पूफिंग की अनिवार्य रिपोर्टिंग का आदेश दिया गया था। इसके अतिरिक्त, 10 नवंबर 2025 से रियल-टाइम रिपोर्टिंग के लिए। एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी जारी की गई है। मंत्री नायडू ने जोर देकर कहा कि DGCA और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ऐसी गतिविधियों की लगातार निगरानी कर रहे हैं ताकि हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में ऐसे किसी भी साइबर हमले को विफल किया जा सके। इन उपायों का उद्देश्य हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों की लचीलापन और सुरक्षा को मजबूत करना है।

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