Share Market News: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अगस्त 2025 में भारतीय शेयर बाजार से बड़े पैमाने पर पूंजी निकाल रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, 14 अगस्त तक एफपीआई ने 20,975 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर शुद्ध निकासी की है। यह निकासी साल 2025 में अब तक की कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये की निकासी का हिस्सा है। इस लेख में हम इस निकासी के कारणों, इसके प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे।
एफपीआई की बिकवाली के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं:
अमेरिका-भारत व्यापार तनाव: टैरिफ को लेकर अनिश्चितता और अमेरिका की नीतियों के प्रति भारत की प्रतिक्रिया ने एफपीआई की रणनीति को प्रभावित किया है। हालांकि, एंजल वन के सीएफए वकार जावेद खान के अनुसार, अमेरिका और रूस के बीच तनाव में कमी और नए प्रतिबंधों की अनुपस्थिति से भारत पर प्रस्तावित 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू होने की संभावना कम है। यह बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है।
कंपनियों के कमजोर नतीजे: पहली तिमाही में कंपनियों के उम्मीद से कमजोर प्रदर्शन और ऊंचे मूल्यांकन ने एफपीआई को बिकवाली के लिए प्रेरित किया है। जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार ने बताया कि उच्च मूल्यांकन निवेशकों के लिए जोखिम को बढ़ाता है।
रुपये में गिरावट और डॉलर की मजबूती: हाल में अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने भारत जैसे उभरते बाजारों के आकर्षण को कम किया है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताएं और भू-राजनीतिक तनाव ने जोखिम उठाने की क्षमता को कमजोर किया है।
वैश्विक अनिश्चितताएं: अमेरिका और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों के रुख को लेकर अनिश्चितता ने एफपीआई की रणनीति को प्रभावित किया है। यह उभरते बाजारों में निवेश के प्रति सतर्कता को दर्शाता है।
जुलाई 2025 में निकासी: डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में एफपीआई ने 17,741 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी।
मार्च-जून 2025 में निवेश: इसके विपरीत, मार्च से जून के बीच एफपीआई ने 38,673 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो बाजार में सकारात्मक रुझान को दर्शाता है।
बॉन्ड बाजार में निवेश: समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने सामान्य सीमा के तहत 4,469 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के तहत 232 करोड़ रुपये का निवेश किया।
कुछ कारक बाजार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहे हैं:
एसएंडपी रेटिंग में सुधार: एसएंडपी ने भारत की साख को बीबीबी- से बढ़ाकर बीबीबी कर दिया है, जो एफपीआई की धारणा को मजबूत कर सकता है।
टैरिफ की अनिश्चितता में कमी: 27 अगस्त के बाद अतिरिक्त टैरिफ लागू होने की संभावना कम होने से बाजार में स्थिरता आ सकती है।
एफपीआई की रणनीति वैश्विक और स्थानीय कारकों पर निर्भर करेगी। यदि भू-राजनीतिक तनाव कम होता है और रुपये में स्थिरता आती है, तो एफपीआई की बिकवाली की रफ्तार धीमी हो सकती है। इसके अलावा, भारत की बेहतर क्रेडिट रेटिंग और कॉरपोरेट प्रदर्शन में सुधार से निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है।