तकनीक: कोरोना से लड़ाई में नासिक के किसान ने कर दिया कमाल, ट्रैक्टर से सैनेटाइजर यंत्र बनाया

तकनीक - कोरोना से लड़ाई में नासिक के किसान ने कर दिया कमाल, ट्रैक्टर से सैनेटाइजर यंत्र बनाया
| Updated on: 10-Jul-2020 03:31 PM IST
जयपुर | कोरोना से जंग (Corona Crisis) में हर कोई अपना योगदान दे रहा है। इसी बीच नासिक के एक किसान (Nasik Farmer Made Corona Tractor Sanitizer Macine) ने तंग गलियों को सैनेटाइज करने का यंत्र बनाकर कमाल कर दिया है। तंग गलियों में सेनेटाइज करने के लिए नासिक के किसान राजेन्द्र जाधव (Farmer Rajendra Jadhaw) ने इनोवेटिव स्प्रेयर टेक्नोलॉजी का विकास किया है। इस तकनीक का  उपयोग 15 हार्स पवर ट्रैक्टर के साथ भी किया जा सकता है। जो 4 फीट चौड़ी ​गलियों में भी तीन तरफ 12 नोजल के माध्यम से 15 फीट तक की ऊंचाई के साथ दांये, बांये एवं ट्रैक्टर के पीछे भी 15 फीट तक सेनेटाइज कर सकती है। यह सेनेटाइजर यंत्र ट्रैक्टर की मदद से विकसित किया गया है।

जयपुर के शास्त्री नगर स्थित विज्ञान केन्द्र से शुक्रवार को किसान द्वारा विकसित इनोवेटिव स्प्रेयर टेक्नोलॉजी के ट्रैक्टर रवाना हुआ जो टोंक, अजमेर, पाली एवं जोधपुर में सेनेटाइज करते हुए पुनः जयपुर पहुंचेगा तथा सचिवालय जयपुर में डेमो देगा। इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शासन सचिव, श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि ग्रास रूट लेवल पर किसानों द्वारा किये गये इनोवेशन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय नव प्रर्वतन प्रतिष्ठान संस्था के द्वारा प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है।

सिन्हा ने कहा कि दूर-दराज के क्षेत्रों में किसानों को सरल तकनीक  के द्वारा उनके कार्यों में सुगमता एवं गति बढ़ाने के लिए ऐसी तकनीक फायदेमंद रहती है। उन्होंने कहा कि इस स्प्रेयर टेक्नोल टेक्नोलॉजी के द्वारा 600 लीटर के टैंक से 4 से 5 घंटे तक सेनेटाइज किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग कोरोनाकाल के अलावा अनार, आम नीबू के बगीचों सहित अन्य कृषि कार्यो में कीटनाशक, हर्बल कीटनाशक, ग्रोथ प्रमोटर में भी उपयोग लिया जा सकता है।

राष्ट्रीय नव प्रर्वतन प्रतिष्ठान के वरिष्ठ इनोवेशन अधिकारी हरदेव ने बताया कि यह संस्था जमीनी स्तर के नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करती है। इस इनोवशन स्पे्रयर टेक्नोलॉजी में 200, 400 एवं 600 लीटर के टैंक वाले सेनेटाइजर यंत्र विकसित किये गये है। जिनकी कीमत 1.50 लाख से 2.25 लाख रुपए तक है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक किसान ने अपनी सूझबूझ से विकसित की है तथा इसमें मैन पॉवर की आवश्यकता नही होती है तथा एक वाहन चालक ही इसे ऑपरेट कर सकता है।

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