इंडिया: चीन की बढ़ी मुश्किले जापान ने कहा- भारत नहीं तो हम भी नहीं
इंडिया - चीन की बढ़ी मुश्किले जापान ने कहा- भारत नहीं तो हम भी नहीं
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Updated on: 02-Dec-2019 03:52 PM IST
भारत की गैर-मौजदूगी में जापान भी चीन की अगुवाई वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर सकता है। जापान के शीर्ष प्रतिनिधि ने संकेत दिए हैं कि अगर आरसीईपी में भारत शामिल नहीं होता है तो वह भी इससे पीछे हट सकता है। कुछ हफ्तों में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे भी भारत के दौरे पर आने वाले हैं।भारत की गैर-मौजदूगी में जापान भी चीन की अगुवाई वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर सकता है। जापान के शीर्ष प्रतिनिधि ने संकेत दिए हैं कि अगर आरसीईपी में भारत शामिल नहीं होता है तो वह भी इससे पीछे हट सकता है। कुछ हफ्तों में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे भी भारत के दौरे पर आने वाले हैं। जापान के व्यापार एवं वाणिज्य उपमंत्री हिडेकी माकीहारा ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा, फिलहाल हम उस (डील) पर विचार नहीं कर रहे हैं। हम अभी केवल भारत को समझौते में शामिल कराने के बारे में सोच रहे हैं।जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने चीन के क्षेत्रीय प्रभुत्व को संतुलित करने के लिए भारत से संबंध मजबूत किए हैं। जापान और भारत के विदेश मंत्री व रक्षा मंत्री ने इसी सप्ताह 'टू प्लस टू' फॉर्मेट में पहली बैठक की। दोनों देश ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ रणनीतिक वार्ता का भी हिस्सा है। चारों देशों की इस साझेदारी की चीन यह कहकर आलोचना करता रहा है कि इससे एक नए शीतयुद्ध दौर की शुरुआत हो सकती है। समझौते में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को शामिल कराने को लेकर माकीहारा ने कहा, यह आर्थिक, राजनीतिक और खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए बेहद अर्थपूर्ण है। जापान इस समझौते में भारत को शामिल कराने के लिए प्रयास जारी रखेगा।माकीहारा ने कहा, शिंजो अबे के अगले महीने भारत दौरे पर व्यापारिक मंत्री हिरोशी काजीयामा भी साथ होंगे। आरसीईपी में शामिल होने वाले अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, न्यू जीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम भी शामिल हैं, अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में उलझा चीन सुस्त आर्थिक वृद्धि दर से निपटने के लिए आरसीईपी को तेजी से आगे बढ़ाना चाहता है। इस समझौते से चीन के लिए एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के दरवाजे खुल जाएंगे।RCEP समझौता क्या है?आरसीईपी समझौता 10 आसियान देशों (ब्रुनेई, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, विएतनाम) और 6 अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। इस समझौते में शामिल देश एक-दूसरे को व्यापार में टैक्स में कटौती समेत तमाम आर्थिक छूट देंगे। आरसीईपी के 16 सदस्य देशों की जीडीपी पूरी दुनिया की जीडीपी की एक-तिहाई है और दुनिया की आधी आबादी इसमें शामिल है। इस समझौते में वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात, निवेश, बौद्धिक संपदा जैसे विषय शामिल हैं। चीन के लिए यह एक बड़े अवसर की तरह है क्योंकि उत्पादन के मामले में बाकी देश उसके आगे कहीं नहीं टिकते हैं। चीन इस समझौते के जरिए अपने आर्थिक दबदबे को कायम रखने की कोशिश में है।विश्लेषकों को आशंका थी कि आरसीईपी समझौता होने से भारतीय बाजार में चीनी सामान की बाढ़ आ जाएगी और भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुंचेगा।
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