India-US Tariff War: भारत बना तेल के खेल का 'किंग', अमेरिका और यूरोप की निकली हवा!

India-US Tariff War - भारत बना तेल के खेल का 'किंग', अमेरिका और यूरोप की निकली हवा!
| Updated on: 25-Aug-2025 07:20 PM IST

India-US Tariff War: दो दिन बाद भारत पर अमेरिका का 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लागू होने जा रहा है, जिसके साथ भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ 50 फीसदी हो जाएगा। यह टैरिफ रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण लगाया गया है। अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइंड कर दुनिया भर में बेच रहा है, जिससे रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में आर्थिक मदद मिल रही है। ट्रंप प्रशासन ने तो भारत पर यह भी इल्ज़ाम लगाया है कि भारत रूस से तेल खरीदकर पुतिन की "युद्ध मशीन" को ईंधन दे रहा है।

लेकिन इस लेख में हम न तो अमेरिका के आरोपों पर चर्चा करेंगे और न ही यूरोप के सवालों पर। हमारा ध्यान केवल इस बात पर होगा कि रूसी तेल ने भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूती दी है। कोविड के दौर में, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में थी और भारत का निर्यात घट गया था, रूसी तेल ने भारत को आर्थिक सहारा प्रदान किया। इस लेख में हम आंकड़ों के सहारे यह समझने की कोशिश करेंगे कि रूसी तेल ने भारत की अर्थव्यवस्था में कितना और कैसे योगदान दिया।

रूसी तेल का भारत में बढ़ता दबदबा

जब भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया था, तब भारतीय तेल बास्केट में रूसी तेल की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम थी। लेकिन आज यह हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक हो चुकी है। केप्लर की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत ने हर रोज औसतन 2 मिलियन बैरल कच्चा तेल रूस से आयात किया, जो जुलाई के 1.6 मिलियन बैरल प्रति दिन से काफी अधिक है। यह तब हुआ जब अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी।

भारत कुल 5.2 मिलियन बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन आयात करता है, जिसमें रूस की हिस्सेदारी अगस्त के पहले पखवाड़े में 38 फीसदी थी। इस दौरान इराक और सऊदी अरब से आयात में कमी आई। इराक से आयात जुलाई में 907,000 बैरल प्रतिदिन था, जो अगस्त में घटकर 730,000 बैरल प्रतिदिन हो गया। सऊदी अरब से आपूर्ति भी जुलाई के 700,000 बैरल प्रतिदिन से घटकर अगस्त में 526,000 बैरल प्रतिदिन हो गई। दूसरी ओर, अमेरिका ने भारत को 264,000 बैरल प्रतिदिन तेल निर्यात किया और भारत का पांचवां सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना।

सस्ते तेल से रिफाइनिंग और निर्यात

भारत ने रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइंड किया और यूरोप, अमेरिका सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में निर्यात किया। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात से 60.07 बिलियन डॉलर (लगभग 5.25 लाख करोड़ रुपये) की कमाई की। हालांकि, यह राशि वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में कम है, जब भारत ने 84.2 बिलियन डॉलर (लगभग 7.37 लाख करोड़ रुपये) कमाए थे। इस कमी का मुख्य कारण वैश्विक पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में गिरावट है। फिर भी, रूसी तेल ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों से कमाई

भारत ने विभिन्न रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों को निर्यात कर अरबों डॉलर की कमाई की। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने निम्नलिखित पेट्रोलियम उत्पादों से कमाई की:

  • हाई-स्पीड डीजल: 17.38 बिलियन डॉलर

  • मोटर स्पिरिट (पेट्रोल): 8.13 बिलियन डॉलर

  • एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ): 5.33 बिलियन डॉलर

  • फ्यूल ऑयल: 1.38 बिलियन डॉलर

  • नेफ्था: 196.29 मिलियन डॉलर

  • लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी): 37.51 मिलियन डॉलर

  • केरोसिन: 2 मिलियन डॉलर

इन आंकड़ों से साफ है कि हाई-स्पीड डीजल भारत के पेट्रोलियम निर्यात में सबसे बड़ा योगदान देता है, जिसके बाद पेट्रोल और जेट फ्यूल का स्थान है।

रूसी तेल का आर्थिक महत्व

रूसी तेल ने भारत को सस्ते दामों पर कच्चा तेल उपलब्ध कराया, जिससे भारत की रिफाइनिंग लागत कम हुई और निर्यात से होने वाली कमाई बढ़ी। कोविड के दौरान जब भारत का निर्यात सीमित हो गया था, रूसी तेल ने अर्थव्यवस्था को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह तेल न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि इसे रिफाइंड कर निर्यात करने से भारत को विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में भी मदद मिली।

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