India-Canada Relations: भारत के पास कनाडा को जवाब देने का मौका, कभी नहीं भूल पाएंगे ट्रूडो!

India-Canada Relations - भारत के पास कनाडा को जवाब देने का मौका, कभी नहीं भूल पाएंगे ट्रूडो!
| Updated on: 15-Oct-2024 02:20 PM IST
India-Canada Relations: पिछले एक साल से कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव ने हाल ही में एक नई दिशा ले ली है। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के विवादास्पद बयानों ने दोनों देशों के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने न केवल राजनयिक रिश्तों को प्रभावित किया है, बल्कि व्यापारिक संबंधों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

खालिस्तानी निज्जर मामले में आरोप और जवाब

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर ट्रूडो ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, "हम यह लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या ऐसी चीज नहीं है जिसे हम एक देश के रूप में नजरअंदाज कर सकें।" ट्रूडो का यह भी कहना है कि उनके पास इस बात के "साफ और ठोस सबूत" हैं कि भारतीय एजेंट कनाडा में आपराधिक गतिविधियों में संलग्न हैं। इसके जवाब में, भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को "बेतुका" और राजनीतिक एजेंडे के तहत लगाए गए निराधार आरोप के रूप में खारिज कर दिया है।

राजनयिक कदम: भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने कनाडा के इस रुख के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उसके छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। इस कदम से साफ है कि भारत अब कनाडा को एक संदेश देने के लिए तैयार है। विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया से यह भी स्पष्ट है कि भारत इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है और एक ठोस योजना के तहत आगे बढ़ने का इरादा रखता है।

बाइलेटरल ट्रेड का प्रभाव

भारत और कनाडा के बीच बाइलेटरल ट्रेड लगभग 67 हजार करोड़ रुपए का है, जिसमें भारत का निर्यात महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, इस तकरार का असर व्यापार पर पड़ना तय है। भारत अपने निर्यात में कटौती करके या अन्य व्यापारिक कदम उठाकर कनाडा को सबक सिखा सकता है।

G7 समिट: एक अवसर

अगले साल होने वाले G7 समिट की अध्यक्षता कनाडा के हाथ में होगी। इस समिट में भारत भी भाग लेने वाला है। हालांकि, भारत इस अवसर का बहिष्कार कर सकता है, जिससे कनाडा को स्पष्ट संदेश दिया जा सकता है। पिछले साल इटली में हुए G7 समिट में प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया था, और ऐसे में यदि भारत इस बार बहिष्कार करता है, तो यह कनाडा के लिए एक बड़ा झटका होगा।

ट्रूडो के बयान का राजनीतिक पहलू

ट्रूडो के आरोपों को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम उनके घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है। भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाकर ट्रूडो अपने राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देना चाह रहे हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के आरोप उनके देश की छवि को खराब करने की कोशिश हैं।

निष्कर्ष

भारत और कनाडा के बीच का यह तनाव केवल राजनयिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा असर व्यापार, विदेश नीति और वैश्विक मंचों पर भी पड़ सकता है। खालिस्तानी निज्जर मामले में कनाडा के आरोपों के जवाब में भारत की सख्त प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह की साजिश को बर्दाश्त नहीं करेगा। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच के रिश्ते और भी जटिल हो सकते हैं, और विश्व स्तर पर इस स्थिति का असर देखने को मिल सकता है।

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