Donald Trump News: कहीं ट्रंप की इस चाल में भारत न फंस जाए, वरना हो सकता है भारी नुकसान!

Donald Trump News - कहीं ट्रंप की इस चाल में भारत न फंस जाए, वरना हो सकता है भारी नुकसान!
| Updated on: 17-Jul-2025 06:00 PM IST

Donald Trump News: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत ने हाल के दिनों में काफी जोर पकड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि भारत के साथ होने वाला यह समझौता इंडोनेशिया के साथ हुए उनके व्यापार करार जैसा हो सकता है। हालांकि, इस तरह के समझौते से भारत के घरेलू उद्योगों, खासकर कृषि और डेयरी सेक्टर को गंभीर नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। इस लेख में हम इस समझौते के संभावित प्रभावों, चुनौतियों और भारत के लिए जरूरी सावधानियों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।

ट्रंप का इंडोनेशिया मॉडल: एक नजर

नवभारत टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समझौता इंडोनेशिया मॉडल पर आधारित हो सकता है। इंडोनेशिया-अमेरिका समझौते में इंडोनेशिया ने अमेरिकी सामानों को अपने बाजार में बिना किसी रोक-टोक के प्रवेश की अनुमति दी है, जबकि अमेरिका ने इंडोनेशियाई सामानों पर 19% टैरिफ लगा दिया है। इसके अतिरिक्त, इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 अरब डॉलर की ऊर्जा, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और 50 बोइंग जेट खरीदने का वादा किया है। ट्रंप ने भारत से भी इसी तरह की शर्तों की अपेक्षा जताई है, जिससे अमेरिकी सामान भारतीय बाजार में आसानी से बिक सकें।

ट्रंप का बयान, “भारत भी इस दिशा में काम कर रहा है। अब हमें भारत के बाजार में पहुंच मिलेगी। पहले हमारे लोग वहां नहीं जा पाते थे, लेकिन अब टैरिफ के जरिए हम ये मौका हासिल कर रहे हैं,” स्पष्ट करता है कि अमेरिका भारत के बाजार को पूरी तरह से खोलने की मांग कर रहा है।

वाशिंगटन में चल रही बातचीत

भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते को लेकर वाशिंगटन में गहन चर्चा चल रही है। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का एक दल इस समय वाशिंगटन में है, और यह उनका पांचवां दौरा है। दोनों देश कृषि, वाहन, और अन्य महत्वपूर्ण सेक्टरों से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। अमेरिका ने भारत समेत कई देशों पर लगाए गए अतिरिक्त टैक्स को 1 अगस्त तक के लिए टाल दिया है, जिसने इस बातचीत को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है।

एकतरफा समझौते का खतरा

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने इस समझौते को लेकर गंभीर चिंता जताई है। GTRI के अनुसार, यदि भारत इंडोनेशिया जैसे “एकतरफा” समझौते पर हस्ताक्षर करता है, तो इसके परिणामस्वरूप भारतीय डेयरी और कृषि सेक्टर को भारी नुकसान हो सकता है। इस तरह के समझौते से:

  1. अमेरिकी सामानों का सस्ता आयात: अमेरिकी सामान बिना टैक्स के भारतीय बाजार में आसानी से बिक सकेंगे, जिससे स्थानीय उत्पादों की मांग और कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

  2. भारतीय सामानों पर भारी टैरिफ: अमेरिका में भारतीय सामानों पर 19% टैरिफ लगने से भारतीय निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे भारत का निर्यात बाजार प्रभावित होगा।

  3. आर्थिक नुकसान: सस्ते अमेरिकी सामानों की बाढ़ से भारतीय कंपनियों की बिक्री कम होगी, जिससे देश का पैसा बाहर जाएगा और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।

GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है, “जल्दबाजी में गलत समझौता करने से भारत को लंबे समय तक आर्थिक नुकसान हो सकता है। भारत को बातचीत में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए।”

प्रमुख मुद्दों पर असहमति

भारत और अमेरिका के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  • अमेरिका की मांग: अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैक्स में छूट दे। हालांकि, भारत ने डेयरी सेक्टर में अब तक किसी भी देश को ऐसी छूट नहीं दी है और इस बार भी सख्त रुख अपनाए हुए है।

  • भारत की मांग: भारत ने अमेरिका से स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए 50% टैक्स और ऑटोमोबाइल पर 26% टैक्स को हटाने की मांग की है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि जरूरत पड़ी, तो वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत जवाबी टैक्स लगा सकता है।

  • सेक्टर-विशिष्ट मांगें: अमेरिका औद्योगिक सामान, इलेक्ट्रिक वाहन, शराब, पेट्रोरसायन, और डेयरी-कृषि उत्पादों पर टैक्स छूट चाहता है। वहीं, भारत कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे सेक्टरों में टैक्स राहत की मांग कर रहा है। ये सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।

समझौते की समय-सीमा

दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे पहले एक अंतरिम समझौते की संभावना भी जताई जा रही है। हालांकि, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी समझौता उसके दीर्घकालिक हितों को नुकसान न पहुंचाए।

भारत के लिए सावधानियां

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है, बशर्ते इसे संतुलित और पारदर्शी तरीके से किया जाए। भारत को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी होंगी:

  1. घरेलू उद्योगों की रक्षा: भारत को अपने छोटे किसानों, डेयरी सेक्टर, और अन्य स्थानीय उद्योगों के हितों की रक्षा करनी होगी।

  2. पारस्परिक लाभ: समझौते में दोनों देशों के लिए समान लाभ सुनिश्चित करना होगा। एकतरफा शर्तों को स्वीकार करने से बचना चाहिए।

  3. WTO नियमों का सहारा: यदि अमेरिका अनुचित टैरिफ थोपता है, तो भारत को WTO के नियमों के तहत जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है।

  4. लंबी अवधि का दृष्टिकोण: भारत को जल्दबाजी में कोई ऐसा समझौता नहीं करना चाहिए, जो दीर्घकाल में उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करे।

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