Adani Defence Aerospace: भारत की समुद्री शक्ति को अब एक और मजबूत स्तंभ मिलने जा रहा है। डिफेंस सेक्टर की प्रमुख कंपनी अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने इज़रायली डिफेंस समूह एलबिट सिस्टम्स की ग्रुप कंपनी स्पार्टन के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है। इस करार के तहत दोनों कंपनियां मिलकर भारतीय नौसेना के लिए अत्याधुनिक एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) सॉल्यूशंस विकसित करेंगी। खास बात यह है कि इस साझेदारी से भारत में पहली बार निजी क्षेत्र की कोई कंपनी सोनोबॉय टेक्नोलॉजी का उत्पादन करेगी, जो समुद्र के भीतर दुश्मन की पनडुब्बियों को पहचानने में सक्षम होगी।
सोनोबॉय एक उन्नत उपकरण है, जो पानी के भीतर सोनार तकनीक का उपयोग करके पनडुब्बियों की मौजूदगी का पता लगाता है। यह सोनार सिग्नलों को पकड़कर उनकी लोकेशन को रेडियो सिग्नल्स के माध्यम से नौसेना के जहाजों या विमानों तक पहुंचाता है। यह तकनीक विशेष रूप से एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) में अत्यंत कारगर मानी जाती है।
अब तक भारत इस तकनीक के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर था, लेकिन अडानी और स्पार्टन की साझेदारी के बाद यह तकनीक देश में ही विकसित की जाएगी। यह कदम आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) और मेक इन इंडिया (Make in India) अभियानों को उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ाएगा।
इस डील में स्पार्टन की नवीनतम ASW टेक्नोलॉजी और अडानी डिफेंस की निर्माण, विकास और रखरखाव विशेषज्ञता का बेहतरीन समन्वय देखने को मिलेगा। इससे न केवल भारतीय नौसेना की अंडरवॉटर युद्ध क्षमता बढ़ेगी, बल्कि भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह साझेदारी भारत की विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता को कम करने में अहम भूमिका निभाएगी और देश की रणनीतिक स्वायत्तता को और मजबूत बनाएगी।
अडानी एंटरप्राइजेज के वाइस चेयरमैन जीत अडानी ने इस अवसर पर कहा:
"आज का समुद्री सुरक्षा परिदृश्य अत्यंत जटिल और अनिश्चित है। भारत की समुद्री युद्ध क्षमता को मजबूत करना न केवल एक रणनीतिक आवश्यकता है, बल्कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए भी अत्यावश्यक है।"
वहीं, स्पार्टन डिलीऑन स्प्रिंग्स एलएलसी के प्रेसिडेंट और CEO डोनेली बोहन ने इस साझेदारी पर संतोष जताते हुए कहा:
"हम अडानी डिफेंस के साथ मिलकर भारतीय नौसेना के लिए अनुकूलित एंटी-सबमरीन सॉल्यूशंस विकसित करने को लेकर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं।"
अडानी डिफेंस और स्पार्टन की यह साझेदारी भारत को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि हिंद महासागर में रणनीतिक वर्चस्व को भी मजबूत करेगी। स्वदेशी सोनोबॉय तकनीक से लैस होकर भारतीय नौसेना अब दुश्मन की पनडुब्बियों की चालों को पहले से ज्यादा प्रभावशाली ढंग से पहचान और निष्क्रिय कर सकेगी।