US-Russia Relations: क्या ट्रंप रूस से करीबी बढ़ा चीन को झटका देने की तैयारी में है? फैसलों से मिले संकेत

US-Russia Relations - क्या ट्रंप रूस से करीबी बढ़ा चीन को झटका देने की तैयारी में है? फैसलों से मिले संकेत
| Updated on: 14-Mar-2025 01:32 PM IST

US-Russia Relations: 28 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में हुई बातचीत ने दुनिया को चौंका दिया। इस वार्ता में ट्रंप का रवैया यूक्रेन के प्रति ठंडा और रूस के प्रति अपेक्षाकृत नरम दिखा। जब मीडिया ने ट्रंप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने पुतिन को अधिक सहानुभूति दिखाने वाला बताया।

अमेरिका और रूस की बढ़ती नजदीकी

हाल के दिनों में ट्रंप और पुतिन के बीच लगातार संवाद बढ़ा है। अमेरिकी अधिकारी भी रूस से संपर्क में हैं, खासकर यूक्रेन युद्ध को लेकर। जानकारों का मानना है कि ट्रंप एक बड़ी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिसमें रूस को अपने साथ लाकर चीन की ताकत को कमजोर करना शामिल है।

ट्रंप की यह नीति 1970 के दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की "चीन कार्ड" रणनीति की उलट प्रक्रिया मानी जा रही है। निक्सन ने उस समय चीन से दोस्ती कर सोवियत संघ को अलग-थलग कर दिया था, जिससे शीत युद्ध के समीकरण बदल गए थे। अब ट्रंप रूस को चीन से अलग कर, चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना चाहते हैं।

क्या अमेरिका की असली चुनौती चीन है?

विशेषज्ञों की राय में, अमेरिका के लिए रूस और ईरान से ज्यादा बड़ी चुनौती चीन बन चुका है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  1. आर्थिक प्रतिस्पर्धा: चीन की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है और अमेरिका के लिए खतरा बन रही है।
  2. तकनीकी प्रभुत्व: चीन के टेक सेक्टर ने अमेरिकी कंपनियों को चुनौती दी है, विशेष रूप से 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चिप निर्माण के क्षेत्र में।
  3. सैन्य विस्तार: चीन अपनी सेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है और अमेरिका की बराबरी करता दिख रहा है।
  4. कूटनीतिक प्रभाव: चीन अब वैश्विक मंचों पर अधिक मुखर हो रहा है, विशेष रूप से मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया में।

रूस: छोटा खतरा, लेकिन महत्वपूर्ण सहयोगी?

रूस की सैन्य शक्ति जरूर बड़ी है, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था कमजोर है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने उसकी आर्थिक स्थिति को झकझोर दिया है। दूसरी ओर, चीन आर्थिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर तेजी से बढ़ रहा है। ट्रंप को यह एहसास हो गया है कि यदि रूस और चीन की दोस्ती कायम रही, तो चीन अमेरिका को वैश्विक शक्ति के रूप में पीछे छोड़ सकता है।

क्या रूस अमेरिका का नया रणनीतिक साझेदार बनेगा?

यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप की यह रणनीति कितनी सफल होती है। अगर अमेरिका रूस को चीन से अलग करने में कामयाब रहा, तो यह वैश्विक शक्ति संतुलन में एक बड़ा बदलाव होगा। यह स्थिति चीन के लिए झटका साबित हो सकती है और अमेरिका को नई भू-राजनीतिक बढ़त दिला सकती है।

अगले कुछ महीनों में दुनिया की नजर इस पर रहेगी कि ट्रंप की यह "रिवर्स निक्सन" नीति कितनी सफल होती है। क्या अमेरिका और रूस की दोस्ती चीन को कमजोर कर पाएगी, या फिर यह सिर्फ कूटनीतिक चाल साबित होगी?

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