Israel-Iran War: ईरान की इजराइल ने तोड़ दी कमर, मारे गए खामेनेई के दो सिपहसालार

Israel-Iran War - ईरान की इजराइल ने तोड़ दी कमर, मारे गए खामेनेई के दो सिपहसालार
| Updated on: 13-Jun-2025 10:29 AM IST

Israel-Iran War: 13 जून 2025 की सुबह मध्य पूर्व में इतिहास का एक और बड़ा मोड़ बनकर सामने आई, जब इजराइल ने ईरान पर बेहद सटीक और विनाशकारी सैन्य हमला किया। इस हमले में इजराइल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए भारी नुकसान पहुंचाया। इस हमले को “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम दिया गया है, जिसे इजराइल ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम बताया है।

ईरान को लगा बड़ा झटका

इजराइल के इस हमले में ईरान को असाधारण क्षति उठानी पड़ी है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख मेजर जनरल होसैन सलामी और जनरल घोलम-अली रशीद की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही, दो प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक — डॉ. मोहम्मद तेहरांची और डॉ. फेरेयदून अब्बासी — भी इस हमले में मारे गए हैं।
ईरान के सैन्य प्रतिष्ठानों में हड़कंप मच गया है और कई अन्य अधिकारियों के लापता होने की भी खबरें हैं।

इजराइल का इरादा साफ

इजराइल लंबे समय से यह कहता रहा है कि वह ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की इजाजत नहीं देगा। 13 जून का हमला इसी नीति की सख्त परिणति है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि “ईरान के परमाणु खतरे को खत्म करना हमारी प्राथमिकता है और ऑपरेशन राइजिंग लायन तब तक जारी रहेगा जब तक यह खतरा समाप्त नहीं हो जाता।”

परमाणु कार्यक्रम को झटका

ईरान का परमाणु कार्यक्रम पिछले कुछ वर्षों में निर्णायक चरण में पहुंच चुका था, लेकिन इस हमले ने उस गति को गंभीर रूप से बाधित किया है। इजराइल का दावा है कि उसने ईरान के मुख्य परमाणु केंद्रों को पूरी तरह तबाह कर दिया है। इस आक्रमण से न केवल ईरान की सामरिक शक्ति कमजोर हुई है, बल्कि उसकी वैश्विक स्थिति पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।

ऑपरेशन का अगला चरण?

नेतन्याहू ने स्पष्ट संकेत दिया है कि यह हमला किसी एक दिन की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह एक निरंतर सैन्य अभियान का हिस्सा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान से निकलने वाले किसी भी खतरे को तत्काल और निर्णायक जवाब मिलेगा।

क्षेत्रीय तनाव की आहट

यह हमला केवल ईरान-इजराइल के बीच का मामला नहीं है। इसने पूरे मध्य पूर्व को अस्थिरता के एक नए दौर में धकेल दिया है। वैश्विक शक्तियाँ — अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय संघ — अब कूटनीतिक हलचल में जुट गई हैं, क्योंकि यह संघर्ष वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, तेल की कीमतों और भू-राजनीतिक संतुलन पर असर डाल सकता है।

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