Janmashtami Vrat Vidhi: जन्‍माष्‍टमी व्रत कैसे करे और जाने कथा की पूर्ण विधि

Janmashtami Vrat Vidhi - जन्‍माष्‍टमी व्रत कैसे करे और जाने कथा की पूर्ण विधि
| Updated on: 18-Aug-2022 08:27 AM IST
Janmashtami Vrat Vidhi: जिस तरह एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से हो जाती है। सप्तमी तिथि के दिन से ही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली आदि का त्याग कर देना चाहिए और सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद ”ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्ररमहं करिष्ये।।” मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन आप फलाहार और जलाहार व्रत रख सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है। व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए। वहीं शाम की पूजा से पहले एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।

इस तरह करें जन्माष्टमी की पूजा

भगवान श्रीकृष्ण का पर्व रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को हुआ था, ऐसे में रात को पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करने से सभी तरह के दुखों का अंत हो जाता है। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करें। मूर्ति स्थापना के बाद उनका गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उन्हें मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उन्हें सुसज्जित करें। फूल, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करें। फिर सबसे अंत में बाल श्रीकृष्ण की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्म हुया था. कहा जाता है कि कंस ने अपने पिता उग्रसेन राजगद्दी छीनकर जेल में बंद कर दिया. जिसके बाद वह खुद मथुरा की राजगद्दी पर बैठ गया. कंस की एक बहन थी, जिनका नाम देवकी था. वह देवकी से बहुत स्नेह रखता था. कंस ने देवकी का विवाह वासुदेव से कराया, लेकिन देवकी की विदाई के वक्त आकाशवाणी हुई कि उसका आठवां पुत्र कंस का वध करेगा. आकाशवाणी सुनकर कंस डर गया, जिसके बाद उसने देवकी और वासुदेव दोनों को कारागार में बंद कर दिया. कहते हैं कि कंस ने देवकी और वासुदेव की 7 संतान को मार दिए, लेकिन जब देवकी की आठवीं संतान का जन्म होने वाला था, तब आकाश में बिजली कड़क रही थी. मान्यतानुसार, रात्रि 12 बजे जेल के सारे ताले खुद ही टूट गए और वहां की निगरानी कर रहे सभी सैनिकों को गहरी नींद आ गई. वे सो गए. कहा जाता है कि उस समय भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने बताया कि वे देवकी की कोख से जन्म लेंगे. इस क्रम में आगे उन्होंने कहा कि वे उनके कृष्ण रूपी अवतार को गोकुल में नंद बाबा के पास छोड़ आएं और उनके घर जन्मी कन्या को मथुरा लाकर कंस को सौंप दें. जिसके बाद वासुदेव ने भगवान के के कहे अनुसार किया. वह कान्हा को नंद बाबा के पास छोड़ आए और उनकी कन्या को कंस को सौंप दिया. नंद और यशोदा ने श्रीकृष्ण को पाला और श्री कृष्ण ने कंस का वध किया.

आरती कुंजबिहारी की 

  • आरती कुंजबिहारी की
  • श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
  • गले में बैजंती माला
  • बजावै मुरली मधुर बाला
  • श्रवण में कुण्डल झलकाला
  • नंद के आनंद नंदलाला
  • गगन सम अंग कांति काली
  • राधिका चमक रही आली
  • लतन में ठाढ़े बनमाली
  • भ्रमर सी अलक
  • कस्तूरी तिलक
  • चंद्र सी झलक
  • ललित छवि श्यामा प्यारी की
  • श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • कनकमय मोर मुकुट बिलसै
  • देवता दरसन को तरसैं
  • गगन सों सुमन रासि बरसै
  • बजे मुरचंग
  • मधुर मिरदंग
  • ग्वालिन संग
  • अतुल रति गोप कुमारी की
  • श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • जहां ते प्रकट भई गंगा
  • सकल मन हारिणि श्री गंगा 
  • स्मरन ते होत मोह भंगा
  • बसी शिव सीस
  • जटा के बीच
  • हरै अघ कीच
  • चरन छवि श्रीबनवारी की
  • श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • चमकती उज्ज्वल तट रेनू
  • बज रही वृंदावन बेनू
  • चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
  • हंसत मृदु मंद
  • चांदनी चंद
  • कटत भव फंद
  • टेर सुन दीन दुखारी की
  • श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
  • आरती कुंजबिहारी की
  • श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
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