US Presidential Election: मुस्लिम वोट खोने का कमला हैरिस को डर? हमास-हिजबुल्लाह ने बढ़ाई चिंता

US Presidential Election - मुस्लिम वोट खोने का कमला हैरिस को डर? हमास-हिजबुल्लाह ने बढ़ाई चिंता
| Updated on: 13-Oct-2024 01:00 AM IST
US Presidential Election: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ चुके हैं, और 5 नवंबर को यहां मतदान होने वाला है। इस बार का चुनाव खास तौर पर इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया में इस वक्त दो बड़े युद्ध जारी हैं—रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हिजबुल्लाह संघर्ष, जिसमें अब ईरान भी शामिल हो चुका है। अमेरिका इन युद्धों में यूक्रेन और इजराइल का समर्थन कर रहा है, लेकिन यह समर्थन मौजूदा बाइडेन सरकार के लिए चुनौती भी साबित हो रहा है।

डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी कमला हैरिस को इन युद्धों में हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ इजराइल के समर्थन के कारण मुस्लिम वोट बैंक खोने का डर सता रहा है। जबकि रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका में रह रहे मुस्लिम वोटर्स से खास समर्थन नहीं मिलता, इस बार हालात बदलते नजर आ रहे हैं। मुस्लिम बहुल राज्यों में कमला हैरिस को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।

मुस्लिम वोटर्स का झुकाव और चुनौतियाँ

हाल के सर्वेक्षणों से यह साफ हुआ है कि मुस्लिम वोटर्स की प्राथमिकताएं बदल रही हैं। ग्रीन पार्टी की उम्मीदवार जिल एलेन स्टीन को मुस्लिम वोटर्स के बीच से बड़ा समर्थन मिल सकता है, वहीं ट्रंप भी इस दौड़ में दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि, कई नेशनल सर्वे में कमला हैरिस ट्रंप से 2-3% आगे हैं, लेकिन कुछ राज्यों में ट्रंप बढ़त बनाए हुए हैं।

मिशिगन जैसे राज्यों में मुस्लिम वोटरों का बंटवारा कमला हैरिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। इन क्षेत्रों में बाइडेन सरकार के इजराइल के प्रति समर्थन से नाराजगी देखी जा रही है, जिससे डेमोक्रेट्स की संभावनाएं कमजोर हो रही हैं। हमास और हिजबुल्लाह पर इजराइल के हमलों के समर्थन के कारण मुस्लिम समुदाय में रोष पैदा हुआ है।

मुस्लिम वोटर्स की भूमिका

अमेरिकी चुनाव अब भारत जैसे चुनावों की तरह बनते जा रहे हैं, जहां कुछ समुदाय खास सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिकी अरब संस्थान के हालिया सर्वे के अनुसार, अरब मूल के मतदाता बाइडेन-हैरिस प्रशासन से खासे नाराज हैं और डेमोक्रेट्स का समर्थन करने से कतरा रहे हैं। मिशिगन जैसे राज्यों में गुस्से की भावना और भी प्रबल है, जहां बड़ी संख्या में अरब-अमेरिकी रहते हैं।

गाजा संघर्ष में इजराइल का समर्थन बाइडेन प्रशासन के लिए विरोध का कारण बना है। हालांकि, कमला हैरिस की उम्मीदवारी ने कुछ हद तक इस विरोध को कम किया है, फिर भी डेमोक्रेट्स को मुस्लिम वोट बैंक से पूर्ण समर्थन नहीं मिल पा रहा है। कई मतदाता ग्रीन पार्टी की जिल स्टीन को भी विकल्प मान रहे हैं।

मुस्लिम वोटर्स की बदलती प्राथमिकताएं

सर्वे बताते हैं कि मिशिगन में 40% मुस्लिम मतदाता जिल स्टीन का समर्थन कर रहे हैं, जबकि 18% ट्रंप और केवल 12% कमला हैरिस को समर्थन दे रहे हैं। एरिज़ोना में जिल स्टीन को 35% और कमला हैरिस को 29% समर्थन प्राप्त है। विस्कॉन्सिन में यह आंकड़ा जिल स्टीन के लिए 44% और हैरिस के लिए 39% है। कुल मिलाकर, जिल स्टीन इन महत्वपूर्ण राज्यों में कमला हैरिस से आगे नजर आ रही हैं।

ट्रंप की लोकप्रियता में वृद्धि

दूसरी ओर, मुस्लिम समुदायों में ट्रंप की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी मिशिगन के यमनी अमेरिकी मेयर द्वारा ट्रंप का समर्थन करने की खबर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह स्थिति कमला हैरिस के लिए बड़ी चिंता का कारण बन रही है। अरब और मुस्लिम समुदायों के हितों को लेकर दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला बढ़ गया है।

अमेरिका में मुस्लिम आबादी का प्रभाव

अमेरिका में मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग 45 लाख है, जो कुल जनसंख्या का 1.3% हिस्सा है। इनमें अरब, भारतीय, और पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम शामिल हैं। अरब के मुसलमान अमेरिका में प्रभावशाली माने जाते हैं, जिनकी आबादी करीब 35 लाख है। मिशिगन जैसे राज्य में इनकी तादाद सबसे ज्यादा है, जो करीब 2.5 लाख है। यह समुदाय पारंपरिक रूप से डेमोक्रेट्स का समर्थन करता रहा है, लेकिन गाजा संघर्ष के बाद हालात बदलते नजर आ रहे हैं।

निष्कर्ष

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मुस्लिम वोटर्स की भूमिका इस बार काफी अहम साबित हो सकती है। कमला हैरिस को अपनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जबकि ट्रंप और ग्रीन पार्टी की जिल स्टीन भी मुस्लिम वोटर्स के बीच समर्थन बढ़ा रही हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, अरब और मुस्लिम समुदाय के मतदाता अमेरिकी राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

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