Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान को क्यों माना जाता है सबसे पावन? जानें धार्मिक महत्व

Kartik Purnima 2025 - कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान को क्यों माना जाता है सबसे पावन? जानें धार्मिक महत्व
| Updated on: 03-Nov-2025 05:35 PM IST
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र तिथि है, जिसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' या 'देव दीपावली' के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन आध्यात्मिक शुद्धि, दान-पुण्य और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। सदियों से इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान और दीपदान की परंपरा चली आ रही है, जिसके बारे में मान्यता है कि ये सभी कार्य करने से व्यक्ति को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना के लिए भी समर्पित है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

कार्तिक पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 4 नवंबर को मंगलवार रात 11 बजकर 37 मिनट पर होगा। यह पवित्र तिथि अगले दिन, यानी 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। चूंकि 5 नवंबर को सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि व्याप्त रहेगी, इसलिए कार्तिक पूर्णिमा का पर्व। और इससे संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान, जैसे गंगा स्नान और व्रत, 5 नवंबर को ही मनाए जाएंगे। इस दिन भक्तगण ब्रह्म मुहूर्त से ही पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

गंगा स्नान का अतुलनीय महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व धर्म शास्त्रों में विशेष रूप से वर्णित है। इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है और ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। यह स्नान न केवल शारीरिक शुद्धि प्रदान करता है, बल्कि आत्मा को। भी शुद्ध करता है और उसे मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है। यह दिन आत्मशुद्धि, मोक्ष और ईश्वरीय कृपा पाने का एक सुनहरा अवसर होता है। इस पवित्र स्नान से जीवन में शुभता और सकारात्मकता का संचार होता है।

भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार

आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था और मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से पहला है, जिसे सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए लिया गया था। इस अवतार के कारण कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और गंगा स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु की विशेष आराधना करते हैं और उनके मत्स्य। रूप को स्मरण करते हैं, जिससे उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह भी मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, यमुना, गोदावरी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन स्नान करने से केवल शारीरिक शुद्धि ही नहीं होती, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है। यह स्नान मन में शांति, संतुलन और भक्ति की भावना पैदा। करता है, जिससे व्यक्ति का जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। दीपदान करने से जीवन में प्रकाश, शांति और समृद्धि आती है, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाती है।

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