पंजाब: ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर में दिखे भिंडरांवाले के पोस्टर व झंडे

पंजाब - ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर में दिखे भिंडरांवाले के पोस्टर व झंडे
| Updated on: 06-Jun-2021 02:33 PM IST
अमृतसर: आज 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं बरसी है। ऐसे में सिख संगठनों ने कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। इसी के तहत अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के अंदर एक कार्यक्रम के दौरान खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर और खालिस्तानी झंडे देखे गए। इसकी कई तस्वीरें सामने आईं।

ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी को लेकर पंजाब सरकार ने पूरे राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी है। अमृतसर में सुरक्षा ज्यादा कड़ी की गई है। अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने कहा है कि शहरभर में निगरानी रखने के लिए 6,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। ऐसे में कार्यक्रमों की तस्वीरों में खालिस्तानी झंडे देखे जाने सरकार के लिए एक बड़ी चिंता बन सकती है। इन तस्वीरों में भीड़ में लोग इस झंडे को पकड़े नजर आ रहे हैं।

ऑपरेशन ब्लू स्टार 

बता दें कि 6 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सैन्य अभियान चलाया गया था। ऑपरेशन ब्लूस्टार तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा अमृतसर में हरमंदिर साहिब कॉम्प्लेक्स में कराया गया था। ऑपरेशन में कई लोगों की जान चली गई और स्वर्ण मंदिर का कुछ हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया था। ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे भड़क गए थे जिनमें लगभग 3,000 सिख मारे गए थे।

क्या है खालिस्तान आंदोलन?

सन 1947 में जब अंग्रेज भारत को दो देशों में बांटने की योजना बना रहे थे। तब कुछ सिख नेताओं ने अपने लिए अलग देश-खालिस्तान की मांग की। आजादी के बाद इसे लेकर हिंसक आंदोलन भी चला, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। पंजाबी भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग की शुरुआत ‘पंजाबी सूबा’ आंदोलन से हुई थी। अलग पंजाब के लिए जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हुए और अंत में 1966 में ये मांग मान ली गई। भाषा के आधार पर पंजाब, हरियाणा और केंद्र शाषित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना हुई। हालांकि पंजाबी भाषी लोगों की इस मांग को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खारिज कर दिया था। इंदिरा गांधी का कहना था कि यह ‘देशद्रोही’ मांगें हैं। इसके बाद, 1980 के दशक में ‘खालिस्तान’ के तौर पर अलग राज्य की मांग ने जोर पकड़ लिया था। धीरे-धीरे ये मांग बढ़ने लगी और हिंसक होता चला गया।

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