Amar Singh Chahal: पंजाब के पूर्व IG अमर सिंह चहल ने खुद को गोली मारी, 12 पेज के सुसाइड नोट में 8.10 करोड़ के ऑनलाइन फ्रॉड का खुलासा

Amar Singh Chahal - पंजाब के पूर्व IG अमर सिंह चहल ने खुद को गोली मारी, 12 पेज के सुसाइड नोट में 8.10 करोड़ के ऑनलाइन फ्रॉड का खुलासा
| Updated on: 23-Dec-2025 08:16 AM IST
एक दुखद घटना का परिचय पंजाब के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमर सिंह चहल, जो एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी हैं, ने सोमवार को पटियाला में अपनी रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। इस घटना ने समुदाय में सदमे की लहर दौड़ा दी है, खासकर इसलिए क्योंकि घटनास्थल से बरामद 12 पन्नों के सुसाइड नोट में एक बड़े ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी को उनके इस चरम कदम का प्राथमिक कारण बताया गया है। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को संबोधित इस नोट में, चहल ने विस्तार से बताया है कि कैसे वह साइबर ठगों के जाल में फंस गए और 8 करोड़ 10 लाख रुपये की भारी राशि गंवा बैठे।

नाजुक हालत और चिकित्सा हस्तक्षेप

आत्महत्या के प्रयास के बाद, अमर सिंह चहल को गंभीर हालत में पटियाला के पार्क अस्पताल में भर्ती कराया गया और गोली उनके सीने के पास लगी, जिससे उनके लीवर को गंभीर क्षति पहुंची। डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन किया ताकि इस गंभीर चोट का इलाज किया जा सके। वर्तमान में, उन्हें निगरानी में रखा गया है और उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। चिकित्सा दल उनकी रिकवरी पर कड़ी नजर रख रहा है, इस गंभीर स्थिति से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहा है।

12 पन्नों का सुसाइड नोट: एक अर्जेंट आखिरी अपील

बरामद हुए 12 पन्नों के सुसाइड नोट का शीर्षक "अर्जेंट आखिरी अपील" है, जो उनकी गहरी पीड़ा को दर्शाता है। इस विस्तृत पत्र में, पूर्व आईजी चहल ने स्पष्ट रूप से अपनी अत्यधिक निराशा और हताशा व्यक्त की है, और अपने इस कदम का कारण साइबर ठगों द्वारा की गई धोखाधड़ी को बताया है। उन्होंने लिखा, "अत्यंत दुख और निराशा के साथ मैं आपके संज्ञान में यह लाना चाहता हूं कि मुझे कुछ साइबर ठगों। द्वारा धोखा दिया गया, जो खुद को वेल्थ इक्विटी एडवाइजर बताकर 8 करोड़ 10 लाख रुपए की ठगी कर चुके हैं। " यह नोट चल रही पुलिस जांच के लिए एक महत्वपूर्ण सबूत है, जो। उस जटिल धोखे के जाल पर प्रकाश डालता है जिसके कारण यह दुखद घटना हुई।

ठगों की कार्यप्रणाली

चहल के सुसाइड नोट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ठगों ने उन्हें अपने जाल में फंसाया। इस घोटाले में एक मुख्य व्यक्ति था जिसने खुद को डीबीएस बैंक का सीईओ डॉ. रजत वर्मा बताया और यह व्यक्ति नियमित रूप से शेयर बाजार, आईपीओ और ट्रेडिंग से संबंधित टिप्स देता था। विश्वास बनाने के लिए, ठग की प्रोफाइल में एक सीईओ की तस्वीर लगी हुई थी। निवेशकों को एक समूह में सवाल पूछने की अनुमति थी, और उन्हें तुरंत जवाब मिलते थे, जिससे ऑपरेशन की वैधता में उनका विश्वास और मजबूत होता गया।

झूठे वादों और फर्जी डैशबोर्ड से लुभाना

विश्वास का एक स्तर स्थापित करने के बाद, ठगों ने अपने पीड़ितों को एक ऑनलाइन डैशबोर्ड दिखाया और इस डैशबोर्ड में चार अलग-अलग निवेश योजनाएं प्रदर्शित की गईं: डेली ट्रेड स्टॉक्स, ओटीसी ट्रेड, आईपीओ और क्वांटिटेटिव फंड्स। प्रत्येक योजना को पिछले से अधिक आकर्षक रिटर्न के साथ प्रस्तुत किया गया, जिससे आकर्षक निवेश के अवसरों का भ्रम पैदा हुआ। समूह ने झूठा दावा किया कि "डीबीएस ग्रुप" को आईपीओ में रियायती दरों पर शेयर मिलते हैं। उन्होंने ओटीसी ट्रेड में 30-40% और क्वांटिटेटिव फंड्स में 50% से अधिक रिटर्न का भी दावा किया, जिससे उच्च मुनाफे की गारंटी वाली तस्वीर पेश की गई।

वित्तीय जाल और उगाही

अमर सिंह चहल, इन विस्तृत योजनाओं से आश्वस्त होकर, अपने तीन बैंक खातों - एक्सिस, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक से 8 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्थानांतरित कर दी। इस राशि का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 7 करोड़ रुपये, कथित तौर पर उधार लिया गया था और जैसे ही उन्होंने अपने कथित मुनाफे को निकालने का प्रयास किया, ठगों के असली इरादे सामने आ गए, और उगाही का एक चक्र शुरू हो गया। जब उन्होंने 5 करोड़ रुपये निकालने की कोशिश की, तो उनसे 1. 5% सेवा शुल्क और 3% कर की मांग की गई, जो कुल 2. 25 करोड़ रुपये था। इस बड़ी राशि का भुगतान करने के बाद भी, पैसे जारी नहीं किए गए और इसके बजाय, 2 करोड़ रुपये और मांगे गए, जिसके बाद "प्रीमियम सदस्यता शुल्क" के रूप में 20 लाख रुपये का अनुरोध किया गया। चहल खुद को एक गहरे जाल में फंसा हुआ पाया, जहां वह न तो अपने पैसे निकाल पा रहे थे और न ही ठगों की मांगों से बच पा रहे थे।

अपरिचित परिवार और दोस्त

धोखाधड़ी की सीमा और चहल की दुर्दशा उनके करीबी सहयोगियों से गुप्त रही और उनके दोस्त, पड़ोसी और यहां तक कि परिवार के सदस्य भी उस वित्तीय धोखे से पूरी तरह अनजान थे जिसका वह सामना कर रहे थे। यह अलगाव ऐसे ऑनलाइन धोखाधड़ी की कपटपूर्ण प्रकृति को उजागर करता है, जहां पीड़ित अक्सर अपने संघर्षों को छिपाने के लिए मजबूर महसूस करते हैं, शायद शर्म या निर्णय के डर के कारण। हालांकि, सुसाइड नोट में बैंक खाता जानकारी, आईएफएससी कोड और लेनदेन रिकॉर्ड सहित स्पष्ट विवरण प्रदान किए गए हैं, जो अब पुलिस जांच के लिए महत्वपूर्ण हैं।

पटियाला पुलिस ने गहन जांच शुरू की

पटियाला पुलिस ने इस घटना की व्यापक जांच शुरू कर दी है। उनका प्राथमिक उद्देश्य उन सटीक परिस्थितियों का पता लगाना है जिनके कारण पूर्व आईजी चहल ने आत्महत्या का प्रयास किया और ऑनलाइन धोखाधड़ी की पूरी सीमा को उजागर करना है। जबकि सुसाइड नोट स्पष्ट रूप से वित्तीय धोखे की ओर इशारा करता है, पुलिस घटनाओं की श्रृंखला को समझने के लिए हर विवरण की बारीकी से जांच कर रही है और वे धोखाधड़ी की गई 8 करोड़ 10 लाख रुपये की राशि के गंतव्य का भी पता लगा रहे हैं, नोट में उल्लिखित बैंक खातों की जांच कर रहे हैं। परिवार, जो वर्तमान में सदमे की स्थिति में है और बयान देने में असमर्थ है, से उम्मीद है कि वे एक या दो दिनों में बेहतर स्थिति में होने पर अधिक जानकारी प्रदान करेंगे। यह दुखद घटना परिष्कृत ऑनलाइन वित्तीय घोटालों के बढ़ते खतरे की एक कड़ी याद दिलाती है।

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