देश: जानें ऐसी तोप के बारे में जसके चलने पर 35 किमी दूर गिरा गोला और बन गया तालाब

देश - जानें ऐसी तोप के बारे में जसके चलने पर 35 किमी दूर गिरा गोला और बन गया तालाब
| Updated on: 23-Sep-2021 10:33 AM IST
क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' कहा रखी गई है. इसकी क्या खासियत है. इसकी लंबाई कितनी है, इत्यादि. आइये जानते हैं जयवाण तोप और इससे संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में.

जैसा की हम जानते हैं कि प्राचीन काल से ही एक दूसरे पर वर्चस्व कायम करने के लिए लडाइयां लड़ी जाती थी और कई प्रकार के घातक हथियारों का इस्तेमाल भी किया जाता था. इन हथियारों में तोप को काफी घातक हथियार माना जाता था, जिसके ज़रिये बारूद के गोले को दूर तक फेंका जा सकता था. 

16वीं शताब्दी के युद्ध में तोपों की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी. पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने इनका प्रभावी ढंग से प्रयोग किया था. 

भारत में भी एक खास तोप है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी तोप का दर्जा प्राप्त है. साथ ही ऐसा भी बताया जाता है कि जब यह चली थी तो इसके एक गोले ने बड़ा सा तालाब बना दिया था. आइये जानते हैं इस तोप के बारे में.

दुनिया की सबसे बड़ी तोप 

जिसे दुनिया की सबसे बड़ी तोप का दर्जा प्राप्त है वह है 'जयबाण' तोप. यह जयपुर के किले में रखी गई है. ऐसा बताया जाता है कि इस तोप को जयगण किले में 1720 ईस्वी में स्थापित किया गया था. 

जयबाण तोप को महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय (1699-1743) के शासनकाल के दौरान जयगढ़ में निर्मित किया गया था. इसका निर्माण उन्होंने अपनी रियासत की सुरक्षा के लिए किया था. इस तोप का इस्तेमाल कभी किसी युद्ध में नहीं किया गया है.

माना जाता है कि तोप के बैरल की लंबाई 6.15 मीटर (20.2 फीट) है और इसका वजन 50 टन है. बैरल की नोक के पास की परिधि 2.2 मीटर (7.2 फीट) है और पीछे की परिधि 2.8 मीटर (9.2 फीट) है. बैरल के बोर का व्यास 11 इंच है और टिप पर बैरल की मोटाई 8.5 इंच है.

इस तोप को दो पहिया गाड़ी में रखा गया है और पहिये करीब 1.37 मीटर (4.5 फीट) व्यास के हैं. इसके अलावा गाड़ी में परिवहन के लिए दो हटाने वाले अतिरिक्त पहियें भी हैं, इनका व्यास करीब 9 फीट है. 

लगभग 100 किलो बारूद से 50 किलो वजनी गोले का इस्तेमाल किया जाता था. 

तोप और इसमें लगने वाले गोले की खासियत क्या है?

ऐसा माना जाता है कि जयबाण तोप का केवल एक बार ही परीक्षण किया गया था, और जब दागा गया तो गोले ने लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय की थी. कहा जाता है कि ये गोला चाकसू नामक कस्बे में गिरा था और वहां गिरने से एक तालाब बन गया था. 

जयगढ़ किले के बारे में

- यह किला जयपुर में स्थित है और जयपुर का सबसे ऊँचा दुर्ग भी है. इसे 1726 ईस्वी में सवाई जय सिंह II ने बनवाया था.

- किले का मुख्य आकर्षण आमेर किले और जयगढ़ किले के बीच भूमिगत मार्ग को जोड़ना है, ताकि हमले की स्थिति में लोगों को सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिल सके.

- किला अरावली रेंज और माओटा (Maota) झील का एक उत्कृष्ट दृश्य प्रदान करता है, और वास्तव में ईगल्स की पहाड़ी के ऊपर बनाया गया है, जिसे चील का टीला भी कहा जाता है.

- किला लाल बलुआ पत्थर की मोटी दीवारों के साथ बनाया गया है और एक किलोमीटर की चौड़ाई के साथ 3 किलोमीटर की एक विशाल श्रृंखला में फैला हुआ है.

- किले में एक सुव्यवस्थित बगीचा, एक शस्त्रागार और एक संग्रहालय भी है जिसे पर्यटक आज भी देख सकते हैं.

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