Udaipur News: मंगलवार को सलूंबर के लसाड़िया क्षेत्र में स्थित डाईखेड़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 40 बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बच्चों को उल्टी, दस्त और चक्कर आने की शिकायत हुई, जिसके बाद सभी को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में पता चला कि बच्चों को परोसी गई दाल में एक छिपकली मिली थी, जो इस घटना का कारण बनी।
घटना की सूचना मिलते ही चिकित्सा विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं और बच्चों का इलाज शुरू किया। सलूंबर जिला कलेक्टर अवधेश मीणा और एडीएम राजलक्ष्मी गहलोत भी अस्पताल पहुंचे। एडीएम ने स्कूल स्टाफ और अभिभावकों से बातचीत की। एक छात्रा ने बताया कि उसने दाल में छिपकली देखी थी, जिसकी पुष्टि खाना परोसने वाले कर्मचारी ने भी की।
धरियावद विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार रहे कन्हैया लाल मीणा ने बताया कि ग्रामीणों ने उन्हें सूचित किया कि स्कूल में परोसे गए खाने में छिपकली थी, जिसके बाद बच्चे बीमार पड़ गए। लसाड़िया के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पवन रावल ने कहा कि बच्चों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच में खाने की गुणवत्ता और स्वच्छता मानकों की लापरवाही की पड़ताल की जाएगी।
इससे पहले, दौसा जिले के चूड़ियावास गांव में गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शनिवार को मिड-डे मील में आलू की सब्जी और रोटी खाने के बाद 49 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। बच्चों को उल्टी और पेट दर्द की शिकायत हुई। शुरुआत में बच्चों को क्लासरूम में लेटाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें नांगल राजावतान के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से 19 बच्चों को गंभीर स्थिति के कारण जिला अस्पताल रेफर किया गया।
सूचना मिलते ही कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और कलेक्टर देवेंद्र कुमार जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए। सभी 49 बच्चों को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।
इन दोनों घटनाओं ने मिड-डे मील योजना में स्वच्छता और गुणवत्ता के मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सलूंबर और दौसा की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता की जांच में लापरवाही बरती जा रही है। प्रशासन ने दोनों मामलों में जांच शुरू कर दी है, और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
अभिभावकों और स्थानीय लोगों में इन घटनाओं को लेकर गुस्सा है। वे मांग कर रहे हैं कि मिड-डे मील योजना के तहत भोजन तैयार करने और परोसने की प्रक्रिया में सख्त निगरानी की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।