Mahakumbh Stampede: जानिए कौन हैं महाकुंभ के SSP द्विवेदी, जिन्होंने कहा-भगदड़ मची ही नहीं

Mahakumbh Stampede - जानिए कौन हैं महाकुंभ के SSP द्विवेदी, जिन्होंने कहा-भगदड़ मची ही नहीं
| Updated on: 29-Jan-2025 05:12 PM IST

Mahakumbh Stampede: महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में 20 से अधिक लोगों की मौत और दर्जनों घायलों की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना धार्मिक आस्था और प्रशासनिक तैयारियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पीड़ित परिवारों के दुख में सहभागी बने हैं, लेकिन इस हादसे को लेकर विवाद तब गहराया जब महाकुंभ नगरी के एसएसपी राजेश द्विवेदी ने इसे भगदड़ मानने से ही इनकार कर दिया।

एसएसपी का बयान और सोशल मीडिया पर मचा बवाल

एसएसपी राजेश द्विवेदी ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि महाकुंभ में भगदड़ मची ही नहीं। उनके अनुसार, यह घटना भीड़ की अधिकता के कारण हुई, जिससे कुछ श्रद्धालु घायल हो गए। उनका यह बयान आते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई और लोग उन्हें ट्रोल करने लगे। कई लोगों ने प्रशासनिक लापरवाही को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया।

राजेश द्विवेदी: एक परिचय

विवादों के बीच यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि एसएसपी राजेश द्विवेदी कौन हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के निवासी द्विवेदी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातक और एमबीए की पढ़ाई की है। वे 1997 में यूपी पीसीएस परीक्षा पास कर पीपीएस बने थे और 16 साल की सेवा के बाद 2013 में आईपीएस कॉडर में प्रोमोट हुए। इसके बाद उन्होंने यूपी एटीएस, यूपी एसटीएफ जैसी महत्वपूर्ण इकाइयों में सेवाएं दीं और कई जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया। महाकुंभ से पहले वे हरदोई जिले के एसपी थे।

भगदड़ या प्रशासनिक चूक?

महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में भीड़ नियंत्रण एक बड़ी चुनौती होती है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़, अव्यवस्थित यातायात और सुरक्षा उपायों में कमी कभी-कभी गंभीर हादसों को जन्म देती है। प्रशासन का दावा है कि यह घटना भीड़ प्रबंधन की असफलता नहीं थी, बल्कि एक सामान्य दुर्घटना थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब इतने लोग हताहत हुए तो इसे भगदड़ क्यों नहीं माना जाए?

सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की तैयारी

घटना के बाद सरकार और प्रशासन ने संवेदना व्यक्त की है और घायलों के बेहतर इलाज का आश्वासन दिया है। भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिए भीड़ प्रबंधन को और मजबूत करने की जरूरत है।

निष्कर्ष

महाकुंभ में हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा इंतजामों की गंभीरता को उजागर किया है। प्रशासन और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इस हादसे को दुर्घटना मानें या भगदड़, लेकिन प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

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