MP: कोरोनाकाल में राशन दुकानों से गरीबों को बांटा गया खराब चावल, जानवरों को खिलाने लायक भी नहीं

MP - कोरोनाकाल में राशन दुकानों से गरीबों को बांटा गया खराब चावल, जानवरों को खिलाने लायक भी नहीं
| Updated on: 03-Sep-2020 06:31 AM IST
भोपाल: केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से मध्य प्रदेश में पीडीएस का जो चावल राशन दुकानों से कोरोना काल के दौरान गरीबों को बांटा गया था वह खाने योग्य नहीं था। इस मामले के खुलासे के बाद राज्य सरकार एक्शन में आ गई है। सरकार ने बालाघाट जिले के जिला प्रबंधक को सस्पेंड कर दिया है। वहीं, मंडला जिले के संविदा पर नियुक्त फूड इंस्पेक्टर को भी हटा दिया गया है। अब सरकार मध्य प्रदेश में जहां-जहां चावल के गोदाम हैं, उनकी जांच भी करवाएगी, ताकि इस बात का खुलासा हो सके कि गरीबों को कोरोनाकाल के दौरान बांटे गए पीडीएस के चावल खाने योग्य थे या नहीं।

दरअसल यह पूरा मामला तब सामने आया जब केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की टीम ने कोरोना काल के दौरान प्रदेश के छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले की राशन दुकानों में गरीबों को दिए जाने वाले चावल के 32 नमूनों की जांच की थी। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की सीजीएल लैब में जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जो चावल गरीबों को राशन दुकानों के माध्यम से दिया जा रहा था वह खाने के लायक नहीं था। इसका साफ मतलब यह है कि चावल जानवरों के खाने लायक भी नहीं था। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की जांच रिपोर्ट के बाद प्रदेश में अब हड़कंप मचा हुआ है। जांच में यह बात भी सामने आई कि जिन गोदामों में यह चावल रखा हुआ था, उसकी बोरियां 2 से 3 साल पुरानी थीं, जिसके कारण चावल की यह स्थिति हो गई।

नमूने फेल होने के बाद केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण प्रणाली मंत्रालय द्वारा प्रमुख सचिव खाद्य सिविल सप्लाईज, उपभोक्ता सुरक्षा मध्य प्रदेश को पत्र लिखा गया था। पत्र के सामने आने के बाद से विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। मामला सामने आने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम कटघरे में आ गया है, वहीं प्रदेश के सभी जिलों में चावल की जांच शुरू हो गई है। एफसीआई जबलपुर के अधिकारियों ने कटनी जिले के 4 से ज्यादा गोदामों से चावल के नमूने लिए हैं। अब सरकार ने यह निर्णय लिया है कि पूरे मध्य प्रदेश में जहां-जहां गोदामों में चावल रखा हुआ है, उसकी जांच की जाएगी।

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