Delhi: सप्ताह में 3 बार थमे मेट्रो के पहिए, कूड़े का पहाड़-चील की प्यास वजह

Delhi - सप्ताह में 3 बार थमे मेट्रो के पहिए, कूड़े का पहाड़-चील की प्यास वजह
| Updated on: 12-Jun-2022 09:23 AM IST
गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ और बूचड़खाना मेट्रो के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। यहां मंडराने वाली चीलों के कारण मेट्रो की ब्लू लाइन प्रभावित होती है। बीते सोमवार को यमुना बैंक से इंद्रप्रस्थ के बीच हाई वोल्टेज तार से चील के टकराने से मेट्रो के पहिये थम गए, जिससे यात्रियों को मुसीबत झेलनी पड़ी। दो दिन बाद ही गुरुवार को चील ने तार पर केबल का टुकड़ा गिराया, जिससे मेट्रो सेवा प्रभावित हुई।

मेट्रो परिचालन से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, मेट्रो के लिए पक्षी बड़ी समस्या है। 2017 में जर्मन तकनीकी स्पाइक्स डिस्क लगाकर इससे निपटने की कोशिश की गई। उसके बाद से घटनाएं कम हुई हैं, मगर चील की बढ़ती संख्या चिंता का सबब है। इंद्रप्रस्थ से यमुना बैंक का इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसका कारण नजदीक में गाजीपुर लैंडफिल साइट और बूचड़खाना है। 

यहां मंडराने वाली चीलें पानी की तलाश में यमुना डूब क्षेत्र में आती हैं। इससे कई बार मेट्रो के हाईवोल्टेज तार से टकरा जाते हैं। अधिकारी ने कहा, वैश्विक स्तर पर फिलहाल कोई तकनीक नहीं है, जिससे पक्षियों को बिजली की तारों से टकराने से रोका जा सके। हालांकि डीएमआरसी अचानक तार टूटने के आकलन लगाने में जुटी है। शुरुआती आधार पर यही माना जा रहा है कि चील या अन्य भारी पक्षी के बैठने से ओएचई में खराबी हुई, जिससे परिचालन प्रभावित हुआ।  

मेट्रो में खराबी के बड़े कारण 

-पक्षियों का टकराना: पक्षी के टकराने से कई बार ओएचई में लगे कैटेनरी वायर टूट जाते है, इससे मेट्रो की रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। 

-सिग्नलिंग की समस्या: मेट्रो लाइन के किसी खास सेक्शन में सिग्नलिंग में खराबी से कंट्रोल रूम से संपर्क टूट जाता है, जिससे ट्रेन को मैनुअली ऑपरेट करना पड़ता है। 

- ट्रेन की आईडी खोना: मेट्रो ट्रेन सेट का परिचालन के समय एक आईडी नंबर होता है। वहीं उसकी पहचान होती है। किसी ट्रेन की आईडी लॉस होने से उसका नियंत्रण कक्ष में दिखना बंद हो जाता है। उस स्थिति में भी ट्रेन को मैनुअली आगे बढ़ाया जाता है। 

- बाहरी कारण: कई मेट्रो कॉरिडोर (एलिवेटेड हिस्सा) के तारों पर कोई धातु गिर जाता है तो उससे रफ्तार पर ब्रेक लगता है। इसमें कपड़ा, तार व अन्य सामान है। यह आम तौर पर पक्षी गिरा जाते है या फिर आंधी तुफान आने पर ही होता है। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

पक्षी विशेषज्ञ फैयाज खुदस्सर कहते हैं कि गर्मी में पक्षी पानी की तलाश में नदियों की तरफ जाते है। यमुना का वह क्षेत्र (इंद्रप्रस्थ से यमुना बैंक) का इलाका डूब क्षेत्र है। यहां यह पक्षी कई बार दलदल में पानी व भोजन दोनों के लिए आते है। उन्होंने कहा दिल्लीभर में जहां-तहां मांस फेंका जाता है। यह पक्षी खुद शिकार नहीं करता है। भोजन की तलाश में कहीं भी जाता है। इससे इस तरह के हादसे होते हैं। 

वहीं, दिल्ली बर्ड सोसाइडी के निखिल मानते हैं कि चील एक बड़ी समस्या है। उसका कारण है कि वह सीवेंजर व्यवहार के पक्षी है। मसलन वह अपना शिकार खुद नहीं करते है। चूंकि उनमें देखने की क्षमता अच्छी होती है तो वह ऊपर से मरे हुए शिकार मछली, चूहा व अन्य को देख लेते है। उसके लिए नीचे आते है। उस समय कई बार इस तरह की घटनाएं हो जाती है। दिल्ली में हजारों संख्या में चील है तो इस तरह की घटना से बचा नहीं सकता है। 

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।