Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष पूजा के अधिकार के खिलाफ कोर्ट पहुंचा, अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग

Gyanvapi Case - मुस्लिम पक्ष पूजा के अधिकार के खिलाफ कोर्ट पहुंचा, अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग
| Updated on: 01-Feb-2024 05:49 PM IST
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी की जिला अदालत में याचिका दाखिल कर व्यास परिसर में पूजा अर्चना के कोर्ट के आदेश को पंद्रह दिन तक लागू न करने की अपील की है। वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक अर्जी दाखिल की है। यह अर्जी तहखाने में पूजा पाठ पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल की गई है। मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की अर्जी में पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला दिया गया है। मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट से अर्जेंट बेसिस पर मामले में सुनवाई की मांग की है। अर्जी में वाराणसी जिला जज के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है।

व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू

बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को अदालत में चुनौती दी है।  व्यास जी के तहखाने में पूजा का अधिकार दिये जाने के चंद घंटों बाद बुधवार देर रात तहखाने को खोलकर उसमें पूजा की गई। 

जिले के बड़े अधिकारी भी रहे मौजूद

मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार रात करीब साढ़े 10 बजे 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये खोला गया और उसकी साफ-सफाई करायी गयी। सूत्रों के मुताबिक, व्यास जी के तहखाने में जिला अदालत से पूजा-पाठ की अनुमति मिलने के बाद बुधवार की देर रात मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी एस.राजलिंगम और पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ज्ञानवापी परिसर पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान उनके साथ अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ भी मौजूद थे। इस दौरान ज्ञानवापी और आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात रहा।  

हिंदू पक्ष का 1993 तक पूजा होने का दावा

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी मगर उसी साल तत्कालीन सरकार ने इसे बंद करा दिया था।

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