National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया-राहुल गांधी सहित 9 लोगों और 3 कंपनियों के खिलाफ नई FIR
National Herald Case - नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया-राहुल गांधी सहित 9 लोगों और 3 कंपनियों के खिलाफ नई FIR
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने नेशनल हेराल्ड मामले में एक नई प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है, जिसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कुल नौ व्यक्तियों और तीन कंपनियों को आरोपी बनाया गया है. यह घटनाक्रम एक ऐसे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जो लंबे समय से भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय रहा है. आरोप है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 2000 करोड़ रुपये की मूल्यवान संपत्तियों को कथित तौर पर केवल 50 लाख रुपये में हड़पने की आपराधिक साजिश रची गई थी.
मामले की पृष्ठभूमि और नई FIR का आधार
नेशनल हेराल्ड मामला भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1938 में शुरू किए गए ऐतिहासिक समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड से जुड़ा है और यह समाचार पत्र कांग्रेस पार्टी से गहराई से जुड़ा हुआ था और इसके प्रकाशन का जिम्मा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नामक कंपनी के पास था. AJL के पास दिल्ली, लखनऊ, मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में लगभग 2 हजार करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियां थीं. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गई यह नई FIR प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत पर आधारित है, जिसे 3 अक्टूबर को दर्ज किया गया था. ED ने अपनी जांच रिपोर्ट दिल्ली पुलिस के साथ साझा की, जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज करने का निर्णय लिया.आरोपी व्यक्ति और कंपनियां
PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 66(2) के तहत, ED किसी भी एजेंसी से अनुसूचित अपराध दर्ज करने का अनुरोध कर सकती है. इसी प्रावधान के तहत, इस नई FIR में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ-साथ इंडियन ओवरसीज कांग्रेस प्रमुख सैम पित्रोदा और तीन अन्य व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है. इसके अतिरिक्त, तीन कंपनियों – एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), यंग इंडियन (Young Indian), और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड (Dotex Merchandise Pvt Ltd) – को भी इस आपराधिक साजिश का हिस्सा बताया गया है. इन सभी पर AJL की संपत्तियों को धोखाधड़ी से अपने कब्जे में लेने के लिए आपराधिक साजिश रचने का आरोप है.संपत्ति हड़पने की आपराधिक साजिश का आरोप
FIR में मुख्य आरोप यह है कि कांग्रेस से जुड़ी कंपनी AJL की मूल्यवान संपत्तियों. को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया गया. यह आरोप विशेष रूप से इस बात पर केंद्रित है कि 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को कथित तौर पर केवल 50 लाख रुपये के मामूली मूल्य पर अधिग्रहित किया गया. यह लेनदेन, यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो एक बड़े वित्तीय अनियमितता और आपराधिक षड्यंत्र का संकेत देगा. जांच एजेंसियां अब इस बात की पड़ताल करेंगी कि यह कथित. अधिग्रहण कैसे किया गया और इसमें किन-किन लोगों की क्या भूमिका थी.कांग्रेस का खंडन और राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में लगाए गए सभी आरोपों को लगातार खारिज किया है. पार्टी का कहना है कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसका उद्देश्य कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम करना है. कांग्रेस के अनुसार, यह भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई है. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस मामले को भ्रष्टाचार का एक प्रमुख प्रतीक बता रही है और कांग्रेस पर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल होने का आरोप लगा रही है. यह मामला कांग्रेस के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बना हुआ है, खासकर जब देश में आगामी चुनावों की तैयारियां चल रही हैं.आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा अब इस मामले में अपनी विस्तृत जांच शुरू करेगी. जांच के हिस्से के रूप में, पुलिस AJL के शेयरधारकों से पूछताछ कर सकती है ताकि कथित साजिश के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा सके और इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार्जशीट पर अदालत का फैसला अभी भी लंबित है, जो इस मामले के कानूनी पहलुओं को और जटिल बनाता है. यह मामला भारतीय न्यायपालिका और राजनीतिक परिदृश्य दोनों में महत्वपूर्ण बना हुआ है, और आने वाले समय में इसके और भी कानूनी और राजनीतिक निहितार्थ सामने आ सकते हैं. इस मामले की प्रगति पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह देश के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच एक बड़ी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई का केंद्र बन गया है.