दुनिया: कोरोना के बाद चीन में कीड़े से फैल रहा नया वायरस, ये हैं लक्षण

दुनिया - कोरोना के बाद चीन में कीड़े से फैल रहा नया वायरस, ये हैं लक्षण
| Updated on: 07-Aug-2020 04:14 PM IST
Delhi: दुनिया जहां इस समय कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में जुटी हुई है वहीं चीन में एक और जानलेवा वायरस ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। एक कीड़े टिक के काटने से वहां नया वायरस फैल रहा है जिससे अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 60 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। टिक-जनित वायरस के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (एसएफटीएस) के साथ गंभीर बुखार ने चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता को बढ़ा दिया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक बड़ी संख्या में पूर्वी चीन के जियांग्सू और अनहुई प्रांतों में इस वायरस से लोग संक्रमित हुए हैं।

शोधकर्ताओं की टीम ने समान लक्षणों वाले लोगों के एक समूह से प्राप्त रक्त के नमूनों की जांच करके वायरस की पहचान की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, वायरस संक्रमित लोगों में 30 फीसदी मरीजों की मौत हो सकती है। रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए चीन के सूचना प्रणाली के अनुसार, वर्तमान मामले में मृत्यु दर लगभग 16 से 30 प्रतिशत के बीच है।

यह वायरस टिक नाम के कीड़े के काटने की वजह से मनुष्यों में फैल रहा है। चीनी वायरस विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायरस के मानव-से-मानव संक्रमण को खारिज नहीं किया जा सकता है। SARS-CoV-2 के विपरीत, यह पहली बार नहीं है जब SFTS वायरस ने लोगों को संक्रमित किया है। हालिया मामलों की स्थिति केवल बीमारी के फिर से उभरने का प्रतीक है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम वायरस (एसएफटीएसवी) के साथ गंभीर बुखार इस वायरस से संबंधित है और टिक काटने के बाद यह उससे मनुष्यों में पहुंच रहा है। वायरस की पहचान सबसे पहले चीन में शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक दशक पहले की थी। 2009 में हुबेई और हेनान प्रांतों के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले ऐसे कुछ मामले सामने आए थे।

SFTFS वायरस के लक्षण क्या हैं?

2011 में चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, बीमारी की शुरुआत अवधि सात और 13 दिनों के बीच कभी भी हो सकती है। वायरस से पीड़ित रोगियों को आमतौर पर कई लक्षण नजर आते हैं। पीड़ित होने के बाद मरीज बुखार, थकान, ठंड लगना, सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी, एनोरेक्सिया, मतली, दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, मसूड़ों से रक्तस्राव जैसी समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं। इस वायरस की वजह से मरीज में कम प्लेटलेट काउंट और ल्यूकोसाइटोपेनिया की समस्या आती है।ज्यादा गंभीर मामलों में पीड़ित मरीज के शरीर में कई अंग काम करना बंद कर देता है। मरीज को रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होता है और तंत्रिका तंत्र पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। यह वायरस जापान, दक्षिण कोरिया सहित कई अन्य पूर्वी एशियाई देशों में भी मिल चुका है।

साल 2013 में दक्षिण कोरिया में इस वायरस से संक्रमित 36 लोगों की पुष्टि हई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में आंकड़ा बढ़कर 270 के करीब पहुंच गया। इस बीच, चीन ने 2010 में 71 और 2016 में 2,600 मामले दर्ज किए। जापान में 2016 और 2017 में इस वायरस के संक्रमण की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जब तीनों देशों में मामलों की संख्या बढ़ने लगी, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्थानीय डॉक्टरों और आम नागरिकों को टिक काटने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित करना शुरू कर दिया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस घातक वायरस और इससे होने वाली बीमारी के बारे में लोगों को जाकरुक करने के बाद संक्रमण की घातक दर में काफी गिरावट आई।


SFTS का इलाज कैसे किया जाता है?

इस बीमारी के इलाज के लिए अभी तक कोई सफल टीका विकसित नहीं किया गया है, एंटीवायरल दवा रिबाविरिन को बीमारी के इलाज में प्रभावी माना जाता है।

बीमारी से निपटने के लिए, चीन के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) सहित विभिन्न सरकारी प्राधिकरण ने आम लोगों से लंबी घास, जंगल और किसी भी अन्य वातावरण से गुजरते हुए शॉर्ट्स नहीं पहनने की अपील की है

जिस दर पर यह फैलता है और इसकी उच्च घातकता दर के कारण, एसएफटीएस को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा शीर्ष 10 प्राथमिकता वाले रोगों के ब्लू प्रिंट में सूचीबद्ध किया गया है।वायरोलॉजिस्ट मानते हैं कि एक एशियाई टिक जिसे हेमाफिसलिस लॉन्गिकोर्निस कहा जाता है, वायरस का प्राथमिक वेक्टर या वाहक है। यह बीमारी मार्च और नवंबर के बीच फैलने के लिए जानी जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अप्रैल और जुलाई के बीच संक्रमण की कुल संख्या आमतौर पर सबसे ज्यादा होती है।

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