Sukhvinder Singh Sukhu: दलबदलू विधायकों को पेंशन नहीं, सुक्खू सरकार ने कौन-सा बिल किया है पास?

Sukhvinder Singh Sukhu - दलबदलू विधायकों को पेंशन नहीं, सुक्खू सरकार ने कौन-सा बिल किया है पास?
| Updated on: 05-Sep-2024 09:19 AM IST
Sukhvinder Singh Sukhu: हिमाचल प्रदेश की सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया है, जिसका उद्देश्य दल बदलने वाले विधायकों के लिए पेंशन के अधिकार को समाप्त करना है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। इस विधेयक के अनुसार, यदि कोई विधायक संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराया जाता है, तो उसकी पेंशन रोक दी जाएगी।

इस विधेयक का उद्देश्य विधायकों को दल बदलने से रोकना है। इसके तहत, कांग्रेस के छह बागी विधायकों – सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा, और देविंदर कुमार – की पेंशन रोक दी जाएगी। ये विधायक पार्टी व्हिप का उल्लंघन कर भाजपा में शामिल हो गए थे।

विधेयक के साथ-साथ, हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी के मुद्दे पर भी विवाद हुआ है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने घोषणा की कि कर्मचारियों को 5 सितंबर और पेंशनर्स को 10 सितंबर को सैलरी और पेंशन दी जाएगी। यह कदम लोन पर ब्याज की बचत के लिए उठाया गया है, जिससे सालाना 36 करोड़ रुपये की बचत होगी।

पेंशन बंद करने के पीछे क्या है वजह?

दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया, जिसे चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक का मकसद विधायकों की पेंशन बंद कर उन्हें दल-बदल करने से रोकना है। इस विधेयक के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य ठहराया गया है, तो वह अधिनियम के तहत पेंशन पाने का हकदार नहीं होगा। अब तक अधिनियम की धारा 6बी के तहत पांच साल तक की अवधि तक सेवा करने वाले प्रत्येक विधायक को 36,000 रुपये प्रति माह पेंशन का हकदार माना जाता है। 

कांग्रेस के 6 विधायक अयोग्य घोषित

हिमाचल प्रदेश में पास किए गए बिल के पीछे की वजह पिछले दिनों कांग्रेस विधायकों के दल-बदल को देखा जा रहा है। कांग्रेस के छह विधायक सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार को इस साल फरवरी में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया था, क्योंकि उन्होंने 2024-25 के बजट पारित होने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहकर पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। 

कर्मचारियों की सैलरी से जुड़े मामले पर विवाद 

वहीं, हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी से जुड़े मामले पर भी विवाद हुआ। इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को सैलरी और पेंशनर को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी।  प्रदेश की आर्थिक स्थिति जब तक ठीक नहीं हो जाती, तब तक कर्मचारियों व पेंशनर को इसी तारीख को सैलरी-पेंशन दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला लोन पर खर्च होने वाले ब्याज से बचने के लिए लिया गया है। इससे सालाना 36 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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