Cryptocurrency Fraud: दुबई की कंपनी को उत्तर कोरिया के हैकरों ने लगाया डेढ़ अरब डॉलर का चूना

Cryptocurrency Fraud - दुबई की कंपनी को उत्तर कोरिया के हैकरों ने लगाया डेढ़ अरब डॉलर का चूना
| Updated on: 27-Feb-2025 06:17 PM IST

Cryptocurrency Fraud: उत्तर कोरिया से जुड़े हैकरों द्वारा दुबई की एक कंपनी को निशाना बनाने का मामला सामने आया है, जिसमें लगभग डेढ़ अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की इथेरियम की चोरी की गई है। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने इस साइबर हमले को अब तक की सबसे बड़ी ज्ञात क्रिप्टोकरेंसी चोरी में से एक बताया है।

कैसे हुआ यह साइबर हमला?

एफबीआई के अनुसार, 'ट्रेडर ट्रेटर' और 'लजारस ग्रुप' नामक उत्तर कोरिया समर्थित हैकर समूहों ने फरवरी की शुरुआत में बाईबिट को निशाना बनाया। बाईबिट दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक है। रिपोर्ट के मुताबिक, हैकरों ने बाईबिट के 'कोल्ड' या ऑफलाइन वॉलेट में गड़बड़ी कर इथेरियम को हजारों अज्ञात खातों में स्थानांतरित कर दिया।

एफबीआई ने बताया कि हैकर आमतौर पर क्रिप्टो ट्रेडिंग एप्लिकेशन में मालवेयर डालकर इस तरह की चोरी को अंजाम देते हैं। इस तकनीक के जरिये वे उपयोगकर्ताओं की संवेदनशील जानकारी चुराते हैं और उनकी आभासी संपत्ति पर नियंत्रण कर लेते हैं।

ब्लॉकचेन का दुरुपयोग

उत्तर कोरिया समर्थित इन हैकरों ने चोरी की गई मुद्रा को छिपाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल किया। एफबीआई ने कहा कि 'ट्रेडर ट्रेटर' के हैकर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और विभिन्न ब्लॉकचेन नेटवर्कों पर मौजूद हजारों अज्ञात खातों के माध्यम से चोरी की गई इथेरियम को बिटकॉइन और अन्य मुद्राओं में परिवर्तित कर रहे हैं।

ब्लॉकचेन एक डिजिटल बहीखाता प्रणाली है, जो क्रिप्टो लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। इस प्रणाली की विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण धोखाधड़ी करने वाले इसका उपयोग अपने लेनदेन को छिपाने के लिए कर सकते हैं। एफबीआई का मानना है कि ये अपराधी चोरी की गई मुद्रा को आगे और परिवर्तित कर सकते हैं और अंततः इसे वैध मुद्रा में बदलने का प्रयास कर सकते हैं।

उत्तर कोरिया की संलिप्तता

उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, दक्षिण कोरियाई खुफिया एजेंसी का दावा है कि उत्तर कोरिया ने पिछले पांच वर्षों में विभिन्न साइबर हमलों के माध्यम से लगभग 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियां चुराई हैं।

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर कोरिया 2017 से 2023 के बीच 58 साइबर हमलों को अंजाम देने में शामिल रहा है, जिनसे लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर की चोरी की गई। यह धन उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम के वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल किया गया हो सकता है।

वैश्विक प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय

बाईबिट के सह-संस्थापक और सीईओ बेन झाऊ ने इस घटना की पुष्टि की और क्रिप्टो समुदाय से सहयोग की अपील की। उन्होंने एक वेबसाइट का लिंक साझा किया, जहां चोरी हुई आभासी मुद्रा को ट्रैक करने और अन्य एक्सचेंजों द्वारा इसे फ्रीज कराने के लिए 14 करोड़ अमेरिकी डॉलर के इनाम की पेशकश की गई है।

यह घटना एक बार फिर से दिखाती है कि क्रिप्टोकरेंसी बाजार साइबर अपराधियों के लिए एक आकर्षक लक्ष्य बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक्सचेंजों और उपयोगकर्ताओं को अपने सुरक्षा उपायों को मजबूत करना चाहिए और नियमित सुरक्षा ऑडिट कराने चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

निष्कर्ष

उत्तर कोरिया से जुड़े साइबर हमले न केवल वित्तीय नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा को भी प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए सरकारों और निजी कंपनियों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके।

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