व्यापार: किन डेबिट/क्रेडिट कार्ड्स पर 16 मार्च से खत्म होगी ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन की सेवा?

व्यापार - किन डेबिट/क्रेडिट कार्ड्स पर 16 मार्च से खत्म होगी ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन की सेवा?
| Updated on: 09-Mar-2020 05:53 PM IST
नई दिल्ली: डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए यह खबर बेहद अहम है। यदि आपने कभी भी अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या कॉन्टेक्टलेस ट्रांजेक्शन के लिए नहीं किया है तो यह सुविधा हमेशा के लिए आपके कार्ड से खत्म हो सकती है। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक ने सुरक्षा के लिहाज से ऐसे सभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की सुविधा खत्म करने का आदेश दिया है, जिनका कभी इसके लिए इस्तेमाल नहीं हुआ है। यदि आप चाहते हैं कि आपके कार्ड से यह सुविधा खत्म न हो तो 16 मार्च से पहले कम से एक बार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जरूर करें।

इसके अलावा यदि आपने कभी इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन नहीं किया है तो फिर आपके कार्ड पर यह सुविधा भी खत्म होगी। दरअसल केंद्रीय बैंक ने 16 मार्च की डेडलाइन का आदेश 15 जनवरी को ही दिया था। आरबीआई का मानना है कि ऐसे यूजर जो कभी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं करते हैं, उनके कार्ड पर भी यह सुविधा होना फ्रॉड की आशंका को बढ़ाता है।

आरबीआई की ओर से बैंकों को डेबिट कार्ड में कई अन्य बदलावों का भी आदेश दिया गया है। आइए जानते हैं, 16 मार्च से आपके डेबिट और क्रेडिट में क्या बदल जाएगा…

– केंद्रीय बैंक ने बैंकों को आदेश दिया है कि वे डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर स्विच ऑन और स्विच ऑफ जैसी सुविधा दें। इससे यूजर जब चाहेगा, तभी ट्रांजेक्शन हो सकेगी। इसके अलावा आरबीआई ने यूजर की ओर से कार्ड पर लिमिट तय करने का फीचर भी देना को कहा है। इससे कोई भी कार्डधारक किसी भी ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट तय कर सकेगा। इससे फ्रॉड की स्थिति में नुकसान की आशंका को कम किया जा सकेगा।

– कार्ड के स्टेटस में किसी भी तरह का बदलाव होने पर कार्डहोल्डर को मेसेज, ईमेल और अन्य माध्यमों से तत्काल जानकारी मिलनी चाहिए।

देश में हैं कुल 85 करोड़ लोग हैं डेबिट/क्रेडिट कार्ड धारक: बता दें कि देश में कुल 5 करोड़ के करीब क्रेडिट कार्ड यूजर हैं, जबकि 80 करोड़ से ज्यादा डेबिट कार्ड धारक हैं। बीते कई सालों में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। धोखाधड़ी के ऐसे मामलों में आमतौर पर ऐसे लोग शिकार हुए हैं, जो तकनीक फ्रेंडली नहीं हैं। ऐसे में आरबीआई ने ऐसे लोगों को बचाने के लिए ही यह आदेश दिया है।

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