Pakistan-Libya Arms Deal: पाकिस्तान ने लीबिया को बेचे चीन निर्मित हथियार, 4.6 अरब डॉलर की सैन्य डील पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों का साया

Pakistan-Libya Arms Deal - पाकिस्तान ने लीबिया को बेचे चीन निर्मित हथियार, 4.6 अरब डॉलर की सैन्य डील पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों का साया
| Updated on: 23-Dec-2025 06:11 PM IST
पाकिस्तान ने चीन में बने हथियारों को दूसरे देशों को बेचने के लिए एक बिचौलिए की. भूमिका अपनाई है, और इसी कड़ी में उसने लीबिया की नेशनल आर्मी (LNA) के साथ 4. 6 अरब डॉलर की एक बड़ी सैन्य डील की है और इस सौदे में मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित JF-17 फाइटर जेट और सुपर मुशाक ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं। यह डील ऐसे समय में हुई है जब लीबिया पर संयुक्त राष्ट्र का हथियार प्रतिबंध लागू है, जिससे इस समझौते पर सवाल उठ रहे हैं और यह पाकिस्तान की अब तक की सबसे बड़ी हथियार बिक्री में से एक मानी जा रही है, जो उसकी रक्षा निर्यात क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण वृद्धि का संकेत देती है, भले ही यह अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में आती हो या नहीं।

डील के प्रमुख विवरण

इस ऐतिहासिक सैन्य समझौते के तहत, लीबिया 16 JF-17 फाइटर जेट और 12 सुपर मुशाक ट्रेनर एयरक्राफ्ट खरीदेगा। JF-17 एक मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है जिसे चीन और पाकिस्तान ने मिलकर विकसित किया है और पाकिस्तान इसे एक कम लागत वाले लेकिन आधुनिक और सक्षम फाइटर जेट के रूप में अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच रहा है, जो विभिन्न प्रकार के हवाई और जमीनी मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है। वहीं, सुपर मुशाक विमान का उपयोग मुख्य रूप से पायलटों की शुरुआती प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है, जो लीबियाई वायु सेना के लिए एक मजबूत प्रशिक्षण आधार स्थापित करने में मदद करेगा। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि इस डील में थल, जल और वायु सेना से जुड़े अन्य सैन्य उपकरण भी शामिल हैं, जिनकी आपूर्ति लगभग ढाई साल की अवधि में की जाएगी। यह व्यापक पैकेज लीबिया की सैन्य क्षमताओं को कई मोर्चों पर मजबूत करने का लक्ष्य रखता है।

पाकिस्तान की बिचौलिए की भूमिका

यह सौदा पाकिस्तान की चीन में बने हथियारों के लिए एक बिचौलिए के रूप में उभरती भूमिका को उजागर करता है। चीन, जो अपने रक्षा उत्पादों के लिए नए बाजार तलाश रहा है, पाकिस्तान के माध्यम से उन देशों तक पहुंच बना रहा है जहां वह सीधे तौर पर डील करने से हिचकिचा सकता है या जहां पाकिस्तान के बेहतर राजनयिक संबंध हैं। चार पाकिस्तानी अफसरों ने इस बात का खुलासा किया है कि पाकिस्तान ने लीबिया की नेशनल आर्मी के साथ यह बड़ी मिलिट्री इक्विपमेंट डील की है। यह रणनीति चीन को अपने रक्षा उद्योग का विस्तार करने और वैश्विक हथियार बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में। मदद करती है, जबकि पाकिस्तान को महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ और अपने रक्षा उद्योग के लिए अनुभव प्राप्त होता है। यह दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक और सैन्य सहयोग का भी प्रमाण है।

उच्च-स्तरीय बैठक और पुष्टि

यह समझौता पिछले हफ्ते लीबिया के पूर्वी शहर बेंगाजी में तय हुआ। इस बैठक में पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर और लीबियन नेशनल आर्मी (LNA) के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ सद्दाम खलीफा हफ्तार के बीच महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस उच्च-स्तरीय बैठक ने डील को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लीबियन नेशनल आर्मी (LNA) के आधिकारिक मीडिया चैनल ने भी पाकिस्तान के साथ इस समझौते की पुष्टि की है और lNA चीफ खलीफा हफ्तार ने सार्वजनिक रूप से कहा कि पाकिस्तान के साथ रणनीतिक सैन्य सहयोग का एक नया चरण शुरू हुआ है, जो इस डील के महत्व को रेखांकित करता है। हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और सेना की ओर से इस पर कोई। आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे इस सौदे की गोपनीयता और संवेदनशीलता का पता चलता है।

संयुक्त राष्ट्र हथियार प्रतिबंधों का उल्लंघन?

इस डील को लेकर सबसे बड़ा विवाद लीबिया पर 2011 से लागू संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंधों से जुड़ा है। ये प्रतिबंध लीबिया में स्थिरता बनाए रखने और संघर्ष को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए थे। दिसंबर 2024 में, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ पैनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि यह प्रतिबंध अब प्रभावी नहीं रह गया है और कई देश लीबिया के अलग-अलग गुटों को सैन्य मदद दे रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान या लीबिया ने इस। प्रतिबंध से छूट के लिए कोई आवेदन किया है या नहीं। हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि इस डील से किसी भी संयुक्त राष्ट्र नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और उनका तर्क है कि विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट प्रतिबंधों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है, जिससे उन्हें लगता है कि वे एक वैध व्यापार कर रहे हैं। फिर भी, यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता का विषय बनी हुई है और पाकिस्तान पर अतिरिक्त जांच का दबाव डाल सकती है।

JF-17 और सुपर मुशाक की भूमिका

JF-17 थंडर एक हल्का, सिंगल-इंजन, मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है जिसे चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (CAC) और पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (PAC) ने मिलकर विकसित किया है और इसे विभिन्न प्रकार के हवाई श्रेष्ठता, जमीनी हमले और टोही मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। पाकिस्तान इसे अपनी वायु सेना की रीढ़ मानता है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक लागत प्रभावी विकल्प के रूप में बढ़ावा दे रहा है। दूसरी ओर, सुपर मुशाक एक दो-सीट वाला, सिंगल-इंजन, प्रोपेलर-संचालित ट्रेनर विमान है और यह पायलटों को बुनियादी उड़ान प्रशिक्षण, इंस्ट्रूमेंट फ्लाइंग और एरोबैटिक्स सिखाने के लिए आदर्श है। लीबिया के लिए इन विमानों का अधिग्रहण उसकी वायु सेना को आधुनिक बनाने और अपने पायलटों के प्रशिक्षण। मानकों को उन्नत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे उसकी रक्षा क्षमताओं में गुणात्मक सुधार आएगा।

डील के रणनीतिक निहितार्थ

यह डील पाकिस्तान के लिए कई रणनीतिक निहितार्थ रखती है और यह न केवल उसे एक महत्वपूर्ण राजस्व धारा प्रदान करती है, बल्कि उसे वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में भी स्थापित करती है। चीन के लिए, यह अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी के लिए नए ग्राहक आधार तक पहुंचने का एक तरीका है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां वह सीधे तौर पर राजनीतिक कारणों से प्रवेश नहीं कर सकता और लीबिया के लिए, यह अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की उसकी क्षमता को बढ़ाने का एक अवसर है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बावजूद इस तरह की डील से क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ने और लीबिया में चल रहे संघर्ष को और बढ़ावा मिलने का जोखिम भी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस सौदे पर बारीकी से नजर रखेगा, क्योंकि यह लीबिया की भविष्य की सुरक्षा और स्थिरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यह देखना बाकी है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकाय इस कथित उल्लंघन पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

आगे की राह

इस सौदे के बाद, पाकिस्तान और लीबिया दोनों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। जहां पाकिस्तान अपने दावे पर कायम है कि उसने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया, वहीं संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की प्रकृति और उनकी व्याख्या पर बहस जारी रहेगी। यह डील पाकिस्तान के लिए एक दोधारी तलवार साबित हो सकती है, जहां एक ओर उसे आर्थिक और रणनीतिक लाभ मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उसे अंतरराष्ट्रीय दबाव और आलोचना का सामना भी करना पड़ सकता है। लीबिया के लिए, इन हथियारों का एकीकरण उसकी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाएगा, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या यह कदम देश में शांति और स्थिरता लाने में मदद करेगा या संघर्ष को और गहरा करेगा। आने वाले समय में इस डील के भू-राजनीतिक परिणाम सामने आएंगे।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।