Switzerland News: स्विट्जरलैंड में लगे सुसाइड कैप्सूल में आत्महत्या कर रहे लोग, बटन दबाते हो जाती है मौत

Switzerland News - स्विट्जरलैंड में लगे सुसाइड कैप्सूल में आत्महत्या कर रहे लोग, बटन दबाते हो जाती है मौत
| Updated on: 25-Sep-2024 06:00 AM IST
Switzerland News: स्विट्जरलैंड में "सुसाइड कैप्सूल" को लेकर इस समय भारी चर्चा हो रही है। यह मशीनी कैप्सूल, जिसे जंगल में छुपा कर लगाया गया है, आत्महत्या की इच्छा रखने वालों के लिए एक विकल्प के रूप में सामने आया है। इस कैप्सूल में बैठकर व्यक्ति एक बटन दबाता है, जिससे नाइट्रोजन गैस फैल जाती है और कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो जाती है। इसे दर्दरहित आत्महत्या का विकल्प बताया जा रहा है, लेकिन इससे जुड़ी कई घटनाओं ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। हाल ही में स्विट्जरलैंड की पुलिस ने इस कैप्सूल में हुई एक संदिग्ध मौत की जांच शुरू की है, और कई लोगों को हिरासत में लिया गया है।

पुलिस की तफ्तीश और कानूनी कार्रवाई

पुलिस ने यह भी कहा है कि इस संदिग्ध मौत के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने और मदद करने के आरोपों की जांच हो रही है। स्विस अभियोजकों के अनुसार, इस तरह के उपकरण के संचालन पर गंभीर आपराधिक परिणाम हो सकते हैं। सुसाइड कैप्सूल, जिसे "सार्को" नाम दिया गया है, पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था। शैफहॉसन कैंटन इलाके में एक केबिन में इस उपकरण के माध्यम से आत्महत्या की खबर के बाद जांच तेज़ कर दी गई है।

कैप्सूल की लागत और विकसित करने वाली कंपनी

नीदरलैंड स्थित एग्जिट इंटरनेशनल नामक संगठन ने इस कैप्सूल को विकसित किया है, जिसका उद्देश्य दर्दरहित आत्महत्या के इच्छुक लोगों को सहायता प्रदान करना है। इस उपकरण को 3डी-प्रिंटिंग तकनीक से बनाया गया है, और इसकी लागत लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर है। संगठन के प्रमुख, डॉ. फिलिप नित्शके का कहना है कि स्विट्जरलैंड के वकीलों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि "सार्को" का इस्तेमाल देश में कानूनी रूप से मान्य है। हालांकि, इसके संचालन को लेकर स्विस अभियोजक पीटर स्टिचर का कहना है कि अगर इसका उपयोग किया गया, तो इसके संचालक को पांच साल तक की सजा हो सकती है।

कानूनी और नैतिक बहस

यह विवाद सिर्फ तकनीकी या कानूनी नहीं है, बल्कि नैतिक मुद्दों पर भी केंद्रित है। स्विट्जरलैंड जैसे देशों में आत्महत्या के लिए सहायता की कानूनी मंजूरी है, लेकिन "सुसाइड कैप्सूल" जैसे उपकरण ने इसे एक नई दिशा में मोड़ दिया है। लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह का उपकरण आत्महत्या को आसान और स्वीकार्य बना रहा है, या फिर यह उन लोगों के लिए एक क्रूर और अनैतिक रास्ता है जो जीवन से संघर्ष कर रहे हैं।

भविष्य में क्या होगा?

भले ही इस कैप्सूल को कानूनी मंजूरी मिल सकती है, लेकिन इसकी नैतिकता और सामाजिक प्रभाव पर बहस जारी रहेगी। जैसा कि स्विट्जरलैंड की पुलिस इस मामले में कई लोगों को हिरासत में लेकर जांच कर रही है, भविष्य में इसके संचालन और उपयोग को लेकर और भी कड़े कानून बन सकते हैं।

यह प्रौद्योगिकी और मानव अधिकारों के बीच खींची गई एक नई रेखा है, जो यह तय करेगी कि क्या जीवन समाप्त करने के लिए तकनीकी समाधान की अनुमति दी जानी चाहिए या इसे कड़ी निगरानी में रखा जाए।

इस बहस का असर सिर्फ स्विट्जरलैंड में नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी देखने को मिलेगा, जहां इस मुद्दे को लेकर विचार मंथन किया जा रहा है।

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