Sukhbir Singh Badal: गले में तख्ती-हाथ में बरछा... इस तरह पंजाब में सुखबीर बादल काट रहे सजा

Sukhbir Singh Badal - गले में तख्ती-हाथ में बरछा... इस तरह पंजाब में सुखबीर बादल काट रहे सजा
| Updated on: 03-Dec-2024 11:40 AM IST
Sukhbir Singh Badal: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त द्वारा दी गई सजा ने राजनीतिक और धार्मिक जगत में हलचल मचा दी है। सुखबीर सिंह बादल आज अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में व्हीलचेयर पर पहुंचे, उनके गले में माफी की पट्टिका लटक रही थी, और हाथ में बरछा था। इस सजा के तहत, उन्हें स्वर्ण मंदिर में सेवादार के रूप में काम करने का आदेश दिया गया है, जहां वे दरवाजे पर ड्यूटी देंगे और लंगर सेवा करेंगे।

अकाल तख्त द्वारा सजा की वजह:

यह सजा अकाल तख्त द्वारा 2007 से 2017 के बीच शिरोमणि अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई 'गलतियों' का हवाला देते हुए दी गई है। तख्त ने सुखबीर सिंह बादल पर कई आरोप लगाए हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख आरोप यह था कि उन्होंने 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ दर्ज एक मामले को वापस ले लिया था। इसे धार्मिक समुदाय ने राम रहीम को माफ करने के रूप में देखा। इसके अलावा, बादल पर यह भी आरोप था कि उन्होंने वोट बैंक के लिए अपने धर्म से गद्दारी की और बरगाड़ी बेअदबी मामले की सही जांच नहीं करवाई।

सजा का विवरण और सजा में दी गई छूट:

सुखबीर सिंह बादल को 2 दिन तक श्री दरबार साहिब (गोल्डन टेंपल) के घंटाघर के बाहर ड्यूटी करने का आदेश दिया गया है। इसके बाद उन्हें अन्य गुरुद्वारों में भी सेवादार के रूप में सेवा करनी होगी। पहले वे 2 दिन श्री दरबार साहिब में, फिर 2 दिन श्री केशगढ़ साहिब, 2 दिन श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो, 2 दिन श्री मुक्तसर साहिब, और 2 दिन श्री फतेहगढ़ साहिब में गले में माफी की तख्ती और हाथ में बरछा लेकर सेवा करेंगे।

हालांकि, सुखबीर सिंह बादल के पैर में चोट लगी है, और सुखदेव सिंह ढींडसा का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसलिए उन्हें शारीरिक रूप से कठिन कार्य जैसे गुरुद्वारों के वॉशरूम धोने और लंगर हॉल के बर्तन साफ करने से छूट दी गई है। इसके बजाय, वे व्हीलचेयर पर बैठकर सेवादार की ड्यूटी करेंगे।

सुखदेव सिंह ढींडसा की सजा:

सिर्फ सुखबीर सिंह बादल ही नहीं, बल्कि शिरोमणि अकाली दल के अन्य नेता भी इस सजा का सामना कर रहे हैं। सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी अपनी सजा स्वीकार की और कहा कि उन्हें यह सेवा परमात्मा का आदेश समझकर निभानी है। वह भी गले में माफी की तख्ती और हाथ में बरछा लेकर गुरुद्वारों में अपनी ड्यूटी निभाएंगे।

धार्मिक राजनीति और जिम्मेदारी:

सुखबीर सिंह बादल की यह सजा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और धार्मिक संदेश देती है कि जब किसी नेता द्वारा धर्म से जुड़े मुद्दों पर गलत फैसले लिए जाते हैं, तो उन्हें धार्मिक नेतृत्व के सामने जवाबदेह ठहराया जा सकता है। अकाल तख्त द्वारा दी गई यह सजा न केवल शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी बताती है कि धर्म और राजनीति का सम्बन्ध संवेदनशील और जिम्मेदार होना चाहिए।

निष्कर्ष:

सुखबीर सिंह बादल की सजा का यह मामला राजनीति और धर्म के बीच के रिश्ते को फिर से उजागर करता है। अकाल तख्त की ओर से दी गई सजा ने यह साबित किया कि धर्म की ओर से जिम्मेदारी और नैतिकता की कोई भी चूक आसानी से माफ नहीं की जाती। आने वाले समय में यह घटना राजनीतिक नेताओं को एक नया संदेश देगी कि उनके फैसले केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होते हैं।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।