Khaleda Zia Death: पीएम मोदी का शोक संदेश लेकर ढाका पहुंचे जयशंकर, खालिदा जिया के योगदान को किया याद

Khaleda Zia Death - पीएम मोदी का शोक संदेश लेकर ढाका पहुंचे जयशंकर, खालिदा जिया के योगदान को किया याद
| Updated on: 31-Dec-2025 01:41 PM IST
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के निधन पर भारत ने गहरा शोक व्यक्त किया है। इस दुखद घड़ी में भारत सरकार और भारतीय जनता की ओर से संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए विदेश मंत्री डॉ और एस. जयशंकर बुधवार को ढाका पहुंचे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शोक संदेश खालिदा जिया के परिवार को सौंपा और बांग्लादेश के लोगों के प्रति भारत की गहरी सहानुभूति व्यक्त की। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य एक पड़ोसी देश के रूप में बांग्लादेश के साथ भारत के मजबूत संबंधों को रेखांकित करना और इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ा होना था।

भारत की ओर से संवेदनाएं

डॉ. एस. जयशंकर ने ढाका में प्रधानमंत्री मोदी का शोक संदेश सौंपते हुए कहा कि भारत, बांग्लादेश के साथ इस दुख की घड़ी में खड़ा है और उन्होंने भारत सरकार और भारतीय जनता की ओर से खालिदा जिया के निधन पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने एयरपोर्ट पर डॉ. जयशंकर का स्वागत किया, जो बुधवार सुबह 11:30 बजे एक विशेष विमान से ढाका पहुंचे थे। यह यात्रा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की गहराई और आपसी सम्मान को दर्शाती है,। खासकर ऐसे समय में जब बांग्लादेश ने अपने एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व को खो दिया है।

खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन

खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति की सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थीं। उन्होंने तीन बार देश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और लंबे समय तक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष भी रहीं। उनका सियासी सफर चार दशकों से भी ज्यादा लंबा रहा, जिसमें उन्होंने सफलता की बुलंदियां छुईं और कई मुश्किल हालात का भी सामना किया। BNP की कमान संभालते हुए उन्होंने देश की सत्ता की बागडोर थामी, लेकिन उनकी छवि पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने भी गहरा असर डाला। इसके बावजूद, उन्होंने बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी।

लोकतंत्र में योगदान

विदेश मंत्री एस और जयशंकर ने पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के लंबे राजनीतिक जीवन और लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनके योगदान को भी सम्मानपूर्वक स्वीकार किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खालिदा जिया ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका नेतृत्व ऐसे समय में आया जब बांग्लादेश एक युवा राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा था और लोकतांत्रिक संस्थाओं को स्थापित करने की चुनौती का सामना कर रहा था। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिन्होंने देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया।

राजनीति में अप्रत्याशित प्रवेश

खालिदा जिया का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश पूरी तरह संयोगवश हुआ था। अपने पति, राष्ट्रपति जियाउर रहमान की 30 मई 1981 को एक असफल सैन्य तख्तापलट में हत्या के बाद, महज 35 साल की उम्र में वह सियासत में आईं और यह एक ऐसा मोड़ था जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। लगभग एक दशक बाद, वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री। बनीं, जो उनके राजनीतिक कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रमाण था। राजनीति में उनका कदम किसी पूर्व-नियोजित रणनीति का हिस्सा नहीं था, बल्कि परिस्थितियों ने। उन्हें इस राह पर ला खड़ा किया, और उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया।

निधन और विरासत

बेगम खालिदा जिया का निधन मंगलवार को ढाका में लंबी बीमारी के बाद हुआ। वह 80 वर्ष की थीं। उनके निधन से बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है। भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. एस. जयशंकर ने ढाका में प्रधानमंत्री मोदी का शोक संदेश सौंपा। खालिदा जिया की विरासत बांग्लादेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें उनके नेतृत्व, चुनौतियों और लोकतंत्र के प्रति उनके समर्पण को याद किया जाएगा। उनका जीवन बांग्लादेश की जटिल राजनीतिक यात्रा का एक प्रतिबिंब था, जिसमें उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे और देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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