PM Modi Jordan Visit: प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन यात्रा: तेल-हथियारों के बिना भी भारत के लिए क्यों अहम है यह छोटा देश?
PM Modi Jordan Visit - प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन यात्रा: तेल-हथियारों के बिना भी भारत के लिए क्यों अहम है यह छोटा देश?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15-16 दिसंबर को अपनी दूसरी जॉर्डन यात्रा पर जा रहे हैं, जो उनकी तीन देशों की यात्रा का पहला पड़ाव है। इस यात्रा में जॉर्डन के बाद वे इथियोपिया और ओमान भी जाएंगे। यह यात्रा जॉर्डन के महत्व को रेखांकित करती है, जो इजराइल और सऊदी के बीच स्थित एक छोटा सा देश है, जिसके पास न तो तेल के विशाल भंडार हैं और न ही हथियारों के बड़े सौदों से इसका कोई लेना-देना है। फिर भी, यह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो व्यापार, निवेश, शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत और गहरे संबंध रखता है। प्रधानमंत्री की यह दूसरी जॉर्डन यात्रा है, इससे पहले वे फरवरी 2018 में इस देश का दौरा कर चुके हैं, जो दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ते संबंधों का प्रमाण है।
मध्य पूर्व में जॉर्डन की रणनीतिक स्थिति
जॉर्डन मध्य पूर्व का एक महत्वपूर्ण देश है, जिसकी भू-राजनीतिक स्थिति इसे इस क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिलाती है। यह इजराइल और अमेरिका का साथ देता है, जो इसकी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। ईरान-इजराइल तनाव हो या गाजा युद्ध जैसे संवेदनशील क्षेत्रीय मुद्दे, जॉर्डन की नीतियां लगातार अमेरिका-इजराइल समर्थित ही रही हैं। यह रणनीतिक संरेखण जॉर्डन को क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है। भारत के लिए, मध्य पूर्व जैसे जटिल और गतिशील क्षेत्र में एक ऐसे विश्वसनीय साझेदार के साथ संबंध बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो क्षेत्रीय संतुलन में एक विशिष्ट भूमिका निभाता है। यह जॉर्डन को भारत की मध्य पूर्व नीति में एक रणनीतिक रूप से मूल्यवान देश। बनाता है, भले ही उसके पास पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण संसाधन जैसे तेल न हों।द्विपक्षीय संबंधों की ऐतिहासिक गहराई
भारत और जॉर्डन के बीच संबंध हमेशा से दोस्ताना और भरोसे पर आधारित रहे हैं, जिनकी जड़ें दशकों पुरानी हैं। दोनों देशों ने 1947 में अपना पहला औपचारिक समझौता किया था, जो उनके शुरुआती राजनयिक जुड़ाव को दर्शाता है। इसके बाद, 1950 में पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए गए, जिसने दोनों देशों के बीच एक मजबूत नींव रखी। हाल के वर्षों में, उच्च स्तरीय यात्राओं ने इन रिश्तों को और मजबूत किया है। 2018 में जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय भारत यात्रा पर आए थे, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को नई गति प्रदान की। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कई मंत्री भी जॉर्डन का दौरा करते रहे हैं, जो निरंतर संवाद और सहयोग को दर्शाता है। अप्रैल 2025 में दोनों देशों के बीच चौथे दौर की फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशन भी हुई, जो द्विपक्षीय संवाद की निरंतरता और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।मजबूत व्यापार और निवेश साझेदारी
भारत जॉर्डन का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की मजबूती और विविधता को दर्शाता है। 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 2 और 875 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 25,858 करोड़ रुपये) का रहा, जो एक महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ा है। इस अवधि में, भारत ने जॉर्डन को 1,465 मिलियन डॉलर (लगभग 13 करोड़ रुपये) का निर्यात किया। भारत मुख्य रूप से इलेक्ट्रिकल उपकरण, अनाज, केमिकल, पेट्रोलियम उत्पाद और ऑटो पार्ट्स जॉर्डन भेजता है, जो भारतीय विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों की क्षमता को दर्शाता है। वहीं, जॉर्डन से भारत मुख्य रूप से उर्वरक, फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड का आयात करता है, जो भारत की कृषि और औद्योगिक जरूरतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये आयात भारत की खाद्य सुरक्षा और औद्योगिक उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।प्रमुख निवेश क्षेत्र और औद्योगिक सहयोग
दोनों देशों की कंपनियों के बीच बड़े निवेश भी हुए हैं, जो आर्थिक साझेदारी की गहराई को दर्शाते हैं। फॉस्फेट और टेक्सटाइल क्षेत्रों में भारत का 1. 5 अरब डॉलर का महत्वपूर्ण निवेश है और यह निवेश न केवल जॉर्डन की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है, बल्कि भारत के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति भी सुनिश्चित करता है। विशेष रूप से, IFFCOJPMC का 860 मिलियन डॉलर वाला JIFCO प्रोजेक्ट फॉस्फोरिक एसिड उत्पादन में एक अहम पहल है। यह परियोजना दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो दीर्घकालिक आर्थिक लाभ प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, 15 से अधिक भारतीय मूल की गारमेंट कंपनियां भी जॉर्डन में सफलतापूर्वक काम कर रही हैं। ये कंपनियां जॉर्डन में रोजगार सृजन, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।बढ़ते जन-संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
भारत और जॉर्डन के बीच जन-संपर्क लगातार बढ़ रहा है, जो दोनों देशों के लोगों को करीब ला रहा है। लगभग 17,500 भारतीय जॉर्डन में रहते हैं, जो टेक्सटाइल, निर्माण, स्वास्थ्य और आईटी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। यह भारतीय समुदाय जॉर्डन की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और दोनों देशों के बीच एक जीवंत सांस्कृतिक सेतु का काम करता है। जॉर्डन भारतीय पर्यटकों को टूरिस्ट वीजा ऑन अराइवल की सुविधा प्रदान करता है, और अब ई-वीजा भी उपलब्ध है, जिससे भारतीय नागरिकों के लिए जॉर्डन की यात्रा करना और भी आसान हो गया है और भारतीय पर्यटकों और छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत करती है और दोनों देशों के बीच समझ को गहरा करती है।शिक्षा और कौशल विकास में सहयोग
शिक्षा दोनों देशों के लोगों को जोड़ने का एक बड़ा माध्यम है। 2500 से अधिक जॉर्डनियन भारतीय विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्र हैं, जिन्होंने भारत में अपनी शिक्षा प्राप्त की है और हर साल लगभग 500 छात्र भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने आते हैं, जो भारत की शैक्षिक प्रणाली की गुणवत्ता और आकर्षण को दर्शाता है। भारत ने जॉर्डन में आईटी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (IJCOEIT) की स्थापना की है, जो दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह केंद्र जॉर्डन के युवाओं को साइबर सिक्योरिटी, मशीन लर्निंग और बिग डेटा जैसे आधुनिक और उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे उन्हें वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त होते हैं।सांस्कृतिक संबंध और सॉफ्ट पावर
सांस्कृतिक मोर्चे पर भी भारत और जॉर्डन के संबंध मजबूत हैं। बॉलीवुड फिल्में जॉर्डन में बहुत लोकप्रिय हैं, जो भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहुंच को दर्शाती हैं। कई हिंदी फिल्मों की शूटिंग भी जॉर्डन के खूबसूरत और ऐतिहासिक लोकेशंस पर हुई है, जिससे दोनों देशों के बीच कलात्मक संबंध और गहरे हुए हैं और जॉर्डन के जेराश फेस्टिवल जैसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत की प्रस्तुतियां नियमित रूप से शामिल होती हैं, जो दोनों देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को साझा करने का अवसर प्रदान करती हैं। योग दिवस 2025 में जॉर्डन की राजकुमारी बसमा बिंत अली ने हिस्सा लिया था, जो योग के प्रति वैश्विक स्वीकृति और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सद्भाव को दर्शाता है और जॉर्डन में भारतीय समुदाय भी अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम और त्योहार उत्साह के साथ मनाता है, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु और मजबूत होता है।स्वास्थ्य और मानवीय सहयोग
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी भारत और जॉर्डन के बीच महत्वपूर्ण सहयोग देखा गया है और 2025 में स्वास्थ्य पर जॉइंट वर्किंग ग्रुप की बैठक में मेडिसिन रेगुलेशन, मेडिकल डिवाइस और डिजिटल हेल्थ मिशन जैसे अहम विषयों पर चर्चा हुई, जो स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए साझा प्रयासों को दर्शाती है। कोविड-19 महामारी के दौरान दोनों देशों ने आपसी मदद का हाथ बढ़ाया, जो उनकी गहरी दोस्ती और संकट के समय एक-दूसरे का साथ देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और भारत ने जॉर्डन को 5 मिलियन डॉलर की दवाइयां और वैक्सीन भी भेजीं, जो मानवीय सहायता और वैश्विक एकजुटता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह सहयोग दोनों देशों के बीच विश्वास और सद्भावना को और मजबूत करता है।भविष्य की संभावनाएं और रणनीतिक महत्व
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और जॉर्डन के बीच। बहुआयामी संबंधों को और गहरा करने का अवसर प्रदान करती है। तेल या हथियारों के पारंपरिक व्यापार से परे, जॉर्डन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदार है। इसकी मध्य पूर्व में अद्वितीय स्थिति, व्यापारिक संबंध, निवेश के अवसर, शैक्षिक सहयोग और बढ़ते जन-संपर्क इसे भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाते हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग से क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, और भविष्य में भी यह। साझेदारी नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है, जो दोनों राष्ट्रों के साझा हितों और आकांक्षाओं को पूरा करेगी।