देश: जब प्रणब दा देश के पीएम बनते बनते रह गए, 1984 और 2004 में माने गए थे दावेदार

देश - जब प्रणब दा देश के पीएम बनते बनते रह गए, 1984 और 2004 में माने गए थे दावेदार
| Updated on: 01-Sep-2020 07:51 AM IST
नई दिल्ली | देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार शाम 84 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। अगस्त महीने की शुरुआत में प्रणब मुखर्जी के ब्रेन की सर्जरी हुई थी और उसके बाद से वह कोमा में थे। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी की राजनीतिक यात्रा 40 साल से भी ज्यादा लंबी रही। इस दौरान तीन, चार ऐसे मौके आए जब प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनने के दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन पीएम की कुर्सी पर काबिज नहीं हो पाए।

अपने 40 साल के लंबे राजनीतिय करियर में प्रणब मुखर्जी 7 बार संसद के सदस्य चुने गए। इस दौरान वह कांग्रेस पार्टी और केंद्र में कांग्रेस और गठबंधन की सरकार में तमाम ऊंचे पदों पर रहे। 1969 में पश्चिम बंगाल के तात्कालिक सीएम सिद्धार्थ शंकर रे ने प्रणब मुखर्जी की राजनीति में एंट्री करवाई। 1969 में प्रणब पहली बार राज्यसभा सांसद चुने गए। कुछ ही सालों में प्रणब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सबसे करीबी लोगों में शुमार हो गए।

इंदिरा की हत्या के वक्त नंबर 2 थे प्रणब मुखर्जी

1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई उस वक्त प्रणब मुखर्जी राजीव गांधी के साथ बंगाल में थे। उस दौरान कांग्रेस पार्टी के भीतर प्रणब मुखर्जी को नंबर दो माना जाता था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी पीएम बनने के दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन उस वक्त राजीव गांधी ही देश के प्रधानमंत्री बने।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कुछ सालों तक प्रणब मुखर्जी को बुरा वक्त भी देखना पड़ा। 400 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाने वाले राजीव गांधी ने प्रणब मुखर्जी को कैबिनेट में जगह नहीं दी। प्रणब मुखर्जी इस बात से बेहद नाराज हुए और उन्होंने 1986 में कांग्रेस छोड़कर बंगाल में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी बना ली। हालांकि जल्द ही राजीव गांधी और प्रणब मुखर्जी के बीच सुलह हो गई और तीन साल बाद प्रणब मुखर्जी ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।

2004 में भी पीएम की कुर्सी के दावेदारों में शामिल रहे

प्रणब मुखर्जी 2004 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के दावेदारों में शामिल हुए। कांग्रेस ने 2004 का चुनाव सोनिया गांधी की अगुवाई में लड़ा था। लेकिन विदेशी मूल का मुद्दा उछलने की वजह से सोनिया देश की पीएम बनने से पीछे हट गई। इसके बाद प्रणब मुखर्जी सबसे दिग्गज नेता होने की वजह से पीएम बनने के दावेदार बने, लेकिन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए उनकी बजाए मनमोहन सिंह को ज्यादा उपयुक्त समझा।

हालांकि प्रणब मुखर्जी को लोकसभा में कांग्रेस ने अपना नेता चुना और सरकार में नंबर 2 भी रखा गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के कुछ महीनों बाद ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तबियत खराब हो गई। मनमोहन सिंह को दूसरी बार हर्ट बाई पास सर्जरी करवानी पड़ी। उस वक्त कयास लगाए गए कि प्रणब मुखर्जी देश के पीएम बन सकते हैं। लेकिन मनमोहन सिंह ने कुछ महीनों में ठीक होने के बाद से दोबारा कामकाज संभाला। मनमोहन सिंह के अनुपस्थिति में प्रणब मुखर्जी ने पीएम का कामकाज संभाला

2012 में जब नया राष्ट्रपति चुनने का मौका आया तब भी ऐसी खबरें सामने आई कि कांग्रेस मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना सकती है, जबकि प्रणब मुखर्जी को पीएम की गद्दी सौंपी जा सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रणब मुखर्जी को ही राष्ट्रपति का उम्मीदवार बना दिया गया। प्रणब मुखर्जी अकेले ऐसे शख्स रहे जिन्होंने 1991 से आर्थिक सुधारों से पहले भी बजट पेश किया और 1991 के सुधारों के बाद भी, पर वह प्रधानमंत्री की कुर्सी कई मौकों पर हासिल करते करते चूक गए।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।